हरीश फतेह चंदानी /बिच्छू डॉट कॉम।

एक्शन ऑन द स्पॉट
सरकार के मुखिया की फटकार का असर इन दिनों प्रशासन में देखने को मिल रहा है। लगभग सभी जिलों के कलेक्टर और एसपी सुशासन को मजबूत करने में जुट गए हैं। इसी कड़ी में इन दिनों 2013 बैच के आईएएस अधिकारी ऋषि गर्ग चर्चा का विषय बने हुए हैं। खेती-किसानी वाले विभाग के मंत्री जी के जिले में ये साहब बतौर कलेक्टर पदस्थ हैं। साहब जिले में प्रशासनिक कसावट लाने के लिए किसी भी समय दौरे पर निकल पड़ते हैं। आलम यह है कि साहब रात को भी किसी दूरदराज के गांव में चौपाल लगा लेते हैं और लोगों की समस्याएं सुनना शुरू कर देते हैं। यही नहीं साहब स्पॉट पर ही समस्या का समाधान कर देते हैं और लापरवाह संस्थाओं पर तत्काल जुर्माना लगाने के साथ ही शासकीय अधिकारियों, कर्मचारियों का वेतन काटने का आदेश दे देते हैं। साहब की इस कार्यशैली को जिले के लोग खूब पसंद कर रहे हैं।
कमाई के अपने तरीके
राज्य पुलिस सेवा के एक अधिकारी इन दिनों अपनी कमाई के तरीके के कारण पुलिस महकमे में चर्चित हो रहे हैं। इन साहब ने कमाई का ऐसा अनूठा तरीका अपनाया है, जिससे सांप भी मर जाए और लाठी भी नहीं टूटे। सूत्रों का कहना है कि साहब ने हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा वाले जिस तरीके को अपनाया वह यह है कि वे खुद ही मालदार और विवादित लोगों के खिलाफ किसी से शिकायत करवाते हैं फिर उसकी जांच में जुट जाते हैं। साहब की जांच ऐसी होती है कि केवल पैसे तक ही सीमित रहती है। शिकायत होने के बाद साहब तथाकथित आरोपी को तलब करते हैं और उनसे बेझिझक शब्दों में कहते हैं कि आपको केवल और केवल मैं ही बचा सकता हूं। और यह तभी संभव है, जब आप मेरी मनचाही रकम दे देंगे। केस और कानून के डर से लोग साहब की मनमानी पूरी कर देते हैं। जिन साहब की यहां बात हो रही है वे प्रदेश की राजधानी और व्यावसायिक राजधानी के बीच में स्थित एक जिले के जिला मुख्यालय पर पदस्थ हैं।
…लेकिन याराना अब भी है
प्रदेश में अक्सर नौकरशाहों की रंगीनियों के किस्से सुने जाते हैं। हनीट्रैप मामले के बाद इसमें कुछ समय का विराम आया था, लेकिन एक बार फिर अफसरों का याराना परवान चढ़ने लगा है। वर्तमान समय में जो याराना सबसे अधिक चर्चा में है, वह है एक आईपीएस अधिकारी और एक महिला एसआई का। 2014 बैच के उक्त आईपीएस अधिकारी एक जिले में पुलिस अधीक्षक के पद पर पदस्थ हैं। यहां साहब का दिल एक महिला एसआई पर इस कदर आ गया कि उन्होंने उसे अपने पास पदस्थ कर लिया था। लेकिन साहब की यारबाजी कुछ लोगों को इस कदर नागवार गुजरी कि इसकी शिकवा-शिकायतें पुलिस मुख्यालय तक पहुंच गईं। सूत्र बताते हैं कि उच्च निर्देशों के बाद साहब ने उक्त महिला अधिकारी को अपने यहां से हटाकर दूसरी जगह पदस्थ कर दिया है। लेकिन याराना अभी भी कम नहीं हुआ है।
दिल्ली वालों से बैठाना होगा तालमेल
अर्चना जायसवाल को हटाने के बाद प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी विभा पटेल को दी गई। इसको कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच समन्वय के रूप में देखा जा रहा है। लेकिन जानकारों का कहना है कि अगर विभा को इस पद पर लंबे समय तक जमे रहना है तो उन्हें दिल्ली वालों से तालमेल बैठाकर रखना होगा। दरअसल पदस्थापना के बाद से अर्चना जायसवाल दिल्ली को भूल गईं। उन्होंने मनमाने तरीके से नियुक्तियां शुरू कर दीं। यह दिल्ली वालों को नागवार गुजरी। अर्चना पर दबाव था कि वह सूची रद्द कर नए सिरे से नियुक्तियां करें। लेकिन अर्चना ऐसा नहीं कर रही थीं। ऐसे में महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष नीता डिसूजा ने अर्चना को हटा दिया। दरअसल अर्चना की नियुक्ति सुष्मिता देव ने की थी, लेकिन अर्चना को पद मिलने के छह दिन बाद देव के बजाय नीता को अध्यक्ष बना दिया गया। नीता की बात का अनसुना करना अर्चना पर भारी पड़ा।
हम खेलेंगे नहीं तो खेल बिगाड़ेंगे
यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि – हम खेलेंगे नहीं तो खेल बिगाड़ेंगे। कुछ इसी शैली में पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने आगामी चुनाव का बिगुल फूंक दिया है। भिंड की रैली ने यह साबित कर दिया है कि इस बार भी कमलनाथ का पूरा फोकस ग्वालियर चंबल की उन सीटों पर कांग्रेस को जिताना होगा जहां पर सीधा सिंधिया का दखल है। आपको पिछला उपचुनाव याद ही होगा। मुख्यमंत्री की कुर्सी से हाथ धोकर कमलनाथ ने किसी घायल शेर की तरह चुनाव में पूरी ताकत इसमें लगा दी थी कि सिंधिया के समर्थकों की सीटें जीतना ही हैं। वह सफल भी हुए थे। इस बार भी कमलनाथ चाहेंगे कि सिंधिया समर्थकों को विधानसभा न पहुंचने दिया जाए जिससे यदि भाजपा की सरकार लौटकर भी आती है तो भी सिंधिया के मुख्यमंत्री बनने की संभावना कमजोर हो जाएं।
आईएएस की बुलडोजर नीति
प्रदेश में मुख्यमंत्री ने अफसरों को माफिया के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए फ्रीहैंड दे दिया है। इसके बाद अफसर अपने-अपने तरीके से माफिया के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। लेकिन 2010 बैच के आईएएस अधिकारी कोशलेंद्र सिंह की बुलडोजर नीति की खूब सराहना हो रही है। ये साहब ग्वालियर-चंबल संभाग के एक जिले में कलेक्टर हैं। इन्होंने जिले में पदस्थापना के साथ ही भू माफिया, खनन माफिया, मिलावटखोर, चिटफंड जैसे माफिया के खिलाफ अभियान चला रखा है। लेकिन ताजा अभियान के लिए उन्होंने सबसे पहले माफिया और उसकी अवैध संपत्तियों की कुंडली तैयार करवाई है, ताकि शासन और प्रशासन पर उंगली न उठ सके। बताया जाता है कि उन्होंने बकायदा माफिया पर दर्ज केस के साथ ही अवैध जमीनों का पूरा मिलान करवाया है। अगले कुछ दिनों में साहब का बुलडोजर माफिया पर बरसना शुरू हो जाएगा।