बिहाइंड द कर्टन/कुलस्ते नहीं चाहते प्रदेश में हो शराबबंदी

  • प्रणव बजाज
 शराबबंदी

आसान कुलस्ते नहीं चाहते प्रदेश में हो शराबबंदी
मध्यप्रदेश में भले ही कुछ भाजपा नेताओं ने शराब बंदी की मांग को लेकर झंडा उठा रखा हो , लेकिन पार्टी के ही कुछ नेता इसके विरोध में भी है। शराब बंदी का विरोध करने वाले पार्टी नेताओं में अब केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम भी शामिल हो गया है। वे कहते हैं कि अगर शराब बंदी हो गई तो फिर होटल कारोबार कैसे चलेगा। उनका तर्क है कि आज देश विदेश में बिना शराब के होटल कारोबार नहीं चल पा रहा है। हां यह जरूर है कि शराब को लेकर कुछ नियम जरूर बनना चाहिए। अगर शराब बंद हो जाएगी तो फिर सरकार को राजस्व कहां से मिलेगा। हर राज्य के राजस्व का एक प्रमुख स्रोत शराब ही है।  यह बात अलग है कि वे कहते हैं कि  मप्र में शराबबंदी होगी या नहीं इसका उत्तर मेरे पास नहीं है  शराब के दामों में कमी को लेकर कुलस्ते का कहना है कि इसके विषय में मुझे पता नहीं हैं। यह तो शराब पीने और पिलाने वालों से ही पूछें, मुझे तो शराब का दाम भी नहीं पता।

और मंत्री का ओएसडी निकला बिजली चोर
सूबे के एक मलाईदार विभाग के मंत्री पर वैसे तो लक्ष्मी जी की जमकर कृपा बरस रही है , लेकिन इसके बाद भी वे एक किराए के अदद फ्लेट का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। अपने राजनैतिक रसूख की दम पर वे इस फ्लेट को अपने पास ही रखने की मंशा पाले हुए हैं। इसकी वजह से वे मकान मालिक के बार -बार प्रयासों के बाद भी यह फ्लेट छोड़ने को तैयार नही हैं। इससे परेशाान होकर फ्लेट के मालिक ने बिजली का कनेक्शन कटवा दिया। इसके बाद भी उनके द्वारा फ्लेट तो खाली नहीं किया गया , बल्कि उनके द्वारा बिजली की लाइन से सीधे तार डालकर बिजली का उपयोग चोरी से किया जाने लगा। मामला बारह सौ पचास स्थित तुलसी टावर के एक फ्लैट का है। यह खेल करीब बीते डेढ़ साल से जारी था। इसकी बिजली विभाग को शिकायत हुई तो छापा मारा गया जिसमें ओएसडी के घर पर बिजली चोरी पकड़ी गई। अब इस मामले में ओएसडी के साथ मंत्री की भी बदनामी हो रही है। यह बात अलग है कि इस मामले में अब तक बिजली महकमे द्वारा एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है।

आते साथ ही निगम को लगा दिया अध्यक्ष ने 2 लाख का फटका
एक नेता जी एक निगम के अध्यक्ष बने तो उक्त निगम का भला करने की जगह पहले ही दिन उनके द्वारा दो लाख रुपए का फटका लगा दिया गया।  इन नेता जी को हाल ही में राजनीतिक पुनर्वास के तहत एक निगम का अध्यक्ष बनाया गया है। दरअसल नेता जी अपने समर्थकों के लाव लश्कर के साथ पदभार ग्रहण करने पहुंचे और अफसरों से कहकर उनके भोजन का प्रबंध कराने का फरमान सुना दिया। समर्थक भी ऐसे की पूरे दो लाख रुपए का भोजन चट कर गए। जब भोजन का इंतजाम करने वाले केटर ने बिल भेजा तो अफसरों की नींद उड़ गई। अब अफसर हैरान परेशान हैं कि इस राशि का भुगतान कहां से करें। फिलहाल अब इसका तरीका यह खोजा गया है कि निगम की बैठकों के खर्च केनाम पर छोटे- छोटे बाऊचर बनाकर इतनी बड़ी राशि का भुगतान कर दिया जाए। वैसे यह बता दें कि यह नेता जी उपचुनाव में हार का मुंह देख चुके हैं।

Related Articles