- नगीन बारकिया

राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करेगी ममता की यह जीत
पांच राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव परिणामों में सबसे चौंकाने वाला रिजल्ट बहुचर्चित बंगाल का रहा जहां यद्यपि स्वयं ममता बनर्जी अपनी सीट नहीं बचा पाई लेकिन इसके विपरीत उन्होंने अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस याने टीएमसी को जो भारी जीत हासिल कराई उसने सभी की बोलती बंद कर दी। हालाकि इन चुनावों में भाजपा को कोई नुकसान नहीं हुआ है बल्कि फायदा ही हुआ है क्योंकि असम में उसकी वापसी हो रही है और पुडुचेरी में उसे सत्ता हासिल हुई वहीं तमिलनाडु तथा केरल में कुछ हासिल होना ही नहीं था। फिर भी उसे तमिलनाडु में चार सीटें मिल ही गई। देखा जाए तो भाजपा के पास बंगाल में तीन सीटें ही थी जो बढ़कर अब 76 पर पहुंच गई हैं। इस तरह यदि सतही विश्लेषण किया जाए तो भाजपा फायदे में ही रही, लेकिन ऐसा है नहीं। भाजपा ने बंगाल को लेकर बड़े सपने देखना शुरू कर दिए थे तथा अपनी पूरी प्रतिष्ठा दाव पर लगाते हुए पूरी पार्टी को प्रचार में झोंक दिया था। भाजपा ने अपने प्रचार माध्यमों को इस तरह संचालित किया जिससे यह भ्रम पैदा हो गया कि सरकार तो भाजपा ही बना रही है। यह सही है कि सारा का सारा भ्रम हो ऐसा भी नही है। भाजपा ने वहां मैदानी स्तर पर संगठनात्मक कार्य किया भी है जिसके कारण वह 2019 के लोकसभा चुनाव में 121 विधानसभाओं के बराबर 18 लोकसभा सीटें प्राप्त करने में सफल रही थी। इसी को आधार बना भाजपा ने विधानसभा जीतने का तानाबाना बुना जो उनकी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर सका। यहां भाजपा नेताओं ने यह आकलन नहीं किया कि विधानसभा के मुद्दे लोकसभा से हटकर होते हैं। लोकसभा में जहां उसके पास मोदी का बड़ा चेहरा था तो विधानसभा में ममता से बड़ा चेहरा वह नही ढूंढ पाए। भाजपा को विचार करना होगा कि आखिर मोदी पर वे कब तक दाव खेलते रहेंगे। दूसरी ओर ममता बनर्जी ने शानदार जीत हासिल कर विपक्ष की एक मजबूत नेता के रूप में अपने को पेश किया है।
आत्मविश्लेषण करेगी कांग्रेस
कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद रविवार को कहा कि वह जनादेश को स्वीकार करती है तथा वह इसका विश्लेषण करेगी और गलतियां सुधारेगी। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस बात पर जोर भी दिया कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस ही एकमात्र मजबूत विकल्प है। बता दें कि कांग्रेस असम और केरल में सत्ता में वापसी करने में विफल रही, जहां वह मुख्य विपक्षी दल थी। पश्चिम बंगाल में उसका सफाया हो गया तो पुडुचेरी में भी उसे हार मिली है। सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा, हम इन चुनाव परिणामों को पूरी विनम्रता और जिÞम्मेदारी से स्वीकार करते हैं। इस विषय पर कोई दो राय नहीं हो सकती कि चुनाव परिणाम हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं हैं, विशेषकर असम और केरल विधानसभा के चुनाव परिणाम हमारे लिए चुनौतीपूर्ण भी हैं और आशा के विपरीत भी।
हार के बाद ये क्या बोल दिया बाबुल सुप्रियो ने
भाजपा के सांसद बाबुल सुप्रियो ने तृणमूल कांग्रेस को उसकी जबरदस्त जीत पर बधाई देने से इनकार कर दिया। बाबुल सुप्रियो ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए नतीजों पर अपनी नारजगी जताई। उन्होंने कहा कि बंगाली मतदाताओं ने एक ‘ऐतिहासिक गलती’ की है। वह यहीं नहीं रुके। उन्होंने ममता बनर्जी को क्रूर महिला तक कह दिया। उन्होंने लिखा, “न तो मैं ममता बनर्जी को बधाई दूंगा, न ही कहूंगा कि मैं लोगों के इस फैसले का सम्मान करता हूं। ईमानदारी से सोचें तो बंगाल के लोगों ने बीजेपी को मौका न देकर एक ऐतिहासिक गलती की। इस भ्रष्ट, अक्षम, बेईमान सरकार और सत्ता में एक क्रूर महिला को चुनकर भी उन्होंने गलती की।” बाबुल सुप्रियो ने कहा, “हां, एक कानून के पालन करने वाले नागरिक के रूप में, मैं एक लोकतांत्रिक देश में लोगों द्वारा लिए गए फैसले का पालन करूंगा।”
कोई आईडी न होने पर भी मरीजों को भर्ती से न रोकेंं
कोरोना की दूसरी लहर को काबू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से लॉकडाउन पर विचार करने की बात कही है। रविवार रात सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम केंद्र और राज्य सरकारों से सामूहिक समारोहों और सुपर स्प्रेडर कार्यक्रमों पर रोक लगाने पर विचार करने का आग्रह करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से कहा है कि वे लोक कल्याण के हित में दूसरी लहर के वायरस पर अंकुश लगाने के लिए लॉकडाउन लगाने पर विचार कर सकते हैं। स्थिति को गंभीर होते देख सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही मामले को संज्ञान लेते हुए कहा है कि अगर किसी मरीज के पास किसी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का स्थानीय पता प्रमाण पत्र या आईडी प्रूफ नहीं है तो भी उसे हॉस्पिटल में भर्ती करने और जरूरी दवाएं देने से मना नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार इस संबंध में दो हफ्ते के भीतर अस्पताल में भर्ती होने संबंधी राष्ट्रीय नीति लाए। कोर्ट ने कहा कि यह नीति सभी राज्य सरकारों की ओर से मानी जानी चाहिए।