बिहाइंड द कर्टन/सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने दी दाऊद गैंग को चुनौती

  • प्रणव बजाज
 प्रज्ञा ठाकुर

सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने दी दाऊद गैंग को चुनौती
सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने हत्या का थ्रेट कॉल करने वालों को चुनौती देते हुए ट्वीट किया है। जिसमें उनके द्वारा लिखा गया है कि हां, मैं भोपाल में हूं। हिंदुओं के हत्यारे भगोड़े दाऊद और इकबाल कासकर के छर्रों द्वारा मेरी हत्या की धमकी- अब उनके स्लीपर सेल सक्रिय 18 को धमकी और 20 को हत्या! अरे धमकी देने वाले तुम्हारा दम भारत आने की नहीं और मुझे मारोगे? मुझे ठोकना भी आता है। प्रज्ञा ठाकुर को 18 जून की देर रात जान से मारने की धमकी भरा फोन आया था। मामले के ठीक दो दिन बाद सोमवार को सांसद ने सोशल मीडिया पर बयान जारी किया। इससे पहले प्रज्ञा को अश्लील वीडियो कॉल किए जाने का मामला सामने आया था। कॉल पर लड़की ने कपड़े उतारना शुरू कर दिया था। प्रज्ञा ठाकुर ने वीडियो कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया था। इसके बाद आरोपियों ने वीडियो रिकॉर्डिंग भेजकर रुपए मांगे थे। इस मामले में पुलिस ने आरोपियों को राजस्थान से गिरफ्तार किया था।

और रिश्वत की खुल ही गई पोल
प्रदेश में आए दिन पकड़े जा रहे रिश्वतखोर अफसर व कर्मचारियों के बाद भी मौका मिलते ही सरकारी अमला अपनी जेब भरने से नहीं चूकता है। अब एक ऐसा ही  मामला सामने आया है, जिसमें एक अफसर ने कलेक्टर के नाम पर ही एक लाख रुपए की घूस ले ली और उसे हजम भी कर गया। कलेक्टर मैडम को भी कई दिनों तक इसकी हवा नही लगी, लेकिन भोपाल आयीं तो पीड़ित की शिकायत का पता चला तो वे हतप्रभ रह गईं। दरअसल एक जिले में पदस्थ खनिज अफसर ने एक अवैध रेत का डंपर पकड़ लिया। डंपर मालिक ने राहत के लिए काफी मिन्नतें की, जो खनिज अफसर का दिल भी पसीज गया, लेकिन उनके द्वारा कलेक्टर मैडम से राहत दिलाने के नाम पर एक लाख रुपए ले लिए गए। मामला कलेक्टर के पास पहुंचा सो उनके द्वारा डंपर मालिक पर भारी जुर्माना लगा दिया गया। इससे नाराज डंपर मालिक ने भोपाल में उसकी शिकायत कर दी। अब शिकायत के बाद पोल खुल गई।

कलेक्टर साहब की हसरत रह गई अधूरी
सूबे के एक बेहद महत्वपूर्ण और बड़े जिले के कलेक्टर की सरकार में तूती बोलती है। प्रशासन हो या शासन उनकी मर्जी के बगैर उनके जिले में पत्ता भी नहीं हिलता है। साहब का रसूख ऐसा है कि जिले में कौन अधिकारी पदस्थ होगा और कौन नहीं, यह भी उनकी मर्जी पर ही निर्भर रहता है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के भी कई नेता उनके दर पर हाजरी लगाते देखे जा सकते हैं। ऐसे  में उन्हें अब लगा की जिले की राजनीति भी उनके हिसाब से ही चले, जिसके चलते अपने रसूख की दम पर उनके द्वारा अपने एक चहेते चिकित्सक को महापौर बनाने के प्रयास तक किए गए,लेकिन साहब की दाल नहीं गल सकी। इसकी वजह है जिस दल के प्रत्याशी के लिए वे पूरी ताकत लगाकर भोपाल और मीडिया तक में नाम चलवा चुके थे, उसके खिलाफ जिले का पूरा संगठन एकजुट हो गया। ऐसे में कलेक्टर साहब और चिकित्सक दोनों के अरमान धरे के धरे रह गए।

और मंत्री जी के चेहरे का उतर गया रंग
सूबे के एक मलाईदार विभाग के मंत्री जी इन दिनों बेहद परेशान चल रहे हैं। इस परेशानी की वजह है उनकी रंगीन मिजाजी में खलल पड़ना। यह खलल किसी और ने नहीं बल्कि उनकी धर्म पत्नी ने डाला हुआ है। दरअसल मौसम ने अंगड़ाई लेना शुरु किया तो मंत्री जी का तनमन भी डोलने लगा। फिर क्या था साहब अपनी एक प्रेयसी को लेकर एक आलीशान होटल के उस कोने में जा बैठे , जहां से प्रकृति का रंगबिरंगी छटा को निहारते हुए मन को सुकून देने में लग जाए । इस बीच आहट हुई तो मंत्री जी के चेहरे का रंग फीका पड़ गया। दरअसल उनके सामने उनकी धर्मपत्नी खड़ी थीं। पूछताछ में अपने राजनैतिक कौशल का परिचय देकर मंत्री जी बच तो निकले, लेकिन इसके बाद से वे अब अपने करीबियों को शक की निगाहों से देख कर उसका पता लगाने के प्रयासों में लगे हुए हैं।

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