बा खबर असरदार/आर्शीवाद के साथ मदद भी

  • हरीश फतेहचंदानी
अनूप कुमार सिंह

आर्शीवाद के साथ मदद भी
निमाड़ क्षेत्र के आदिवासी जिले खंडवा में पदस्थ कलेक्टर अनूप कुमार सिंह उस दिन पसोपेश में पड़ गए ,जब एक दिव्यांग दंपत्ति अपने नवजीवन के सफर की शुरुआत से पहले जनसुनवाई में पहुंच गए। पहले तो कलेक्टर का नव दंपति ने आशीर्वाद लिया, इसके बाद दोनों ने उनसे मदद की गुहार लगाई। दरअसल, उसी दिन शादी में बंधे दिव्यांग जोड़े के पास रोजगार का कोई संसाधन नहीं था। इसलिए सरकार की योजना का लाभ लेकर मुख्यधारा में जोड़ने की गुहार इन लोगों ने लगाई। साहब उनकी गुहार सुनकर भावुक हो गए और तत्काल अफसरों को निर्देश दिया कि जल्द से जल्द इन्हें नया जीवन शुरू करने के लिए सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएं। साहब के निर्देश पर सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारियों ने उन्हें सरकारी योजनाओं से मदद
पहुंचा दी।

ट्विटर पर समस्या का समाधान
मालवा क्षेत्र के सबसे बड़े जिले इंदौर में कलेक्टरी कर रहे 2009 बैच के आईएएस अधिकारी डॉ. इलैया राजा टी अपने नवाचारों के लिए चर्चा में रहते हैं। वर्तमान में साहब ने एक ऐसा नवाचार किया है, जिसकी प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में ही नहीं राजनीतिक वीथिका और आम जनता के बीच भी खूब सराहना हो रही है। नवाचार के तहत साहब ट्विटर पर भी जनता की समस्याएं सुन रहे हैं और शिकायतों का समाधान कर रहे हैं। बता दें कि साहब आम जनता की सुनवाई और उनकी शिकायतों के निराकरण में सदैव संवेदनशील रहते हैं। उनके ट्विटर हैंडल पर गत दिवस पर एक युवक के हताशा पूर्ण संदेश लिखा, जिस पर उन्होंने संज्ञान लिया और युवक को कलेक्टर कार्यालय बुलाकर उसकी समस्याएं सुनी। ऐसे अनगिनत मामले हैं, जिन्हें साहब स्वयं संज्ञान लेकर निपटा रहे हैं। इससे साहब की लोकप्रियता बढ़ रही है।

साहब की मंशा पर पानी
प्रदेश के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए साहब ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगी है। लेकिन लगता है साहब की मंशा पर पानी फिर जाएगा। दरअसल, डीओपीटी के नियमों के कारण साहब को वीआरएस नहीं मिल पाएगा। गौरतलब है कि मप्र कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अफसर ने वीआरएस का आवेदन जरूर दिया है, लेकिन उस पर पेंच फंस सकता है। ऐसा इसलिए कि साहब की जांच चल रही है और जांच जारी रहने के दौरान वीआरएस मंजूर नहीं होता है। दरअसल, डीओपीटी का नियम है कि अगर किसी अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी के खिलाफ जांच चल रही है तो उसे वीआरएस नहीं दिया जा सकता। हालांकि साहब का कहना है कि केवल भ्रष्टाचार के मामले में ऐसा होता है। अब देखना यह है कि साहब की मंशा पूरी होती है या नहीं।

तीसरी शादी की तैयारी में साहब
2014 बैच के एक आईएएस अधिकारी इन दिनों अपनी संभावित तीसरी शादी के लिए चर्चा में हैं। वर्तमान में साहब महाकौशल क्षेत्र के एक जिले के कलेक्टर हैं। साहब के बारे में कहा जाता है कि उनका कैरेक्टर भले ही नहीं बदला है, लेकिन उन्होंने शादी करके किसी का कैडर जरूर बदलवा दिया है। गौरतलब है कि साहब ने पहली शादी छत्तीसगढ़ कैडर की एक महिला आईएएस से की थी। साहब से शादी के बाद मैडम को भी मप्र कैडर मिल गया। बाद में दोनों का तलाक हो गया। उसके बाद साहब ने आंध्र प्रदेश कैडर की एक महिला अधिकारी से दूसरी शादी की। उक्त महिला आईएएस को भी मप्र कैडर मिल गया। सूत्रों का कहना है कि अब साहब का दिल एक अन्य महिला अधिकारी के साथ लग गया है। ऐसे में अब साहब अपने कैडर की महिला अधिकारी के साथ तीसरी शादी करने की तैयारी कर रहे हैं।

एक विभाग में दो ईडी
मप्र वाकई अजब है, गजब है। यहां कई विभागों में अफसरों की कमी है तो वहीं एक विभाग में दो ईडी (एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर) पदस्थ कर दिए गए हैं। यह मामला प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए गठित विभाग का है। बताया जाता है कि इस विभाग में पहले से ही एक ईडी पदस्थ थे, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर एक और ईडी की पदस्थापना कर दी गई है। बताया जाता है कि ये दोनों ईडी मालवा के सबसे बड़े जिले में पदस्थ रहे एक कलेक्टर के खास हैं। कलेक्टर साहब की वहां से रवानगी हो गई है, लेकिन उनके खास ये दोनों अधिकारी अभी भी विभाग में पदस्थ हैं। सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसी क्या नौबत आ गई कि एक ही विभाग में एक ही काम के लिए दो ईडी पदस्थ करने पड़े हैं। गौरतलब है कि यह विभाग लक्ष्मी कमाने वालों पर खूब कृपा बरसाता है। इसलिए प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में यह चर्चा भी जोरों पर है कि ये दोनों अधिकारी किसी टारगेट के तहत पदस्थ किए गए हैं।

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