बिहाइंड द कर्टन/और बदल गए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के सुर

  • प्रणव बजाज
 प्रज्ञा ठाकुर

और बदल गए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के सुर
भोपाल सांसद और साध्वी प्रज्ञा सिंह के अचानक एम्स की सेवाओं को लेकर बदले हुए सुर देखकर लोग नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर नौ दिन में ही ऐसा क्या हुआ है कि वे अब नाराजगी की जगह तारीफ करने लगी हैं। बीते रोज जिस तरह से उनके द्वारा भोपाल एम्स और भोपाल मेमोरियल की सेवाओं का गुणगान करती नजर आयी हैं , उससे तरह -तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। दरअसल बीते दिनों 13 और फिर 15 जुलाई को जिस तरह से साध्वी ने एम्स के संचालक को लेकर तीखे तेवर दिखाए थे, उससे लग रहा था कि वे इस मामले में आरपार की लड़ाई लड?े के मूड में हैं, लेकिन अभी चंद दिन ही गुजरे हैं कि उनके सुर पूरी तरह से बदल गए हैं। अब वे उसी एम्स की सेवाओं की तारफ की कसीदे पढ़ रही हैं। इसी तरह से जिस भोपाल मेमोरियल अस्पताल की भी उनके द्वारा तारीफ की गई है वह भी किसी को गले नहीं उतर रही है, दरअसल जब उसमें चिकित्सक ही नहीं हैं तो उसकी सेवाएं बेहतर कैसे हो सकती हैं। यह लोगों को समझ नही आ रहा है। फिलहाल साध्वी ही जाने की आखिर उनके सुर बदलने के पीछे की वजह क्या है।

बढ़ रहीं है दो विपक्षी नेताओं के बीच पीगें
कहते हैं राजनीति में कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता है। राजनीति ही ऐसा क्षेत्र हैं जहां पर न तो कोई स्थाई दोस्त होता है आर न ही कोई स्थाई दुश्मन। यही वजह है कि एक दूसरे के धुर विरोधी और विपक्षी पार्टी में होने के बाद भी दो नेताओं के बीच इन दिनों बढ़ रहीं नजदीकियां चर्चा में बनी हुई हैं। जी हां बात कर रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता सुरेश पचौरी और उनके गृह विधानसभा क्षेत्र भोजपुर के विधायक सुरेन्द्र पटवा की । यह दोनों नेता वैसे तो आमने सामने अलग-अलग दलों से चुनाव लड़ चुके हैं। इसमें पटवा जीते तो उनके बीच कड़वाहट बढ़ गई थी , लेकिन बीते कुछ समय से उनके बीच नजदीकियां बढ़ती जा रही हैं। यह बात अलग है कि पटवा ने चुनावी प्रचार के समय आमना-सामना होने पर पचौरी के पैर छूकर उन्हें सार्वजनिक रुप से अपना चाचा बताते हुए आशीर्वाद लिया था। इस बीच पचौरी के बड़े भाई का निधन हुआ तो पटवा उनके घर न केवल दुख जाहिर करने गए बल्कि एक घंटे तक बैठे भी । इसके बाद तो उनके बीच जो बातचीत का दौर शुरू हुआ, वह अब लगातार फोन पर जारी है।

कमलनाथ के गढ़ में श्रीमंत
कांग्रेस से भाजपा में आने वाले श्रीमंत शायद ऐसे पहले नेता हैं, जो भाजपा में ही अल्प समय में वो मुकाम हासिल कर चुके हैं जो उन्हें दशकों की राजनीति के बाद कांग्रेस में हासिल हुआ था। भाजपा के रणनीतिकारों ने अब उनका उपयोग मप्र में पूरी तरह से करने की तैयारी कर ली है। इसी रणनीति के तहत अब कांग्रेस में प्रदेश के सबसे बड़े नेताओं में शामिल कमलनाथ को उनके ही घर में चुनौति देने का जिम्मा अब श्रीमंत को दे दिया गया है। कांग्रेस में रहते श्रीमंत भी नाथ को अपना सबसे बड़ा विरोधी मानते थे और अब भी। उनकी वजह से ही उन्हें कांग्रेस को अलविदा कहने का कदम उठाना पड़ा है। यही वजह है कि अब 18 अगस्त को श्रीमंत नाथ के गढ़ में जाकर उन्हें चुनौती देने वाले हैं। उनके इस दौरे को प्रभावशाली बनाने के लिए अभी से तैयारी कर बाकायदा संगठन की ओर से प्रभारी तक बना दिया गया है। प्राय: श्रीमंत के दौरे की जानकारी एक हफ्ते पहले ही दी जाती रही है, लेकिन पहली बार है जब उनका दौरा कार्यक्रम न केवल 25 दिन पहले जारी किया गया है , बल्कि संगठन को भी उनके दौरे के लिए जिम्मा सौंप दिया गया है।

राज्यपाल के पास पहुंचा बक्सवाहा के जंगल बचाने का मामला
छतरपुर जिले का बक्सवाहा का जंगल काट दिया गया तो पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचेगा ही साथ ही आदिवासी परिवारों के लिए संकट खड़ा हो जाएगा। सिर्फ जंगल से हीरे निकालने के लिए जीव-जंतुओं को बेघर ना किया जाए क्योंकि यह सिर्फ जंगल ही नहीं बल्कि आॅक्सीजन का बड़ा प्लांट भी है, इसलिए इसे बचाया जाए। इस तरह की गुहार समाजसेवियों ने राज्यपाल मंगूभाई पटेल से की है। समाजसेवियों ने एक ज्ञापन सौंपते हुए राज्यपाल से आग्रह किया कि समस्त विश्व आज कोविड-19 के भीषण संकट से जूझ रहा है, जो बताता है कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ मानवता के लिए विनाश का कारण बन सकता है। प्राकृतिक संपदा को संभालना हम सबकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। छतरपुर जिले के बकस्वाहा जंगल को स्वाहा करने की योजनाबद्ध तरीके से शुरूआत हो चुकी है। यह खूबसूरत और घना जंगल की वनस्पति संपदा के साथ अनेक जंगली जीव जंतुओं का बसेरा भी है। राज्यपाल ने समाजसेवियों की बात को ध्यान से सुना और इसकी जांच का आश्वासन दिया है।

Related Articles