कवितायन

  •   श्रुति कुशवाह
कवितायन

प्यार, सम्मान या मजाक में भी पति को “पतिदेव” कहना बंद कीजिये
 माँ सबसे महान होती है..महान की बजाय उन्हें इंसान मानिये
 सुपर मॉम/सुपर डैड का क्विंटलों बोझ मत लीजिये अपने सिर पर। ये सुपर वुपर सब फंसने-फंसाने का जाल है। साधारण मनुष्य की तरह क्षमतानुसार जितना कर सकते हैं, पर्याप्त है।
 बेटी ही हमारा बेटा है..बहुत हुआ। बेटी की उपलब्धियों को बेटी मानते हुए ही स्वीकारिये।
 बेटी हमारी इज्जत है..इस व्यूह से निकलिये। बेटियों पर ये बोझ मत लादिये। अपनी इज्जत का ठीकरा खुद उठाइये।
 हमने तो अपने घर की औरतों को पूरी छूट दी है…माई लार्ड अपने हिस्से की छूट/स्वतंत्रता उनका पैदाइशी हक है। आप ये देने वाले कोई नहीं होते। अलबत्ता आपने अब तक छीन जरूर रखी है।
 हमारी बेटी तो गाय है…ये कोई गुरूर की बात नहीं। दुनिया के जंगल में इस गाय को जंगली जानवर नोच खसोट डालेंगे। बेटी को योग्य बनाइये और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर।
 इज्जत लूट ली/मुँह काला किया/अस्मत लूटी… रेप विक्टिम को इस तरह की शब्दावली से और पीड़ित मत कीजिये। तकनीकी शब्द का इस्तेमाल करें।
 अच्छी बीवी, अच्छी बहू, अच्छा पति, अच्छा बेटा, अच्छा दोस्त। ये इतना टू मच आॅफ अच्छा होना कोई भी आम इंसान अफोर्ड नहीं कर सकता। अच्छा बनने की इतनी कोशिशें भी न हो कि हम अंदर ही अंदर ज्वालामुखी में तब्दील हो जाएं। ये आग एक दिन हमें ही जला डालेगी।

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