खबरें असरदारों की/साहब अब कैदी नंबर 812

  • विनोद उपाध्याय
 कैदी नंबर 812

साहब अब कैदी नंबर 812
अपने सेवाकाल में अपनी ठसक और दबंगई के कारण अच्छे-अच्छों को जेल की हवा खिलाने वाले मप्र कैडर के एक पूर्व आईएएस अधिकारी जगदीश शर्मा इन दिनों खुद जेल की हवा खा रहे हैं। दरअसल, प्रदेश के एक आदिवासी जिले में पदस्थापना के दौरान साहब ने जिला पंचायत में ग्रामीण विकास योजनाओं के लिए जो फंड था उससे रजिस्टर, प्रचार सामग्री आदि की छपाई नियमों को ताक पर रखकर करवाई, जिससे सरकार को लाखों रुपए की क्षति पहुंची। इस मामले में आरोप सिद्ध होने के बाद साहब को जेल की सजा हुई है। साहब को उसी जिले की जिला जेल में कैदी नंबर 812 बनाकर रखा गया है। जेल नियमों के अनुसार सभी को दो कंबल, एक चादर और एक चटाई दी गई है। बैरक नंबर 10 में अन्य कैदियों की तरह वे जमीन पर ही सो रहे हैं। खाने के लिए थाली,कटोरी,चम्मच का सेट मिला हुआ है।

कलेक्टर ने मांगी फाइल, मचा हडक़ंप
प्रदेश के आदिवासी बहुल एक जिले में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। इस मामले की खबर जैसे ही खरगौन जिला कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा को लगी, उन्होंने बिना देर किए हुए भ्रष्टाचार से जुड़ी फाइलें तलब कर लीं। साहब ने फाइलें क्या मांगीं, जिले में हडक़ंप मच गया। दरअसल, 2011 बैच के यह आईएएस अधिकारी जबसे जिले में कलेक्टर के पद पर पदस्थ हुए हैं, भ्रष्टों के खिलाफ लगातार कार्रवाई हो रही है। जानकारी के अनुसार जिले की एक नगर परिषद में मुख्यमंत्री अधोसंरचना विकास योजना के द्वितीय चरण में ठेकेदार व उपयंत्री की सांठगांठ से 67 लाख 54 हजार रुपए की गड़बड़ी का खुलासा नगर परिषद द्वारा करवाई गई जांच में ही सामने आया है। वहीं जब नगर परिषद द्वारा करवाई गई जांच की पड़ताल की गई तो सामने आया कि जांच में मिली गड़बड़ी के अलावा भी कई काम अधूरे हैं। अब इस पूरे घोटाले की फाइल कलेक्टर साहब के पास पहुंच गई है। इस घोटाले की चपेट में कई पार्षद और ठेकेदार भी आ रहे हैं।

समर्पण और निष्ठा के बाद भी अपनों से मिला दर्द
अपने सेवाकाल में 1990 बैच के एक आईपीएस अधिकारी अपनी मिलनसारिता और स्वाभिमानी प्रवृत्ति के कारण सबके चहेते बने रहे। उन्होंने प्रदेश में कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई। शासन के प्रति हमेशा उन्होंने समर्पण और निष्ठा का भाव दिखाया। लेकिन सत्ताधीशों की लड़ाई में उनका यही समर्पण और निष्ठा उनके लिए दुख का कारण बन गया। दरअसल, चाटुकारिता के इस दौर में साहब स्वाभिमानी तरीके से काम करने के आदी बने रहे हैं। इसलिए उन्हें न तो सरकार और न ही अधिकारियों ने अधिक महत्व दिया। अभी हाल ही में साहब स्पेशल डीजी के पद से रिटायर हुए तो उनका दुख उस समय देखने को मिला, जब वे अपने विदाई सम्मान समारोह में शामिल नहीं हुए। इसके पीछे उनका तर्क था कि जब सेवा में रहते हुए किसी ने उन्हें सम्मान नहीं दिया तो अब विदाई सम्मान समारोह का क्या औचित्य?

रिश्वतखोरी की यह कैसी सजा मिली
प्रदेश के कमाऊ विभागों में भ्रष्ट अफसरों को किस तरह संरक्षण मिलता है, इसका ताजा नजारा हाल ही में सामने आया है। विंध्य क्षेत्र के एक जिले में सवा लाख से अधिक की रिश्वत लेते हुए लोकायुक्त ने जिस महिला अधिकारी रिनी गुप्ता को ट्रैप किया था, उन्हें ऐसी सजा मिली है, जिसे सुनकर हर कोई हैरान है। दरअसल, गत दिनों रिश्वतखोरी के मामले में जब उक्त महिला अधिकारी को लोकायुक्त द्वारा ट्रेप किया था, तो सभी को उम्मीद थी कि मैडम को निलंबित कर दिया जाएगा। लेकिन हुआ इसका उलटा। अफसरों ने उक्त अधिकारी का निलंबन की बजाए बुंदेलखंड के एक जिले के उडऩदस्ते में पदस्थ कर दिया गया। यह मामला तूल पकड़ता उससे पहले वाणिज्य कर विभाग ने संशोधित आदेश जारी करते हुए मैडम को ग्वालियर-चंबल अंचल के एक जिले में अटैच कर दिया गया। अब लोग सवाल उठा रहे हैं कि रिश्वतखोर की यह कैसी सजा?

अधर में दिल्ली की चाह
मप्र की तीन वरिष्ठ महिला आईएएस अधिकारी दिल्ली जाने की तैयारी में बैठी हैं, लेकिन उन्हें अभी तक पदस्थापना नहीं मिली है। नियमानुसार हर आईएएस को अपने कार्यकाल के दौरान कम से कम एक बार केंद्रीय पदस्थापना पर जाना जरूरी होता है। लेकिन देखा यह जा रहा है कि जो अफसर दिल्ली पदस्थापना पर जाते हैं, उनमें से अधिकांश वहीं के होकर रह जाते हैं। वर्तमान में मप्र कैडर के कई अफसर दिल्ली जाने की कतार में हैं।  सीएम ने तीन महिला आईएएस को दिल्ली जाने अनुमति दे चुके हैं लेकिन अब तक तीनों को पदस्थापना नहीं मिली है। जानकारों का कहना है कि प्रदेश में अफसरों की कमी लगातार बनी हुई है। ऐसे में सरकार नहीं चाहती है कि प्रदेश का कोई अफसर केंद्रीय पदस्थापना में जाए। इसलिए दिल्ली जाने की चाह रखने वाले अफसरों का मामला अधर में लटका हुआ है।

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