- नगीन बारकिया

ध्यान रखें कोरोना अभी मौजूद है, प्रोटोकाल न तोड़ें
लगभग डेढ़-दो माह के लॉकडाउन के बाद कल जैसे ही राजधानी अनलॉक हुई तो लोगों को लगा जैसे कैद से आजादी मिल गई, और फिर इतने दिनों का कटु अनुभव ताक में रखकर लोग भीड़ में तब्दील हो गए। इन लोगों को पुलिस को फिर याद दिलाना पड़ा कि यह केवल छूट मिली है, मुक्ति नहीं। न जाने लोग क्यों इतनी जल्दी भूल जाते हैं कि कर्फ्यू के हालात सरकार नहीं जनता ही पैदा करती है। कोरोना का पहला दौर जब खत्म होने जैसा लगा था तो अचानक ही दूसरी लहर ने धावा बोल दिया जो अत्यत घातक सिद्ध हुआ। कारण यही था कि कोरोना पर हमने अपनी जीत मान ली और उसे भुला बैठे। हमने प्रोटोकॉल को तोड़ने की महान भूल कर दूसरी लहर को आमंत्रित कर लिया। अब यह कहा जा रहा है कि सरकार ने समय रहते इंतजाम कर लिया होता तो यह लहर इतनी घातक नहीं होती। लेकिन वास्तविकता यह है कि सब कोरोना की हार का जश्न मनाने में लग गए और किसी को भी दूसरी लहर के आने का गुमान तक न रहा। लेकिन अब तीसरी लहर का अंदाजा होने के बावजूद यदि हम प्रोटोकॉल को ध्यान में न रखेंगे तो यह हमारी ही गलती होगी। तीसरी लहर कभी भी आ सकती है और उसके लिए किसी अन्य को दोषी ठहराना उचित नहीं होगा। हालांकि इस बार जनता ने कुछ तो समझदारी दिखाई है। शहर के कई हिस्सों में लोग अनुशासन में ही दिखाई दिए जिसकी जरूरत है। और हां, प्रोटोकॉल के साथ वैक्सीन लगवाना भी उतना ही जरूरी है। ध्यान रखें कि वैक्सीन का न तो विरोध करें न इसकी विरोधी अफवाहों पर गौर करें। यह हम सबके लिए जीवनदायिनी चीज है। तीसरी लहर को रोकने का यह भी एक प्रमुख साधन है इसलिए लोगों को टीका लगाने के लिए प्रेरित भी करें।
फिर पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की तैयारियां
देश के मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कुछ माह में ही पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की तैयारियों का संकेत देना यह साफ प्रदर्शित करता है कि एक और मिनी आम चुनाव की तैयारी हो रही है। मिनी आम चुनाव इसलिए कि इन राज्यों में उप्र भी शामिल है जिसका कार्यकाल मई 2022 में समाप्त हो रहा है। इसके अलावा पंजाब, मणिपुर, गोवा, उत्तराखंड में मार्च 2022 में चुनाव होना है। आयोग का कहना है कि वह समय पर चुनाव कराने के लिए पूरी तरह से तैयार है। आयोग के इस बयान के बाद तो राजनीतिक सरगर्मियों का बढ़ना स्वाभाविक है। सभी की निगाहें निश्चित रूप से उप्र पर लगी रहेंगीं जो भविष्य की राजनीति की दशा यौर दिशा तय करेगा।
जब जीतनराम मांझी ने दी लालू-राबड़ी को बधाई…।
राजनीति में नेताओं के एक एक मूवमेंट को बड़ी गहराई से देखा जाता है, उसका पोस्टमार्टम किया जाता है और फिर निष्कर्ष निकाला जाता है। इन दिनों बिहार में क्या खिचड़ी पक रही है इस ओर तब ध्यान गया जब हम पार्टी के राष्ट्रीय नेता जीतनराम मांझी ने मंगलवार को राजद प्रमुख लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को उनकी शादी की 48वीं सालगिरह की बधाई दी। यह भी गौरतलब है कि मांझी की यह बधाई हम की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक की पूर्व संध्या पर आई है। बुधवार को हम राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है। ऐसे में लोगों की नजरें इस बैठक पर टिकी हैं कि आखिर मांझी अपने पार्टी पदाधिकारियों को क्या संदेश देते हैं।
अपने ही ट्वीट में फंसे शशि थरूर
दूसरे देशों को कोरोना वैक्सीन दिए जाने के मोदी सरकार के फैसले को लेकर कांग्रेस सवाल उठाती रही है। राहुल सहित कई वरिष्ठ नेता इसकी आलोचना करते रहे हैं। इनमें सांसद शशि थरूर भी शामिल हैं जिन्होंने ट्वीट कर सरकार के इस कदम को गलत बताया था। लेकिन अब जबकि सरकार ने वैक्सीन देने के फैसले को पलट दिया तथा बैन लगा दिया तो शशि थरूर ने ट्वीट कर इसका भी विरोध कर डाला। शायद वे अपना पुराना ट्वीट भूल गए। इसीलिए थरूर के ट्वीट करने के बाद लोगों ने कांग्रेस सांसद को बुरी तरह से ट्रोल करना शुरू कर दिया है। लोग कह रहे हैं कांग्रेस एक ओर वैक्सीन एक्सपोर्ट करने पर केंद्र सरकार को घेर रही है, तो वहीं उन्हीं के सांसद अब सरकार पर इसलिए निशाना साध रहे हैं कि केंद्र ने एक्सपोर्ट को बैन क्यों कर दिया?