- प्रणव बजाज

मंत्री परमार की बढ़ी मुश्किलें
शि व सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार पहले से ही अपने विभाग के अफसरों से परेशान चल रहे हैं, ऐसे में उनकी बहू द्वारा खुदकुशी किए जाने के मामले ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। यह बात अलग है की वे सरकार में हैं और मंत्री भी हैं सो उनकी मुश्किलें आमआदमी की तुलना में बेहद कम हैं। लोगों में खुदकुशी के कारणों को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। खास बात यह है की अंतिम संस्कार से लेकर घर वापसी तक उनके समर्थकों ने किसी को भी जेब से मोबाइल निकालने तक की अनुमति नहीं दी। इसकी वजह भी लोगों को समझ नही आ रही है। हद तो यह हो गई जिस युवती ने फांसी लगाई है उसके भाई को भी बोलने नहीं दिया गया है। खैर मामला अब पुलिस के पास है , लेकिन पुलिस मामले की जांच किस तरह से आगे बढ़ाती है, यह तो भविष्य में ही पता चल सकेगा।
आते ही बैंटिग करने लग गए चौकसे
जुमा-जुमा चार दिन ही हुए हैं आशुतोष चौकसे को एपएसयूआई का प्रदेशाध्यक्ष बने हुए , लेकिन जिस तरह से उनका एक आडियो व चैट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है , उससे तो यही कहा जा सकता है की वे आते ही बैंटिग करने लग गए थे, लेकिन हकीकत क्या है यह तो वे ही बता सकते हैं। दिग्विजय सिंह के समर्थक चौकसे की लाटरी हाल ही में खुली है, वे जिलाध्यक्ष से सीधे प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर पहुंचे हैं। यह बात अलग है की इस मामले में अब तक किसी भी बड़े कांग्रेस नेता ने कोई भी बयान नहीं दिया है। उधर चौकसे का कहना है की यह पूरा मामला फर्जी है और उनका प्रदेशाध्यक्ष बनना कुछ लोगों को रास नही आ रहा है। हमने इस मामले की शिकायत सायबर सेल में भी की है। फिलहाल हकीकत जो भी हो सिर मुढ़ाते ओले तो पड़ ही गए हैं।
शराब माफिया के गुलाम
बैसे तो सूबे में शराब कारोबारियों से लेकर शराब माफिया तक को लेकर पुलिस का साफ्ट कॉर्नर होने की खबरें आती रहती हंै, लेकिन शहडोल जिले के धनपुरी में तो पुलिस ने हद ही कर दी। इस इलाके में पुलिस शराब ठेकेदारों पर ऐसी मेहरबान हुई की वहां पर शराब की होम डिलेवरी के साथ ही नमकीन , पानी और गिलास तक की घर पहुंच सुविधा शुरू कर दी गई। इस मामले में पुलिस की मेहरबानी की खबरें जब भोपाल तक आनी शुरू हुई तो पुलिस कप्तान को पांच पुलिस कर्मचारियों को लाइन अटैच करना पड़ गया। इसमें थाना प्रभारी सहित पांच पुलिसकर्मी शामिल हैं। वैसे भी लाइन अटैच को कोई सजा नहीं माना जाता है। इसकी वजह है कुछ दिनों बाद फिर से उनकी थानों में वापसी हो जाती है।
जब माननीय को करनी पड़ी मनुहार
हाल ही में एक माननीय की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें यह माननीय एक अफसर से कम कमीशन लेने की गुहार लगा रहे हैं। वैसे बता दें कि इन माननीय का राजनैतिक रसूख बहुत अधिक है , लेकिन वे भी अफसरशाही का शिकार बने हुए हैं। यह पूरा मामला राजधानी से सटे एक जिले का है। यहां के क्षेत्रीय विधायक प्रशासनिक अमले से गुहार लगा रहे हैं की कमीशन लो , लेकिन कम लो। यह वे विधायक हैं, जिनकी कांग्रेस सरकार में जमकर तूती बोलती थी। वे यहां तक कह रहे हैं की कम से कम विधायक निधि से होने वाले कामों में तो इस बात का ख्याल रखा ही जाना चाहिए। इसके साथ ही वे यह कहकर अपनी बेचारगी जता रहे हैं कि उन्हें भी तो जनता को जवाब देना होता है। दरअसल प्रदेश में ऐसा सरकारी स्स्टिम बन चुका है, जिसमें बगैर लेनदेन के शायद ही कुछ काम हो पाएं, और वह भी निर्माण वाले तो कतई बगैर लेनेदेन के होना संभव नहीं होता है। इसके पहले भी इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं।