
पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिलने से नए अवसर बनेंगे
मप्र के पास प्राकृतिक सौंदर्य, विरासत और सांस्कृतिक विविधता का अद्भुत खजाना है, जिसे और सशक्त बनाने की आवश्यकता है। पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिलने से पर्यटन क्षेत्र को राज्य सरकार की औद्योगिक नीतियों का लाभ मिल सकेगा। इससे पर्यटन निवेश को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर बनेंगे। यह निर्देश मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश में पर्यटन विकास को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए अधिकारियों को दिए। उन्होंने बीते दिनों पर्यटन विभाग के अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक में यह बात कही। उन्होंने कहा कि पर्यटन उद्योग का दर्जा मिलने पर होटल, रिसार्ट, एडवेंचर टूरिज्म, ट्रेवल सर्विसेज़ सहित पर्यटन से जुड़े अन्य क्षेत्रों को विभिन्न प्रकार की सब्सिडी (अनुदान सहायता), कर रियायतें और अन्य प्रोत्साहन उपलब्ध होंगे। इससे निजी निवेशकों का विश्वास भी बढ़ेगा और पर्यटन ढांचा और अधिक मजबूत होगा।
पांच साल और योजना चलानी है तो कैबिनेट से लेनी होगी मंजूरी
प्रदेश में किसी भी विभाग को पांच साल और कोई योजना चलानी है तो कैबिनेट की मंजूरी लेनी होगी। वित्त विभाग ने सभी विभागों से कहा कि ऐसी योजना की विश्लेषण रिपोर्ट दी जाएगी ताकि विभाग अपने अभिमत के साथ इन्हें कैबिनेट के सामने रख सके। इसमें विभागों को यह बताना होगा कि वे योजना को क्यों निरंतर रखना चाहते हैं। अभी तक इससे क्या लाभ हुआ है और आगे क्या परिणाम आएंगे। प्रदेश में केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाएं ऐसी हैं, जो लंबे समय से चली आ रही हैं। इनमें अनुसूचित जाति-जनजाति विकास, अधोसंरचना विकास से जुड़ी योजनाएं हैं। इनके लिए केंद्रांश भी मिलता है औ राज्यांश भी दिया जाता है। 16वें वित्त आयोग की अवधि एक अप्रैल 2026 से 31 मार्च 2031 तक पांच साल रहेगी। आयोग की अनुशंसा पर राज्य को मिलने वाले केंद्रीय करों में हिस्सा, सहायता अनुदान आदि का निर्धारण होगा।
सवर्णों की बेटियों को लेकर आपत्तिजनक बयान देकर घिरे आईएएस संतोष वर्मा
अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ (अजाक्स) के नवनिर्वाचित प्रांताध्यक्ष एवं वरिष्ठ आइएएस अधिकारी संतोष वर्मा प्रांतीय अधिवेशन में सवर्णों की बेटियों को लेकर दिए बयान में घिर गए हैं। उन्होंने आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर कहा था कि यह तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए जब तक कि मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं कर दे या उससे संबंध नहीं बना दे। इस बयान की कर्मचारी और सामाजिक संगठनों ने निंदा करते हुए कार्रवाई की मांग की। मंत्रालय सेवा अधिकारी-कर्मचारी संघ के अध्यक्ष सुधीर नायक और तृतीय कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने कहा कि अजाक्स प्रांताध्यक्ष का यह बयान न केवल आपत्तिजनक है बल्कि समूचे सवर्ण समुदाय का अपमान है।
पहली बार होम्योपैथी से अधिक आयुर्वेद की सीटें रिक्त
प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है जब स्नातक पाठ्यक्रम में होम्योपैथी से अधिक सीटें आयुर्वेद की रिक्त रह गई हैं। प्रवेश के लिए तीन चरण की काउंसलिंग के बाद – शासकीय और निजी मिलाकर आयुर्वेद कालेजों में 1159 सीटें नहीं भर पाईं। होम्योपैथी और यूनानी कालेजों में में 47 रिक्त रह गई हैं। जानकारों के अनुसार आयुर्वेद कालेजों की सीटें रिक्त होने का बड़ा कारण कालेजों की अधिक संख्या है। लगातार नए निजी कालेज खुल रहे हैं, पर बीएएमएस की डिग्री पूरी करने वाले डाक्टरों में लगभग 10 प्रतिशत को ही शासकीय या निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिल पाते हैं। एसोसिएशन के प्रवक्ता डा. राकेश पाण्डेय ने कहा कि आयुष (आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी) की 2007 सीटें खाली हैं।
