- प्रणव बजाज

अब उमा ने श्रीमंत के नाम के पढ़े कसीदे
भाजपा की फायरब्रांड नेता व पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती एक बार फिर चर्चा में हैं। इसकी वजह है उनके द्वारा श्रीमंत की तारीफ में कसीदे पढ़ना। एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्कार में उमा भारती ने श्रीमंत को हीरो ही नहीं कहा , बल्कि कहा है कि कांग्रेस ने अपना श्रीमंत के रुप में हीरा खो दिया है। यह कमलनाथ की भारी भूल है। उनके द्वारा श्रीमंत की भारी बेइज्जती की गई थी। इस साक्षात्कार में उमा द्वारा शराब बंदी से लेकर गंगा मंत्रालय बनने तक के किस्से बयां किए गए हैं। यही नहीं उनके द्वारा बताया गया है कि वर्ष 2000 में जब वे मध्यप्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थीं तो अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तब गुजरात के सीएम) से सलाह- मशविरा करती थीं। वर्ष 2003 में ही मोदी से शराबबंदी पर बात की थी, तब उन्होंने कहा कि तुम्हारे यहां आदिवासी बहुत हैं, पहले उनकी परंपरा और संस्कृति को देखकर राजस्व की भरपाई का रास्ता निकालो। प्रदेश में तब शराब से एक हजार करोड़ रुपए राजस्व आता था। उनका कहना है कि देश में जब कोरोना काल आया तो देखा कि लॉकडाउन में शराब नहीं पीने से कोई नहीं मरा, बल्कि अनलॉक हुआ तो फिर शराब से मौतें होने लगीं। तब फिर शराबबंदी की सोची।
जम्मू में देखी नरोत्तम ने द कश्मीर फाइल्स फिल्म
गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा बैष्णव देवी की यात्रा पर गए ,तो वहां वे जम्मू के बेव माल में कश्मीरी पंडितों के साथ द कश्मीर फाइल्स फिल्म देखने पहुंच गए। फिल्म देखने के बाद उन्होंने कहा कि दिमाग पर पड़े परदे हटाने वाली फिल्म है। उन्होंने इस फिल्म के लिए निर्माता विवेक अग्निहोत्री को धन्यवाद देते हुए कहा कि कम्युनिष्ट सोच वाले लोगों ने किस तरह से इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया है। ऐसी कल्पना नहीं थी। भारत के टुकड़े करने की बात पहले भी देखने एवं सुनने में आई है। उसकी परतें प्याज के छिलकों की तरह छीलने वाली यह फिल्म है। उन्होंने कहा कि देश के नौजवानों से प्रार्थना करता हूं कि वह फिल्म देखें और गुजरे हुए वक्त को देखकर आने वाले वक्त की कल्पना भी करें। देश में कहीं ऐसा न हो, इसकी चिंता भी करें। फिल्म को एक नहीं अनेक बार देखकर आत्मसात करिए।
कमलनाथ सरकार गिरने की दूसरी वर्षगांठ
प्रदेश में कांग्रेस नेता व कार्यकर्ता आज 20 मार्च का दिन शायद ही याद करना चाहें। इसकी वजह है दो साल पहले आज के ही दिन सूबे में 15 माह पहले बनी कमलनाथ सरकार का गिरना। डेढ़ दशक के संघर्ष के बाद जैसे -तैसे प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में सफल हुए कमलनाथ को उनके ही करीबियों ने उन्हें अंधेरे में रखकर सरकार गिरवाने का काम कर दिया था। पार्टी में हुए विद्रोह की वजह से उनकी सरकार आज के ही दिन अल्पमत में आ गई थी , जिसकी वजह से नाथ को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। तत्कालीन कांग्रेस नेता श्रीमंत ने अपने समर्थक विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ दी थी। इसकी वजह से ही 23 मार्च 2020 को शिवराज सिंह चौहान को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का मौका मिल सका। 2018 में नाथ के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार बनी थी। शुरुआत से ही यह अंतर्विरोधों से घिरी रही। सरकार द्वारा श्रीमंत की अनदेखी करना भारी पड़ गया था। सरकार में असंतोष की जानकारी होने के बाद भी नाथ के रणनीतिकार उन्हें सिर्फ बहुमत की दिलासा देते रहे और किया कुछ भी नहीं।
आखिर भूरिया ने करवा ही दी पटेल की छुट्टी
दिग्विजय समर्थक कांग्रेस के एक नेता महेश पटेल को पार्टी के सबसे बड़े आदिवासी चेहरे पूर्व केन्द्रीय मंत्री व झाबुआ से कांग्रेस विधायक कांतिलाल भूरिया से पंगा लेना मंहगा पड़ गया है। पटेल को अब पार्टी से छह साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। दरअसल इन दोनों ही नेताओं के बीच अदावद जोबट उपचुनाव में शुरू हुई थी , जिसके बाद कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही है। हाल ही में जब भूरिया अपने बेटे के साथ जोबट के भगोरिया हाट से लौट रहे थे तब रास्ते में उनके वाहन पर पथराव हो गया था। इसका आरोप अलीराजपुर के पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष महेश पटेल पर लगने के बाद उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। दरअसल पटेल और भूरिया के बीच पुराना विवाद है। उपचुनाव के दौरान जोबट से पटेल को उम्मीदवार बनाया गया था। पटेल ने हार का ठीकरा भूरिया परिवार पर फोड़ा था।