- प्रणव बजाज

भार्गव व मुकेश की रणनीति रही सफल
कां ग्रेस के मजबूत गढ़ पृथ्वीपुर में मिली पार्टी की जीत का सेहरा अब पार्टी के दो ब्राह्मण नेताओं के सिर पर बंध रहा है। यह दोनों चेहरे हैं गोपाल भार्गव व चौधरी मुकेश चतुर्वेदी। इनमें से भार्गव जहां प्रदेश सरकार में वरिष्ठ मंत्री हैं तो मुकेश संगठन में प्रदेश उपाध्यक्ष। इन दोनों ही नेताओं को इलाके के सर्वाधिक प्रभावशाली वर्ग ब्राह्मणों की पार्टी को लेकर जारी नाराजगी दूर कर उन्हें पार्टी के पक्ष में लाने का काम दिया गया था। इन दोनों ही नेताओं ने जिस तरह से इसके लिए माइक्रोलेवल मैनेजमेंट और मोहल्ला बैठकें कर उन्हें अपने साथ लाने का प्रयास किया। वह पूरी तरह से सफल रहा। यही नहीं इन नेताओं ने इसके अलावा पार्टी में बनी भितरघात की स्थिति पर भी पूरी तरह से अंकुश लगाने में भी कामयाबी पायी। यही वजह है कि इस बेहद कठिन सीट पर भाजपा केसरिया परचम फहराने में कामयाब रही है। दरअसल भार्गव को जिला प्रभारी मंत्री होने और चौधरी मुकेश चतुर्वेदी को बतौर विधानसभा प्रभारी की वजह से यह दायित्व दिए गए थे। चौधरी मुकेश के हजारों कार्यकर्ता प्रचार थमने से ठीक पहले तक पृथ्वीपुर में मैदान संभाले रहे। तो वहीं मंत्री भार्गव भी क्षेत्र छोड़कर कहीं नहीं गए।
खुल सकती है कुछ विधायकों की किस्मत
अपेक्षा के अनुकूल उपचुनाव परिणाम आने के बाद अब प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट दिखना शुरू हो गई है। इसकी वजह से माना जा रहा है कि अब कुछ विधायकों की किस्मत चमक सकती है। इसके साथ ही कुछ मंत्रियों के विभागों में बदलाव की खबरें भी आनी शुरू हो गई है। फिलहाल शिव कैबिनेट में तीन पद रिक्त चल रहे हैं। अभी शिव मंत्रिमंडल में 31 सदस्य हैं, जबकि उनकी संख्या नियमानुसार 34 तक हो सकती है। इसकी वजह से माना जा रहा है कि तीन नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है। इस फेरबदल में किसी भी पुराने चेहरे को हटाया नहीं जाएगा। दरअसल सरकार में वापसी के बाद किए गए दूसरे विस्तार में सभी 34 मंत्री बना दिए गए थे, लेकिन बाद में हुए उपचुनाव में मंत्री इमरती देवी, ऐंदल सिंह कंसाना और गिर्राज दंडोतिया के हार जाने की वजह से यह तीन पद रिक्त हो गए थे। माना जा रहा है कि विंध्य से एक और मालवा निमाड़ से एक- एक चेहरे को शामिल किया जाना तय है।
तो क्या उमा की सक्रियता का खुलेगा मार्ग
भाजपा के लिए सबसे कठिन सीट मानी जा रही पृथ्वीपुर सीट पर जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने प्रचार में मेहनत की है और परिणाम भी अनुकूल रहे हैं। इसकी वजह से अब कहा जा रहा है कि अब उनके लिए सक्रियता का नया मार्ग खुल सकता है। वे पार्टी की ऐसी बड़ी नेता हैं जिनके द्वारा इस सीट पर सर्वाधिक एक दर्जन से अधिक चुनावी सभाएं की गई हैं। उनका पुराना गृह जिला होने की वजह से वे प्रभावशाली भी रहती हैं। इस दौरान उनके द्वारा सभाओं के अलावा जनसंपर्क और सामाजिक संगठनों से समन्वय भी बखूबी किया गया। वे इसके पहले ही चुनावी राजनीति में वापसी की इच्छा जता चुकी हैं। यह बात अलग है कि वे पूर्व की तरह प्रदेश में ही सक्रिय होंगी या फिर किसी दूसरे प्रदेश में यह अभी कयास ही लगाए जा रहे हैं। मप्र में उनकी सक्रियता को लेकर संशय की वजह मानी जा रही है उनके द्वारा नशाबंदी जैसे मुद्दे पर मप्र की शिव सरकार को बार-बार असहज स्थिति में लाना।
पचौरी अभी से चाहते हैं विस की चुनावी तैयारी
सक्रिय राजनीति से लगभग गायब हो चुके प्रदेश के कद्दावर नेताओं में शुमार पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी ने प्रदेश में कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली सीटों पर उपचुनाव में मिली हार के बाद सुझाव दिया है कि अगर पार्टी को आम विस चुनाव में बड़ी जीत दर्ज करनी है तो उसे अभी से चुनावी तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए। यह सुझाव ऐसे समय दिया गया है जब पार्टी द्वारा उपचुनाव में मिली हार की समीक्षा की जा रही है। उनका कहना है कि उपचुनाव के परिणाम निराशाजनक नहीं हैं। जीत-हार का अंतर ज्यादा नहीं है। इस दौरान उनके द्वारा भाजपा पर तंज कसते हुए कहा है कि हमारे सनातन धर्म में हर एक तिथि निर्धारित है कि किस दिन किस आराध्य देव की पूजा करना चाहिए। अगर भाजपा गोवर्धन पूजा के दिन शिव पूजा कर रही है, तो यह भी अनुचित नहीं है। इसी तरह से पेट्रोल डीजल के दामों में कटौती करने पर उनका कहना है कि यह ऊंट के मुंह में जीरा है। जिस अनुपात में पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ी हैं, उस अनुपात में यह कमी बहुत कम है।