
- प्रणव बजाज
जारी है मुलाकातों का दौर
पहले वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह और फिर कांतिलाल भूरिया के बाद अब पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह सूबे के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से मिलने उनके बंगले पर पहुंचे तो सियासी अटकलों का दौर शुरू हो गया, लेकिन अजय सिंह ने यह कहकर इन अटकलों पर विराम लगाने का प्रयास किया है कि वह तो अपने इलाके की कुछ समस्याओं को लेकर गृह मंत्री से मिलने आए थे। दरअसल जिस तरह से इन नेताओं की बंद कमरे में लंबी मुलाकातों का दौर चला है उससे सियासी अटकलें शुरू हो जाती हैं। इसकी बड़ी वजह है प्रदेश में चलाए गए आॅपरेशन लोटस में गृहमंत्री की प्रमुख भूमिका का होना। यह मुलाकातें भी ऐसे समय हो रही हैं, जब कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष को लेकर इंतजार किया जा रहा है।
अब किरोड़ी बन सकते हैं तोमर की मुसीबत
केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के लिए पहले से ही उनके ही अंचल में भाई साब राजनैतिक रुप से चुनौती माने जा रहे हैं, ऐसे में अब पार्टी के ही दूसरे बड़े नेता और सांसद डॉ.किरोड़ीलाल मीणा भी तोमर के लिए नई मुसीबत बनते जा रहे हैं। दरअसल मीणा वैसे तो राजस्थान के नेता हैं, लेकिन उनके द्वारा मप्र के श्योपुर में आकर जिस तरह से हुंकार भरी है, उसे तोमर की नई मुसीबत के रूप में देखी जा रही है। दरअसल मीणा ने सार्वजनिक कार्यक्रम में चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पशुपालकों के मवेशियों को वन क्षेत्र में नहीं चराने दिया गया तो वे स्वयं ही पशुओं को लेकर लोगों के साथ 2 अक्टूबर को चराने के लिए उतर जाएंगे। वे अपने इलाके के पशुपालकों को मप्र के वनक्षेत्र में चराने से रोके जाने से नाराज हैं। यह चेतावनी उनके द्वारा श्योपुर और मुरैना जिले के वीरपुर-सबलगढ़ क्षेत्र के पशुपालकों द्वारा आयोजित सभा में दी गई है। यह वो इलाका है जो तोमर के संसदीय इलाके में आता है।
ओबीसी मामले में भूपेन्द्र की सक्रियता के मायने
मप्र में फिर से भाजपा की सरकार बनने के बाद वरिष्ठ मंत्री भूपेंद्र सिंह पूरी तरह से सरकार का पक्ष रखने में बैकफुट पर बने हुए थे, लेकिन जिस तरह से ओबीसी आरक्षण मामले में अब वे फ्रंट फुट पर दिख रहे हैं उससे उनकी सक्रियता के मायनों की खोज की जाने लगी है। इस मामले में वे ही सरकार की ओर से पक्ष रखते नजर आ रहे हैं। यह बात अलग है कि सरकार के प्रवक्ता का काम नरोत्तम मिश्रा के पास है, लेकिन वे इस मामले में दूर ही बने हुए हैं। सिंह का कहना है कि हाईकोर्ट ने जिन तीन परीक्षाओं में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर रोक लगाई थी, उन परीक्षाओं को छोड़कर मुख्यमंत्री ने शेष सभी परीक्षाओं और भर्ती में पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण पहले ही लागू कर दिया हैं। उनका कहना है कि जिस तरह से उच्च न्यायालय ने सरकार के इस फैसले पर कोई स्टे नहीं दिया, उससे राज्य सरकार के इस निर्णय को प्रारंभिक सफलता मिल गई है। उनका कहना है कि पीजी, नीट और शिक्षक भर्ती परीक्षा में कोर्ट की रोक के चलते ओबीसी को केवल 14 प्रतिशत आरक्षण ही दिया जा सकेगा, लेकिन राज्य सरकार इन परीक्षाओं में भी ओबीसी के लिए शेष 13 प्रतिशत का परिणाम रोककर रखेगी। यह शेष प्रतिशत रिजर्व रखा जाएगा।
चार्ज सीट में हुए चौंकाने वाले खुलासे
फर्जी कोर्ट का आदेश बनाकर पदोन्नति लेकर आईएएस अफसर बनने के आरोपी संतोष वर्मा के मामले में आखिरकार पुलिस ने चार्जशीट पेश कर दी है। इसमें कई चौकाने वाले खुलासे किए गए हैं। सबसे बड़ा खुलासा उनकी जिला न्यायालय के एक मजिस्ट्रेट से लगातार संपर्क में रह कर लंबी बातचीत करने को लेकर किया गया है। बताया गया है कि बीते आठ माह में वर्मा और मजिस्ट्रेट के बीच 144 बार फोन पर बात की गई है। इसमें उनके द्वारा करीब 400 मिनिट बातचीत की गई है। यही नहीं पेश की गई रिकॉर्डिंग के साथ कहा गया है कि वर्मा ने मजिस्ट्रेट को रुपए देने का दावा भी किया है। खास बात यह है कि इस मामले में 34 लोगों को गवाह बनाया गया है। उनमें अधिकांश कोर्ट कर्मी और पुलिस वाले ही हैं। फिलहाल वर्मा जेल में हैं। उन पर विशेष न्यायाधीश (सीबीआइ एवं व्यापमं) विजेंद्र सिंह रावत की कोर्ट का फर्जी फैसला बनाकर आईएएस अवार्ड लेने का आरोप है। खास बात यह है कि दोनों ने क्या बात की इसका चार्जशीट में कोई उल्लेख नहीं है।