
आईएएस नियाज ने कसा अजीज करैशी पर तंज
मप्र कैडर के आईएएस अधिकारी नियाज खान ने पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी के बयान पर तंज कसा है। खान ने कहा कि भारत में 80 प्रतिशत हिंदू रहते हैं। राजनीतिक दल यदि इनका प्रतिनिधित्व भी करते हैं तो गलत क्या है। अगर ये पार्टियां हिंदुओं की बात नहीं करेंगी तो किसकी करेंगी? हिंदू विश्व की सबसे सहनशील कौम है। मुसलमानों को समझना और दिल बड़ा करना पड़ेगा। एक दिन पहले ही लटेरी में कुरैशी ने कहा था कि कांग्रेस का सॉफ्ट हिंदुत्व डूब मरने की बात है। कांग्रेस के लोग आज धार्मिक यात्राएं निकालते हैं।
ई-टेंडर स्कैम में मन्टेना के खिलाफ ईडी का केस खारिज
तेलंगाना हाई कोर्ट ने ई-टेंडरिंग स्कैम में एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट द्वारा मैक्स मन्टेना कंपनी पर दर्ज प्रकरण को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने निर्णय में कहा कि मामले में जो टैंपरिंग के आरोप थे, उन पर सबूत पेश नहीं किए जा सके। हाई कोर्ट के निर्णय से ग्रुप के प्रमोटर एवं मुख्य आरोपी एमएस राजू को राहत मिल गई है। कंपनी ने एमपी सिंचाई विभाग के 1030 करोड़ के टेंडर के लिए ई-टेंडरिंग में बोली लगाई थी। आरोप लगे थे कि 2016 से ई-टेंडरिंग में बड़े पैमाने पर गड़बडिय़ां हुईं थी। इस पर ईओडब्ल्यू ने एफआईआर की थी, बाद में ईडी ने प्रकरण दर्ज किया था। हाई कोर्ट ने कहा है कि टेंडर ज्वाइंट वेंचर कंपनी ने निकाले न कि मैक्स मन्टेना ने जिसमें पिटीशनर डायरेक्टर हैं।
विधायक जंडेल की मुश्किलें बढ़ना तय
श्योपुर से कांग्रेस विधायक बाबू जंडेल सिंह के खिलाफ एमपी-एमएलए कोर्ट में सुनवाई के दौरान बीेते रोज एसआई माधवी शाक्य ने शपथ पत्र प्रस्तुत किया और बयान भी दर्ज कराए। उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस विधायक ने फोन पर बातचीत के दौरान उन्हें गाली दी थी। इसके संबंध में सीडी और पेन ड्राइव भी पेश की गई। सीडी को कोर्ट में चलाया गया, जिसमें एसआई और विधायक के बीच की बातचीत रिकॉर्ड की गई है। इसके साथ ही न्यायालय में बातचीत की ट्रांसक्रिप्ट भी पेश की गई। दरअसल, 17 मार्च 2023 को वाहन छुड़ाने के लिए कांग्रेस विधायक ने एसआई माधवी शाक्य को फोन किया था। मामला इतना बढ़ गया कि कथित रूप से विधायक ने एसआई के साथ अभद्र भाषा में बात की। 18 मार्च को पुलिस थाना श्योपुर देहात में प्रकरण की एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
नाराजगी के साथ ही निगमायुक्त पर 25 हजार रुपए की कास्ट लगाई
इंदौर में बारिश के दिनों में होने वाले जलजमाव और बदहाल ड्रेनेज व्यवस्था से जनता त्रस्त है। हाई कोर्ट इस मामले में बहुत गंभीर है, लेकिन नगर निगम बेपरवाह है। इस समस्या को लेकर दायर जनहित याचिका पर नगर निगम ने लंबे समय से जवाब ही पेश नहीं किया। नौ बार हाई कोर्ट के समक्ष याचिका लग चुकी है, लेकिन निगम के वकील खाली हाथ कोर्ट के समक्ष हाजिर हो गए। मंगलवार को निगम का कोर्ट के समक्ष निरूत्तर हाजिर होना भारी पड़ गया। निगमायुक्त पर 25 हजार रुपए की कास्ट लगाई है। चीफ जस्टिस ने दो साल से जवाब पेश नहीं करने, नौ बार अर्जी लगने पर जवाब के लिए समय मांगने पर कड़ी फटकार भी लगाई है। उन्होंने मौखिक रूप से कहा कि यह क्या लापरवाही है। जनहित से जुड़ी समस्या पर ही जवाब नहीं दिया जा रहा है। कोर्ट ने सख्ती के साथ दो सप्ताह में जवाब पेश करने. के आदेश नगर निगम को दिए हैं।