- कीर्ति राणा

बिजली मंत्री को लगा जोर का झटका
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए विधायकों के नखरे उठाना तो शिवराज सिंह की मजबूरी है, लेकिन पूर्व मंत्री इमरती देवी ने प्रद्युम्न सिंह तोमर को ऐसा झटका दिया है कि वो समझ नहीं पाए कि भाजपा में रहते इमरती देवी कांग्रेस नेताओं जैसे तेवर क्यों दिखा रही हैं। अपने डबरा क्षेत्र में निरंतर बिजली संकट का हल नहीं निकलने पर व्यापारियों को साथ लेकर इमरती हाल ही में तोमर के पास जा पहुंची और चेतावनी वाले लहजे में जो कुछ कहा वह तोमर के लिए तो अप्रत्याशित ही था।यह सुन कर तो साथ आए लोग भी चौंक गए कि संकट का स्थायी हाल नहीं निकला तो वे घर वापसी भी कर सकती हैं।
भंवर में फंसने को तैयार शेखावत
अपने आक्रामक बयानों से मुख्यमंत्री और संगठन की चिंता बढ़ाने वाले पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत ने सीएम से मुलाकात के दौरान साफ कह दिया है कि यदि संगठन के नेता आप की नहीं सुनते हों तो आप मेरी तो सुन ही लीजिये। बदनावर से और इंदौर की किसी सीट से टिकट देने में परेशानी हो तो किसी भी हारी हुई सीट से टिकट तो दे सकते हैं। चुनौती के ऐसे हर भंवर में फंसने को तैयार शेखावत ने कह दिया है टिकट वितरण से एक माह पहले तक तो पॉजिटिव मैसेज का इंतजार करुंगा।
दिन आ गए हैं मनुहार के…!
हजारों लोगों के लिए अपने दम पर सतत 8-9 दिन भोजन-भंडारा करने वाले क्षेत्र क्रमांक दो के विधायक रमेश मेंदोला यदि कार्यकर्ताओं के साथ टिफिन पार्टी कर के संवाद करें ,तो मान लेना चाहिए मान-मनुहार वाले दिन आ गए हैं। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की तर्ज पर उन्होंने भी टिफिन पार्टी शुरु कर दी है। क्षेत्र क्रमांक दो वाले उनके समर्थक तो इसलिए खुश हैं कि कोई और नहीं दादा दयालु का इसी क्षेत्र से लडऩा तय हो गया है।
बस 15 दिन ही…!
प्रदेश में चुनाव से पूर्व मंत्रियों के लिए तो पंद्रह दिन के लिए ही तबादलों का मौसम खुल गया है। पर इस पखवाड़े से ज्यादातर मंत्री ही खुश नहीं है, कारण यह कि सिंधिया समर्थक तो ठीक शिवराज समर्थक मंत्रियों को भी यह डर सता रहा है कि इस बार उन्हें टिकट मिलेगा या नहीं इस कारण वह यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि अपने किन पसंदीदा अधिकारियों को लाएं, किस कार्यकर्ता की खुशी को तवज्जों दे। तबादलों का मतलब है कुछ भला होने के दिन लेकिन , तबादला नीति में तरह -तरह के नियमों की अड़ंगेबाजी से कई मंत्री नाखुश हैं लेकिन सार्वजनिक रूप से कुछ कह नहीं सकते।
कौन जाने मन की बात
यह ठीक है कि शिवराज सिंह को ही चौथी बार मुख्यमंत्री बनाना रणनीति का हिस्सा था। पांचवी बार फिर सत्ता बना कर मप्र चुनाव में कीर्तिमान बनाने का सपना देख रही भाजपा, पिछले चुनाव जैसा फ्री हैंड अब देने वाली नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बाद अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री मोदी के आने-जाने का सिलसिला अब लगा रहेगा।ऐसा नहीं कि इन सब के आगमन से सारी परेशानियां दूर हो ही जाएंगी, क्योंकि कर्नाटक के रोड शो, सभा, हिजाब, बजरंगबली जैसे मुद्दों के बाद भी जनता ने अपने ‘मन की बात’ कहां सुनाई किसी को।