ऑफ द रिकॉर्ड/सावधान…पैर पसार रहा है ब्लैक फंगस

  • नगीन बारकिया
ब्लैक फंगस

सावधान…पैर पसार रहा है ब्लैक फंगस
देश ही नहीं दुनिया पर इस समय संकट की बड़ी घड़ी है। एक ओर जहां दुनियाभर के लोग कोरोना के कहर से परेशान हैं वहीं दूसरी ओर ब्लैक फंगस के नाम से एक और आफत हम सबके सिर पर आ खड़ी हुई है। देश में महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में इस बीमारी के मरीज देखे जा रहे हैं। सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र से हैं। बताया गया है कि म्यूकर माइकोसिस के नाम से जाना जाने वाला ब्लैक फंगस संक्रमण म्यूकर नामक फंगस के कारण होता है। एम्स डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया के अनुसार स्टेरॉयड्स के दुरुपयोग से फंगल इन्फेक्शन हो रहे हैं। डायबिटीज के मरीज जिसे कोरोना संक्रमण है, उन्हें अगर स्टेरॉयड दिया जा रहा है तो फंगस का खतरा ज्यादा रहेगा। कैंसर के ऐसे मरीज जो कीमोथेरेपी पर हैं. उनमें इसका खतरा अधिक होता है। विशेषज्ञों के अनुसार साइनस की परेशानी, नाक का बंद हो जाना, आधा चेहरा सुन्न पड़ जाना, आंखों में सूजन, धुंधलापन, सीने में दर्द उठना, सांस लेने में समस्या होना एवं बुखार होना म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस संक्रमण के लक्षण हैं।

वैक्सीन दे रहा है 97 फीसदी सुरक्षा कवच
जो लोग कोरोना वैक्सीन लेने से परहेज कर रहे हैं या उसके साइड इफेक्ट होने से डर रहे हैं उनके लिए यह संदेश है कि उन्हें वैक्सीन से डरने की कतई जरूरत नहीं है बल्कि यह टीके लोगों के लिए जीवन रक्षक साबित हो रहे हैं। एक जानकारी में बताया गया है कि वैक्सीन के बाद 97 फीसदी से अधिक मामलों में लोग संक्रमण से पूरी तरह से सुरक्षित रहे हैं। यह सही है कि टीकाकरण 100 फीसदी सुरक्षा नहीं देता लेकिन गंभीर लक्षणों से सुरक्षित रखता है। टीकाकरण के बाद संक्रमण बहुत कम संख्या में होता है जो प्राथमिक तौर पर हल्का रहता है, जिससे मरीज को गंभीर रोग नहीं होता। ऐसे मामलों में आईसीयू भर्ती या मौतें दर्ज नहीं की गईं। उन्होंने कहा कि ऐसे में अध्ययन टीकाकरण के मजबूत पक्ष को दर्शाता है।

प्लाज्मा पद्धति को दिशा निर्देशों से हटाया जा सकता है
कोरोना का निवारण करने के मामले में बीमारी की गंभीरता या मौत की संभावना को कम करने में प्लाज्मा पद्धति को कोविड-19 मरीजों में प्रभावी नहीं पाया गया है और इसे कोविड-19 पर चिकित्सीय प्रबंधन दिशा-निर्देशों से हटाए जाने की संभावना है। सूत्रों ने बताया कि कोविड-19 संबंधी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद की बैठक में सभी सदस्य इस पक्ष में थे कि कोविड-19 के वयस्क मरीजों के उपचार प्रबंधन संबंधी चिकित्सीय दिशा-निर्देशों से प्लाज्मा पद्धति के इस्तेमाल को हटाया जाना चाहिए। आईसीएमआर जल्द ही मामले में परामर्श जारी करेगी। वर्तमान दिशा-निर्देशों के तहत लक्षणों की शुरुआत होने के सात दिन के भीतर बीमारी के मध्यम स्तर के शुरुआती चरण में और जरूरतें पूरा करने वाला प्लाज्मा दाता मौजूद होने की स्थिति में प्लाज्मा पद्धति के इस्तेमाल की अनुमति है।

वैक्सीन के लिए आधार का होना अनिवार्य नहीं
कोरोना के इलाज के दौरान यह शिकायत काफी संख्या में मिल रही है कि आधार कार्ड न होने की वजह से कई लोगों को अस्पताल में भर्ती होने जैसी आवश्यक सेवाओं से वंचित होना पड़ रहा है। इसीलिए आधार प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि आधार न होने की वजह से किसी भी व्यक्ति को टीका, दवा उपलब्ध कराने, अस्पताल में भर्ती करने या उपचार उपलब्ध कराने से इनकार नहीं किया जा सकता। प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि कोई भी आवश्यक सेवा उपलब्ध कराने से इनकार करने के लिए आधार कार्ड का बहाना नहीं किया जाना चाहिए। देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच प्राधिकरण का बयान का काफी मायने रखता है जिसमें कहा गया कि आधार के मामले में भली-भांति स्थापित एक अपवाद है जिसका 12 अंकों के बायोमेट्रिक आईडी की अनुपस्थिति में सेवा और लाभ प्रदायगी सुनिश्चित करने के लिए पालन किया जाना चाहिए।

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