बिहाइंड द कर्टन/प्रदेश में अरबों रुपए के नुकसान पर अफसर हैं बेखबर

  • प्रणव बजाज
धान की मिलिंग

प्रदेश में अरबों रुपए के नुकसान पर अफसर हैं बेखबर
प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2019-20 में किसानों से खरीदे गए 25 लाख टन से ज्यादा की धान की अब तक मिलिंग नहीं हो पाई है। अरबों रुपयों की कीमत की यह धान अब भी ओपन कैंपों में रखी है। धान की मिलिंग पहले सितंबर 2020 तक की जानी थी जिसे बढ़ाते हुए बाद में 31 मार्च तिथि तय की गई थी लेकिन यह समय भी पार हो गया और मिलिंग नहीं हो पाई। सूत्रों की माने तो उक्त धान की खरीदी 1800 रुपए प्रति क्विंटल हुई थी इसके बाद भंडारण, बारदान, ब्याज व परिवहन शुल्क जोड़कर इसकी कीमत करीब 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल हो गई। ऐसे में अरबों रुपयों की धान ओपन कैंपों में सड़ रही है। वहीं जिम्मेदार आला अफसर इस बात से बेखबर हैं। इस धान का क्या किया जाए उन्हें नहीं सूझ रहा। हालांकि प्रदेश सरकार और मिलर्स के बीच प्रोत्साहन राशि को लेकर सहमति नहीं बन पाना भी वजह रही है।

क्यों हो रही छिंदवाड़ा कलेक्टर सौरभ के. सुमन की तारीफ
कोरोना की भीषण चपेट में महाराष्ट्र से सटे छिंदवाड़ा जिले में कोरोना ज्यादा नुकसान नहीं कर पाया। दरअसल संक्रमण को नियंत्रण करने उसकी चैन तोड़ने के लिए कलेक्टर सौरभ के सुमन ने प्लानिंग से काम किया। उन्होंने छिंदवाड़ा जिले को रेड, ऑरेंज और ग्रीन तीन हिस्सों में बांट दिया। संक्रमण में प्रभावित वाले क्षेत्रों को रेड जोन, संभावित संक्रमण वाले क्षेत्र को ऑरेंज और जहां दोनों चीज नहीं उसे ग्रीन जोन बना दिया। ग्राम और बड़े स्तर पर निगरानी दल बनाकर इसकी सतत मॉनिटरिंग की गई। स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग के 20-20 लोगों की स्क्रीनिंग कमेटी बनाकर घर-घर जाकर जांच की और थोड़ी भी लक्षण मिलने पर अस्थाई कंटेनमेंट जोन या फिर होम क्वॉरेंटाइन कर दिया गया। जन जागरूकता के लिए गांव के मुख्य प्रवेश द्वार पर तीनों जोनों के बारे में बैनर लगाकर बाहरी व्यक्तियों को वर्तमान स्थिति से अवगत कराने का काम किया गया। आज छिंदवाड़ा जिले की पॉजिटिविटी दर पांच प्रतिशत से कम है। स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कलेक्टर सुमन की तारीफ की और इस मॉडल को प्रदेश के अन्य जिलों में भी अनुसरण करने के निर्देश दिए।

ग्वालियर स्मार्ट सिटी ने बनाया कोरोना का ‘स्मार्ट कवच’ एप
ग्वालियर स्मार्ट सिटी का कंट्रोल कमांड सेंटर वैश्विक महामारी में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। इसके तहत ग्वालियर स्मार्ट सिटी द्वारा ऐसे कोरोना मरीज जो होम आइसोलेशन में उनके लिए एक खास मोबाइल एप स्मार्ट कवच बनाया गया है। इसके तहत अब कोई भी कोरोना मरीज इसे गूगल प्ले स्टोर से अपने मोबाइल पर डाउनलोड कर सकता है। इस ऐप में जीआईएस जैसी अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से कोरोना की रियल टाइम मॉनिटरिंग के साथ ही उनको सहायता और एडवाइज के लिए कई फीचर जोड़े गए हैं। यानी अब कोई भी कोरोना मरीज होम आइसोलेशन के वक्त इस ऐप के माध्यम से सहायता और एडवाइजर ले सकता है। ग्वालियर स्मार्ट सिटी  सीईओ जयति सिंह के अनुसार कोविड पॉजिटिव आने के बाद तत्काल यह ऐप प्ले स्टोर या लिंक भेजने के माध्यम से डाउनलोड किया जा सकेगा। इसमें पेशेंट का नाम, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा। यह ऐप जीपीएस और जियो फेंसिंग तकनीक से पेशेंट पर नजर रखेगा।

सांसद तन्खा अपने संबंधों का उपयोग कर मरीजों की कर रहे मदद
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा कोरोना मरीजों की मदद करने के लिए अपने संबंधों का उपयोग करने में भी पीछे नहीं हैं। सांसद तन्खा के छत्तीसगढ़ के  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से अच्छे संबंध हैं। उन्होंने हाल ही में जबलपुर में कोरोना मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी होने पर भूपेश बघेल से मदद मांगी और ऑक्सीजन का टैंकर बुलवा लिया। तन्खा लगातार स्थिति पर नजर रख रहे हैं और जहां जरूरत होती है तुरंत मदद करते हैं। इसके पहले भी वे जबलपुर में आपदा की इस घड़ी में सांसद निधि से कोविड सेंटरों में दवाओं, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन की आपूर्ति के मदद कर चुके हैं।

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