बिच्छू डॉट कॉम: टोटल रिकॉल/किताब लिखेंगे साहब या…

किताब लिखेंगे साहब या…
आखिरकार 2002 बैच के आईएएस अधिकारी को सरकार ने उनकी मंशा पूरी करने का अवसर दे ही दिया। प्रदेश सरकार ने आईएएस बी चंद्रशेखर (नाम परिवर्तित होने के बाद समान शेखर) को राज्य सरकार ने वीआरएस के लिए सहमति दे दी है। इसके पहले उन्हें केंद्र सरकार ने अनुमति दी थी। गौरतलब है कि शेखर ने जबलपुर संभाग आयुक्त रहते सरकार से वीआरएस मांगा था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने उनसे तीन महीने का वेतन सरकार के खजाने में जमा करने को कहा था। बी चंद्रशेखर ने तीन महीने का वेतन भी सरकार के खजाने में जमा कर दिया था। इसके लिए उनका आवेदन केंद्र सरकार के पास भेजा गया था जहां से उन्हें पिछले माह मंजूरी दे दी गई। इसके बाद राज्य सरकार ने 16 जून को अपनी सहमति प्रदान कर दी। आईएएस पद से वीआरएस लेने वाले समान शेखर का कहना कि फिलहाल पुस्तक लिखने में व्यस्त हैं। साथ ही वे एक सामाजिक संगठन की जवाबदारी उठाने जा रहे हैं। इस संगठन को लेकर वो पिछले कई सालों से कार्य कर रहे हैं। प्रशासनिक सेवा के चलते वो संगठन को समय नहीं दे पा रहे थे। सूत्रों का कहना है कि यही वजह है कि अब बी चंद्रशेखर अपना पूरा समय उस सामाजिक संगठन को देना चाहते हैं। लोगों का कहना है की साहब की महत्वाकांक्षा कुछ और भी है।

उमा भारती का गुस्सा
अभी तक अपनी ही सरकार के लिए परेशानी खड़ी करती आ रही पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इस बार कांग्रेस पर हल्ला बोला है। आक्रामक हिंदुत्व का चेहरा रही उमा भारती ने गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने की घोषणा का विरोध करने पर कांग्रेस और इसके नेता जयराम रमेश को आड़े हाथों लिया है। भाजपा की फायरब्रांड नेत्री उमा भारती ने जमकर खरीखोटी सुनाते हुए पांच ट्वीट किए हैं और कहा कि कांग्रेस ने इस्लामीकरण और ईसाईकरण की राह पकड़ ली है। उमा ने लगे हाथ सोनिया गांधी को सलाह भी दे डाली कि यदि वह अपने नेताओं के प्रति सावधान न रहीं तो कांग्रेस को वोट के बदले सिर्फ घृणा एवं तिरस्कार मिलेगा। उमा भारती ने अपने ट्वीट में लिखा कि गीता प्रेस गोरखपुर का भारतीय संस्कृति, हिंदुत्व एवं अध्यात्म में हमेशा अद्वितीय योगदान रहा। हिंदू समाज के सभी धर्मग्रंथ सरल, त्रुटिहीन एवं कम कीमत पर उपलब्ध कराए गए। घर-घर में रामायण और गीता उनकी बदौलत भारत में सबको एवं विश्व में उपलब्ध कराई। उनका किसी विवाद से कभी सरोकार नहीं रहा, उनके योगदान के लिए नोबेल पुरस्कार भी कम पड़ेगा।

ऐसा मौका फिर कहां मिलेगा
पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका दौरे के बाद मप्र का दौरा करेंगे। वे 27 जून को भोपाल के बाद शहडोल जाएंगे। यहां पीएम मोदी खुले में आम के बगीचे में खाना खाएंगे। शहडोल के बुढ़ार, पकरिया में पीएम का आदिवासी समाज के साथ संवाद और भोजन का कार्यक्रम प्रस्तावित है। भोजन में परोसे जाने वाली सभी व्यंजन मोटे अनाज (मिलेट्स) से तैयार होंगे। भोजन बनाने कोई विशेष कुक नहीं, बल्कि आदिवासी ही बनाएंगे। प्रधानमंत्री के लिए खाना बनाने और उनके साथ खाने का अवसर मिलने से आदिवासी काफी उत्साहित हैं। उन्हें मालुम है कि ऐसा अवसर फिर कहां मिलने वाला है। इसलिए वे पूरे मनोयोग से तैयारियों में लगे हुए हैं। बताया जा रहा है कि पीएम बगीचे में भोजन के साथ ही पेसा प्रतिनिधियों,फुटबॉल खिलाड़ी और जनजाति समाज के मुखिया से संवाद करेंगे। खास बात यह है कि इसी दौरान पीएम नरेंद्र मोदी लखपति दीदियों से भी बातचीत करेंगे। प्रधानमंत्री से बातचीत के लिए दीदियों को छांटा जा रहा है। 64 हजार में से 100 लखपति दीदियों की सूची तैयार की गई है।

अब नहीं बिछेगी चुनावी चौसर
अपने गृह जिले की एक विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे एक वरिष्ठ अधिकारी की मंशा पर सरकार ने पानी फेर दिया है। 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी स्पेशल डीजी पीएचक्यू भोपाल पुरुषोत्तम शर्मा के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन किया था जिसको सरकार ने निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही चुनावी चौसर बिछाने की तैयारी कर रहे साहब को अब अपने रिटायरमेंट का इंतजार करना होगा। गौरतलब है कि उन्होंने वीआरएस के लिए गत 31 मई को आवेदन दिया था। जानकारी के मुताबिक शर्मा की दो विभागीय जांचों के चलते वीआरएस के आवेदन को निरस्त किया गया है। इस मामले में स्पेशल डीजी शर्मा ने कहा कि उनका आवेदन नियम विरुद्ध निरस्त किया गया है, क्योंकि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति हर अधिकारी कर्मचारी का हक है। उन्होंने कहा कि सिविल सर्विस कंडक्ट रूल में कहीं भी वीआरएस से रोक का नियम नहीं है, बल्कि कंडक्ट रूल में कहा गया है कि वीआरएस के आवेदन पर तुरंत राज्य शासन को फैसला करने का प्रावधान है। इसके बाद अगर अधिकारी का निलंबन भी होता है, तो भी वीआरएस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

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