बिहाइंड द कर्टन/नेताओं को भारी पड़ रहा है प्रशिक्षण शुल्क

  • प्रणव बजाज
प्रशिक्षण शुल्क

नेताओं को भारी पड़ रहा है प्रशिक्षण शुल्क
कांग्रेस हाईकमान द्वारा मप्र के अपने नेताओं के लिए अगले हफ्ते बुंदेलखंड अंचल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल आरेछा में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इसमें प्रदेश के सभी पार्टी विधायकों, जिलाध्यक्षों और एआईसीसी प्रतिनिधियों को अनिवार्य रूप से उपस्थित होने को कहा गया है। इस शिविर में शामिल होने वाले पार्टी नेताओं को नेतागिरी का प्रशिक्षण दिया जाएगा और उसके गुर भी बताए जाएंगे। इस शिविर की खास बात यह है कि इसमें बुलाए गए इन लोगों से 10 हजार रुपए बतौर प्रशिक्षण शुल्क जमा कराने को कहा गया है। यह शुल्क उनसे रुकने, ठहरने और खाने के एवज में लिया जाना बताया गया है। इतनी बड़ी राशि को शुल्क के रुप में लेने की खबर के बाद से कई नेता इस जुगत में लग गए हैं कि कसी भी तरह से उन्हें इस शिविर में न जाने से मुक्ति मिल जाए। उधर, कुछ पार्टी के वरिष्ठ विधायकों का कहना है कि पैसे देकर प्रशिक्षण लेने से अच्छा है कि हम अपने अनुभव के आधार पर नए लोगों को फ्री में प्रशिक्षण दे दें। फिलहाल यह तय नहीं है कि इस शिविर में प्रशिक्षण देने के का काम किन लोगों द्वारा किया जाएगा। हालांकि इन सभी नेताओं को 7 जनवरी को दोपहर तक ओरछा पहुंचने के निर्देश दिए जा चुके हैं।  

फांसी की मांग को लेकर न्याय यात्रा शुरू
छह माह बाद भले ही शिव सरकार ने नेमावर हत्याकांड की जांच सीबीआई से कराने की घोषणा कर दी हो, लेकिन इस पूरे मामले में प्रदेश सरकार की मुश्किल कम होने का नाम नहीं ले रही है। अब इस मामले में पीड़ित आदिवासी परिवार की जीवित एक मात्र बेटी ने न्याय यात्रा निकालनी शुरू कर दी है। यह यात्रा भारती कास्डे ने बीते रोज से शुरू कर दी है। इसकी घोषणा उसके द्वारा बहुत पहले ही कर दी गई थी। भारती यह यात्रा आरोपियों को फांसी दिलाने की मांग को लेकर कर रही है। खास बात यह है कि इस यात्रा में जयस नेता और कांग्रेस विधायक डॉ. हिरालाल अलावा और कुछ अन्य संगठनों के लोग भी साथ में चल रहे हैं। यह यात्रा दस दिन बाद भोपाल पहुंचेगी । फिलहाल इस यात्रा की वजह से सरकार की धड़कने बढ़ गई हैं।

किसान नेता कक्का जी फिर गरजे
किसान नेता शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी एक बार फिर किसानों की मांगो को लेकर गरजने लगे हैं। उन्होंने धमकी दी है कि अगर उनकी मांगो को लेकर किए गए वादों पर सरकार खरा नहीं उतरती है तो वे उप्र जाने से कोई गुरेज नहीं करेंगे। उनका कहना है कि किसान आंदोलन वापस लेने से पहले सरकार ने उनकी मांगे पूरी करने का वादा किया है। सरकार अपने वादे पर कितना खरा उतरती है इसकी समीक्षा कर रहे हैं। उनका आरोप है कि मप्र में भी सरकार किसानों के मामले में उदासीन है, अगर इसमें सुधार नहीं किया जाता है तो मप्र में भी आंदोलन किया जाएगा। वे इन दिनों प्रदेश के मालवा निमाड़ अंचल में किसानों को संगठित करने के अभियान पर निकले हुए हैं। उनका पूरा फोकस अभी पांच दिनी प्रवास में सोनकच्छ, देवास, खरगोन, बड़वानी, खंडवा और हरदा पर है। उनका कहना है कि मप्र में भी किसानों पर  साढेÞ 9 हजार प्रकरण दर्ज हैं। इन्हें भी वापस लिया जाना चाहिए।

फिर शुरू हो गई नेताजी वसंत के बीच अदावद
कांग्रेस के एक वरिष्ठ विधायक और एक राजनीतिक संत के बीच अदावद जगजाहिर है। इन दोनों के बीच विवाद इतना अधिक चर्चा में रह चुका है कि उसकी गूंज कई बार विधानसभा तक में सुनाई दी। बीच में दोनों के बीच विवाद शांत हो गया था, लेकिन अब एक बार फिर वे आमने -सामने आते दिख रहे हैं। दरअसल कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह व रावतपुरा सरकार के बीच इस बार विवाद की वजह है भाजपा का प्रशिक्षण शिविर। यह शिविर रावतपुरा सरकार के आश्रम में ऐसे समय आयोजित किया गया था, जब प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया चल रही थी। इसको लेकर ही विधायक महोदय ने इस पर आपत्ति ली। इसी वजह से माना जा रहा है कि वे एक बार फिर से आमने-सामने हैं। नेताजी का ओराप था कि पंचायत चुनाव के बीच आश्रम का राजनीतिक उपयोग किया जा रहा है। इस मामले की विधायक द्वारा निर्वाचन आयोग से शिकायत भी की जा चुकी है। यह बात अलग है कि यह दोनों ही पूर्व में एक दूसरे को मात देने के असफल प्रयास कई बार कर चुके हैं।

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