
मुख्यमंत्री डॉ. यादव आज असम में निवेशकों से करेंगे वन टू वन चर्चा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 5 अक्टूबर को असम के गुवाहटी में पूर्वोत्तर राज्यों के निवेशकों सहित भूटान के प्रतिनिधियों से वन टू वन चर्चा करेंगे। सेशन को रॉयल भूटान काउन्सलेट के काउंसिल जनरल जिग्मे थिनायल नामग्याल भी संबोधित करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव मध्यप्रदेश के निवेश के प्रमुख सेक्टर और उद्योग अनुकूल नीतियों की जानकारी देंगे। सीएम की संकल्पबद्धता और राज्य की मजबूत नीतियां निवेशकों को भरोसा देती हैं कि उनके व्यवसाय के लिए प्रदेश में हर तरह के संसाधन और अवसर उपलब्ध हैं। यह अवसर पूर्वोत्तर और मध्यप्रदेश के उद्योगों के लिए साझी संभावनाओं का नया मार्ग खोलेगा। मध्यप्रदेश की केन्द्रीय भौगोलिक स्थिति, विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा और बाजार तक आसान पहुंच इसे निवेशकों के लिए सर्वाधिक अनुकूल और एक अनूठा केंद्र बनाती है। मध्यप्रदेश ने उद्योग अनुकूल नीतियां और क्लस्टर आधारित विकास मॉडल तैयार किए हैं, जिससे निवेशक अपनी नए उद्योग की योजना को तेजी से क्रियान्वित कर सकते हैं।
सिंधिया का राजशाही अंदाज, बेटे के साथ थंडरबर्ड विंटेज कार की ड्राइव
ग्वालियर राजघराने के मुखिया व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया शुक्रवार रात महल से अपने बेटे को रॉयल थंडरबर्ड विंटेज कार में बैठाकर स्वयं चलाते दिखे। वह महल से ग्वालियर फोर्ट स्थित सिंधिया बॉयज स्कूल गए थे। रात थंडरबर्ड रॉयल विंटेज कार चलाते महल से निकले तो लोगों ने उस पल को अपने मोबाइल में कैद कर लिया। सडक़ पर लोगों को देख सिंधिया ने हाथ से इशारा कर अभिवादन किया। सिंधिया जिस थंडरबर्ड रॉयल विंटेज कार को ड्राइव करते नजर आए, वह देश के चुनिंदा राजघरानों के पास ही है। उनमें एक सिंधिया राजघराना भी शामिल है। थंडरबर्ड विंटेज कार दो सीटों वाली कॉन्फिग्रेशन और स्टाइलिश डिजाइन के लिए जानी जाती है। ज्योतिरादित्य सिंधिया त्योहारों के समय अपने महल में होते हैं तो वह रियासतकालीन परंपराओं को निभाते हैं और राजशाही पोशाक में भी लोग उनको देखते हैं।
सेवानिवृत्ति के पहले परीक्षा विभाग में अटके प्रो. राजीव वर्मा के अनापत्ति प्रमाण पत्र
राजधानी स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय एक बार फिर से चर्चाओं में आ गया है। विवि में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत प्रो. राजीव वर्मा की सेवानिवृत्ति अक्टूबर 2025 में होने जा रही है। सेवानिवृत्ति की औपचारिकता के तहत विश्वविद्यालय के हर विभाग से एनओसी लिया जाना अनिवार्य है। ऐसे में प्रो. वर्मा को विवि के सभी विभागों से यह प्रमाण पत्र मिल चुका है, लेकिन परीक्षा विभाग से अब तक अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है। ऐसे में अब प्रो वर्मा को रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन सहित अन्य कई सुविधाओं के लाभ भी अटक सकते हैं। सूत्रों के अनुसार विवि के परीक्षा विभाग द्वारा एनओसी नहीं मिलने के पीछे का तर्क है कि विवि में 13 सहायक प्रध्यापकों की पर्यवीक्षा अवधि समाप्त नहीं की गई और प्रो. वर्मा के रहते यह कार्य पूरा नहीं किया गया। इस आधार पर उनके अनापत्ति प्रमाण पत्र को रोककर रखा गया है। इस मामले में प्रो. वर्मा का कहना है कि उन्होंने ऐसे किसी कार्य में प्रत्यक्ष भूमिका नहीं निभाई, उनके अधीन विद्यार्थी पंजीकृत नहीं थे, पढ़ाई या कक्षाओं की कोई व्यवस्था नहीं थी, डेली डायरी या नियमित अध्यापन का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।
फर्जी जाति प्रमाणपत्र के चक्रव्यूह से बाहर आएंगे एआईजी मीणा
पुलिस मुख्यालय में पदस्थ एआईजी अमृत लाल मीणा नौ साल बाद फर्जी जाति प्रमाणपत्र के चक्रव्यूह से बाहर आ सकते हैं। फर्जी जाति प्रमाणपत्र की जांच कर रही राज्य स्तरीय छानबीन समिति अब उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग के एक आदेश का हवाला देते हुए उन्हें इस मामले से बाहर करने की तैयारी में है। भले ही उनका जाति प्रमाणपत्र फर्जी है, लेकिन इसके आधार पर वे लंबे समय से शासकीय सेवा करते आ रहे हैं, इसलिए जीएडी के आदेश के तहत उन्हें संरक्षण का लाभ दिया जाएगा और उन पर जाति प्रमाणपत्र बनवाने के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी मीणा वर्ष 1995-96 में हुई एमपीपीएससी की परीक्षा में डीएसपी के लिए चयनित हुए थे।