
सरकार को महंगे दामों पर भी नहीं मिल रही बिजली
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि बारिश कम होने से बिजली की मांग बढ़ी है। हम 10 रुपए यूनिट में भी बिजली खरीदने को तैयार हैं,लेकिन कहीं से भी बिजली नहीं मिल रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले 7 हजार मेगावाट बिजली की आवश्यकता थी, जो बढक़र अब 15 हजार मेगावाट हो गई है। मैं पर्याप्त बिजली की व्यवस्था की कोशिश कर रहा हूं। परसों मैंने बिजली खरीदने की कोशिश की, लेकिन देशभर में 10 रुपए यूनिट में भी बिजली नहीं मिली। बारिश नहीं होने के कारण इस रेट में भी कोई बिजली देने को तैयार नहीं है।
तरुण भनोत के लिए जबलपुर पश्चिम सीट पर बढ़ी चुनौती
जबलपुर की पश्चिम विधानसभा सीट शहर की सबसे हॉट सीट में शामिल हो चुकी है। इस सीट भाजपा और कांग्रेस दोनों को पूर्व मंत्री दिए हैं। वर्तमान में कांग्रेस से विधायक तरुण भानोट का कांग्रेस से रिपीट होना तय है। इसके साथ ही यह भी तय है कि भाजपा इस बार यहां कोई कसर छोडऩे के मूड में नहीं दिख रही। कहा जा रहा है कि पश्चिम विधानसभा से भाजपा वर्तमान सांसद राकेश सिंह को भी उतार सकती है। इस सीट को साख का सवाल बना चुकी भाजपा मंडल स्तर पर तैयारियों में जुटी है। पूर्व मंत्री हरेन्द्रजीत सिंह बब्बू यहां परिर्वतन रैली निकाल चुके हैं, तो हाल ही में भाजपा ज्वाइन करने वाले पूर्व आईएएस वेद प्रकाश कार्यकर्ताओं से संपर्क बना रहे हैं। पूर्व युवा मोर्चा अध्यक्ष अभिलाष पांडे के धार्मिक आयोजन जारी हैं। इसी तरह से पूर्व मंत्री जयश्री बैनर्जी के परिवार से भी नामों पर मंथन जारी है।
चुनावी साल में विधायक दिखा रहे दरियादिली
अगली पारी खेलने के लिए आतुर कांग्रेस, बीजेपी, सपा, बसपा के विधायकों द्वारा विधायक स्वेच्छानुदान निधि से आर्थिक सहायता देने में जमकर उदारता दिखाई जा रही है। विधायक स्वेच्छानुदान निधि की करीब 50 फीसदी राशि 31 अगस्त पहले खर्च हो गई है। इस स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि आचार संहिता लागू होने के पहले बची हुई राशि में से 50 फीसदी से अधिक राशि भी खर्च हो जाएगी। रिपोर्ट से पता चलता है कि सभी विधायकों ने इस मद के घोषित 173 करोड़ 25 लाख रुपए में से 79.62 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं।
शर्मा व बौद्ध अधर में
होशंगाबाद से दो बार विधायक रह चुके गिरजाशंकर शर्मा को भाजपा ने रोकने-मनाने की कोशिश भी नहीं की जा रही है। कांग्रेस से वह लगातार संपर्क में हैं, लेकिन उनका कांगे्रस में प्रवेश अटक गया है। इसी तरह से बसपा से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस में दस्तक देने को तैयार पूर्व मंत्री महेंद्र बौद्ध का मामला भी नहीं सुलझ पा रहा है। इस वजह से यह दोनों नेता फिलहाल अधर में दिख रहे हैं। शर्मा भाजपा के टिकट पर 2003 और 2008 में विधायक बन चुके हैं। इसके बाद भाजपा ने इसके बाद उनके छोटे भाई डॉ सीतासरन शर्मा को टिकट से नवाजा। पूर्व में भी एक बार गिरजाशंकर पार्टी से बगावत कर चुके हैं। उधर, पूर्व मंत्री महेंद्र बौद्ध ने 2020 के उपचुनाव में भांडेर से टिकट न मिलने पर कांग्रेस छोडक़र बसपा ज्वाइन कर ली थी। इस चुनाव में उन्हें हार का बुरी तरह से सामना करना पड़ा था।