बिहाइंड द कर्टन/इंदौरी भू-माफिया भियाओं की जादूगरी

  • प्रणव बजाज
भू-माफिया

इंदौरी भू-माफिया भियाओं की जादूगरी
इंदौर के सटोरिए और भू-माफियाओं भियाओं में एक खास बात होती है कि, ये कानून की मार और पकड़ से बचने के लिए ऐन-केन-प्रकारेण अफसरों और नेताओं से नजदीकियां बनाने की कोशिश में लगे रहते हैं। इनमें से कई भू-माफिया भिया जिनकी नेताओं-अफसरों से नजदीकियां काम नहीं आई, सो वे अवैध कालोनियां काटने और एक प्लाट को कई-कई लोगों को बेचने के जुर्म में जेल की हवा खा रहे हैं। लेकिन जिनको लगता है कि, वो भी कभी न कभी जेल में मेहमान बन सकते हैं, सो वे आजकल इंदौर के नए प्रभारी मंत्री से किसी तरह नजदीकियां बनाने की जुगत में लगे हुए हैं। इसके लिए ये भू-माफिया भिया तरह-तरह के टोटके करने में लगे हुए हैं। कभी प्रभारी मंत्री को खुश करने या उनकी कृपा पाने के लिए अपने घर भोजन की दावत देते हैं, तो कभी अपने तथाकथित न्यूज़ चैनल पर उनका इंटरव्यू करते दिखते हैं। अब देखिए इन भूमाफिया भियाओं की जादूगरी का प्रभारी मंत्री पर कितना असर होता है।

जब मुख्यमंत्री खुद बोले- हेलो..टेस्टिंग.. हेलो टेस्टिंग  
आदिवासी गौरव दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के दौरान कोई भी किसी भी तरह की कमी न रह जाए, इस पर खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार नजर रख रहे थे। यही नहीं वे इस बीच कई व्यवस्थाओं को खुद भी परखते नजर आए। जब आयोजन की तैयारियां पूरी हो चुकीं तो उन्हें देखने पहुंचे मुख्यमंत्री मंच पर पहुंचे और खुद ही वहां लगे माइक को न केवल चलवा कर देखा, बल्कि उसकी आवाज तक का खुद ही परीक्षण किया। इस दौरान उनके द्वारा माईक से खुद ही वहां तैनात सुरक्षा व व्यवस्था में लगे अमले से आवाज आने के बारे में कई बार पूछा। माईक से बोलते हुए उनके द्वारा पहले तो खुद उसके चलने का परीक्षण किया गया, फिर आवाज लगाकर वहां पर दूर-दूर तक तैनात अमले से पूछा गया कि उन तक आवाज साफ आ रही है या नहीं। दरअसल सीएम नहीं चाहते थे कि सभा में आए किसी भी व्यक्ति को आवाज सुनने में कोई परेशानी हो।  

भाजपा संगठन ने जब हटवाए जनप्रतिनिधियों के नाम
रेलवे प्रशासन द्वारा रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के लोकार्पण समारोह के लिए जो आमंत्रण कार्ड छपवाए गए थे, उनमें दर्ज नामों को अचानक हटवाना पड़ा। इसको लेकर अब विवाद खड़ा हो चुका है। दरअसल डीआरएम द्वारा जो कार्ड छपवाए गए उसको लेकर उच्च स्तर पर किसी से सलाह मशविरा तक नहीं लिया गया था। जैसे ही यह कार्ड भाजपा दफ्तर पहुंचे तो उसमें छपे नामों को लेकर संगठन ने आपत्ति लेते हुए सीधे उच्च स्तर पर रेलवे प्रशासन से शिकायत कर दी, फिर क्या था इसको लेकर मंत्रालय स्तर से जमकर नाराजगी व्यक्त की गई। मामले को शांत करने के लिए रात में ही लोकार्पण समारोह के लिए नए सिरे से आमंत्रण कार्ड छपवाए गए और उनमें से 9 नेताओं के नाम हटा दिए गए । इनमें भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों के जनप्रतिनिधियों के नाम शामिल हैं। दरअसल पहले छपवाए गए आमंत्रण पत्र में प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय रेलवे मंत्री समेत कांग्रेस-भाजपा के 13 जनप्रतिनिधियों के नाम शामिल किए थे। बाद में छपे कार्ड में सिर्फ चार नाम ही रखे गए।

दिखी जयवर्धन सिंह और विक्रांत भूरिया की जुगलबंदी
कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के युवा पुत्रों के बीच शहीद बिरसा मुंडा जयंती के अवसर पर जुगलबंदी देखकर सभी हैरान रह गए। इसकी अपनी वजह भी है। दोनों ही नेताओं को एक दूसरे का पार्टी में अंदरुनी विरोधी माना जाता है, लेकिन जिस तरह से एक ही कार्यक्रम में दोनों नेता पुत्र गलबहियां करते नजर आए उससे आश्चर्य होना स्वाभाविक भी है। मौका था राघौगढ़ में शहीद बिरसा मुंडा की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम का। इस कार्यक्रम का आयोजन पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह द्वारा किया गया था, जिसमें बतौर मुख्य अतिथी विक्रांत भूरिया को बुलाया गया था। नगर में निकाले गए जुलूस में जहां जयवर्धन ढोल पर थाप देते हुए तो वहीं विक्रांत पारंपरिक आदिवासी शैली में नृत्य करते हुए भी नजर आए। इन दोनों ही युवा नेताओं ने आदिवासियों की पारंपरिक ड्रेस पहनी हुई थी। इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए जयवर्धन सिंह ने कांतिलाल भूरिया को आदिवासियों का सबसे बड़ा नेता तक बता दिया।

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