बिहाइंड द कर्टन/उमा का दावा, जारी रहेगा नशा मुक्ति का काम

  • प्रणव बजाज
उमाभारती

उमा का दावा, जारी रहेगा नशा मुक्ति का काम
शराब बंदी की मांग करने वाली उमाभारती ने एक बार फिर कहा है कि वे नशा मुक्ति के लिए काम करती रहेंगी। उन्होंने भोपाल में एक समिति द्वारा आयोजित नशा मुक्त भारत अभियान के तहत विचार विमर्श में बतौर मुख्यअतिथि कहा कि जिस तरह भारत में करोड़ों लोग चाहते हैं कि समाज नशे से मुक्त हो। उसी तरह मैं भी चाहती हूं कि समाज नशे से मुक्त हो। मैं अपना काम करती रहूंगी। सुश्री भारती इसके पहले लगातार मध्यप्रदेश में शराब बंदी की मांग करते हुए आंदोलन की घोषणा करती रहीं हैं। यह बात अलग है कि वे हर बार घोषणा करने के बाद आंदोलन की तारीख दर तारीख बढ़ाती रहीं हैं। कार्यक्रम में भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी वेद प्रकाश शर्मा ने नशा पीड़ितों के साथ अपने कार्य अनुभव सुनाए। नशा पीड़ितों से संबंधित कानून बताए। सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग भोपाल संभाग के संयुक्त संचालक आरके सिंह ने सामाजिक न्याय  विभाग द्वारा नशा मुक्ति के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया। कार्यक्रम में एडवोकेट अपर्णा गीते ने नशे में होने वाले घरेलू हिंसा के मामलों की जानकारी दी एवं संबंधित कानून भी बताए। कार्यक्रम में नशे की स्थिति से संबंधित डाटा और अपने नशे में फंसने और उससे निकलने की कहानी बताई।

दिग्विजय ने लिखा पत्र, बजरंग दल नेता को बनाए हत्या का आरोपी
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर बालाघाट जिले के जिला पंचायत सदस्य रहे बब्बर सेना के प्रमुख डाली दमाहे की हत्या के शामिल अपराधियों पर कार्यवाही के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है। उन्होंने पत्र में लिखा कि इस हत्याकांड से पूरे जिले में आक्रोश का जिक्र करते  हुए लिखा है कि पुलिस द्वारा राजनैतिक दबाव के चलते विश्व हिंदू परिषद से जुड़े बजरंग दल के प्रांतीय मंत्री ललित पारेधी को आरोपी नहीं बनाया जा रहा है। उनका आरोप है कि इस मामले में प्रत्यक्षदर्शी द्वारा दिए बयान में हत्या के आरोपियों में ललित पारधी का नाम लिया है। उनका आरोप है कि पुलिस ने हत्या के इस मामले में प्रमुख आरोपी ललित को छोड़कर बाकी 11 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर खानापूर्ति की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि ललित के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया जाए। तभी माफियाओं को गड्ढे में गाड़ देने की आपकी कथनी और करनी में एकरुपता नजर आएगी।

नेता प्रतिपक्ष का नाम आमंत्रण पत्र से नदारद, विवाद
विधानसभा के संसदीय पुरस्कारों के साथ ही विवाद भी शुरू हो गया है। इस विवाद की वजह कई वजहें बताई जा रही है। इनमें चयनितों के नामों से लेकर आमंत्रण पत्र से नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ का नाम गायब रहना शामिल है। विरोध स्वरूप नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ सहित कांग्रेस विधायकों ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया। इधर, चयन समिति के वरिष्ठ सदस्य डॉ. गोविंद सिंह ने भी इसके बाद समिति से इस्तीफा दे दिया। परंपरा है कि विधानसभा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष का नाम भी रहता है, लेकिन इस आमंत्रण पत्र में सीएम, विस अध्यक्ष का तो नाम था, लेकिन नेता प्रतिपक्ष का नाम नहीं था। अपना नाम नहीं देख नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने स्पीकर को आपत्ति दर्ज कराई। डॉ.  सिंह ने भी इसे गंभीरता से लिया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि आमंत्रण पत्र में कुछ त्रुटि हुई है। इसे अन्यथा न लिया जाए। इस त्रुटि पर उन्होंने खेद व्यक्त किया। माना जा रहा था कि इसके साथ ही मामले का पटाक्षेप हो जाएगा, लेकिन दोपहर होते-होते बवाल और बढ़ गया। डॉ. सिंह ने चयन समिति सदस्य से इस्तीफा दे दिया।

कार्रवाई पर उठने लगे सवाल
कहते हैं जिसका जितना रसूख उस पर वैसी कार्रवाई। यह बात राजधानी की पुलिस पर पूरी तरह से फिट बैठती है। अगर आप आम आदमी है तो पुलिस की सख्ती के लिए तैयार रहें और अगर आप रसूखदार हैं तो फिर पुलिस की यही सख्ती नरमी में बदल जाएगी। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि पुलिस की कार्रवाई से ही यह सवाल खड़े हो रहे हैं। इसकी बानगी है यातायात पुलिस के वीडियो वायरल हो रहे हैं , तो वहीं रसूखदारों के बिगड़ेल बच्चों प्रतिबंधित वन क्षेत्र में धुप अंधेरे में रेव पार्टी और जंगल में मंगल करते पकड़े गए , लेकिन मजाल है कि पुलिस उन्हें थाने तक लाने की भी हिम्मत कर सकी हो। यही नहीं इस मामले में दो अदने लोगों पर जरुर प्रकरण दर्ज कर लिया गया है। यह दोनों भी वे लोग थे , जिनका कोई माई-बाप रसूखदार नहीं था। यह हाल राजधानी के तब है, जबकि यहां पर पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू है।

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