खबरें असरदारों की/कलेक्टर का कॉपी पेस्ट

  • विनोद उपाध्याय

कलेक्टर का कॉपी पेस्ट
माफिया के खिलाफ छापामार कार्रवाई कर सुर्खियों में आए ग्वालियर-चंबल अंचल के एक जिले के कलेक्टर साहब गत दिनों अपने एक आदेश के कारण विवादों में फंस गए। साहब की शिकायत चुनाव आयोग में पहुंची, तब साहब को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्हें अपना आदेश बदलना पड़ा। दरअसल, कलेक्टर साहब ने 14 नवंबर को जारी आदेश में कहा था कि मतदान के दिन मतदाताओं को किसी प्रकार के प्रलोभन से बचाने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। मतदान के दिन सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक सभी प्रकार के वाहनों को लेकर चलने पर प्रतिबंध लगाया जाता है। इसमें दो पहिया वाहन साइकिल, मोटर साइकिल और स्कूटर भी शामिल हैं।  जब साहब को अपनी गलती का अहसास हुआ तो, उन्होंने अपना आदेश बदला और बताया कि 2018 के चुनाव वाला प्रतिबंधात्मक आदेश इस बार जारी कर दिया गया था। यानी पिछले चुनाव का आदेश कॉपी पेस्ट कर दिया गया था।

सजा बनी नजीर
मप्र में ग्वालियर-चंबल अंचल की तासीर ही कुछ ऐसी है, कि यहां बिहार-यूपी की तरह अपराध घटित होते हैं। यहां अपराधों का ग्राफ भी अधिक है। इस कारण यहां के लगभग हर कस्बे-गांव में कई लोग सलाखों के पीछे रहते हैं। इस बीच ग्वालियर कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने एक अपराधी को ऐसी सजा दी, जो नजीर बन गई है। दरअसल, विधानसभा चुनाव के दौरान असामाजिक तत्व माहौल खराब न कर सकें, इसलिए कलेक्टर द्वारा आसामाजिक तत्वों पर जिला बदर और अन्य कार्रवाई की गई। इसी दौरान साहब द्वारा एक अपराधी को पुलिस थाने में हाजिरी देने एवं फलदार एवं छायादार पौधे रौपकर उनकी देखभाल करने के निर्देश दिए हैं। बताया जाता है कि इस सजा से सबक लेते हुए उक्त अपराधी ने भी कसम खाई है कि भविष्य में वह भी कोई ऐसा काम नहीं करेगा, जो अपराध की श्रेणी में आए।

साहब का नवाचार
2013 बैच के एक आईएएस अधिकारी छतरपुर कलेक्टर संदीप जीआर एक बार फिर अपने एक नवाचार के कारण चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। वर्तमान में साहब बुंदेलखंड के एक जिले के कलेक्टर हैं। चुनावी बेला में जब यह सवाल उठने लगा कि जिले के अधिकांश मतदाता रोजगार और पढ़ाई के सिलसिले में बाहर हैं तो साहब ने सबसे पहले सभी की मोबाइल नंबर सहित सूची बनवाई। उसके बाद जिले से बाहर रहने वाले लोगों को मतदान के लिए आमंत्रित और प्रेरित करने के लिए मतदाता जागरूकता अभियान चलाया। कलेक्टर ने कईयों को वोट डालने के लिए कॉल भी किया। कुछ युवाओं से कहा कि आपने वोटर आईडी बनवाई है तो आप छतरपुर आकर अपनी जिंदगी का पहला वोट जरूर दीजिए। कलेक्टर साहब की बात मानकर देश के विभिन्न क्षेत्रों में रह रहे लोग अपने शहर और गांव वापस लौटे और मतदान कर कलेक्टर के नवाचार की सराहना की।

साहब की दरियादिली
2009 बैच के एक आईएएस अधिकारी एक बार फिर अपनी दरियादिली के लिए चर्चा में हैं। दरअसल जब से साहब मालवा के सबसे बड़े जिले के कलेक्टर बने हैं उनकी दरियादिली के किस्से लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। अबकी बार साहब ने ऐसी दरियादिली दिखाई है की वे हर महिला और हर मां के लिए आदर्श बन गए हैं। दरअसल, जब जिले में चुनाव ड्यूटी के लिए कर्मचारियों को मतदान सामग्री देकर मतदान केन्द्रों के लिए रवाना किया जा रहा था , इसी दौरान एक महिला टीचर अपने 8 माह के  बच्चे को गोद में लेकर सुबह साढ़े 7.30 बजे मतदान सामग्री लेने के लिए पहुंची। कलेक्टर ने जब महिला टीचर की गोद में बच्चे को देखा तो उससे बातचीत की। महिला ने बताया कि छोटा बच्चा होने के साथ ही उसे बुखार भी है। इसलिए वो बच्चे को घर पर नहीं छोड़ सकती थी। महिला टीचर की बात सुनते ही कलेक्टर ने तुरंत उन्हें अपने बीमार बच्चे की सेहत का ध्यान रखने को कहा और उनकी चुनाव ड्यूटी भी तुरंत निरस्त कर उन्हें घर भेज दिया।

साहब की कलेक्टरी खतरे में
 एक प्रमोटी आईएएस अधिकारी की कलेक्टरी खतरे में पड़ गई है। साहब ग्वालियर चंबल अंचल के एक जिले में कलेक्टर हैं। हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में गड़बड़ी के मामले में साहब सहित 4 अधिकारियों को दोषी माना है। हाई कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि इन अफसरों और कर्मचारियों ने जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी की थी। कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव में गड़बड़ी के मामले में कलेक्टर साहब पर गाज गिर सकती है। बताया जाता है कि चुनाव आयोग ने जीएडी से दोषियों की जानकारी मांगी है। दरअसल, साहब जब बुंदेलखंड के एक जिले में पदस्थ थे तब पंचायत चुनाव के दौरान उन पर गड़बड़ी करने का आरोप लगा था। अब हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला देकर उनकी परेशानी बढ़ा दी है।

Related Articles