- हरीश फतेह चंदानी

फर्जीवाड़े की कुंजी लगी हाथ
जमीनों की धोखाधड़ी और घपले-घोटाले का केंद्र रहे एक जिले में पदस्थ कलेक्टर साहब के हाथ बड़े घोटाले के सबूत हाथ लगे हैं। 2010 बैच के उक्त आईएएस अधिकारी ने जिले में हो रहे फर्जीवाड़े की जांच कराई तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं। दरअसल, साहब ने जांच तो 500 रजिस्ट्रियों की कराई थी, लेकिन पता चला कि 25 हजार से अधिक रजिस्ट्री पर डिजिटल हस्ताक्षर ही नहीं हुए हैं। फिर क्या था, साहब भी ताव में आ गए हैं और उन्होंने पूरे मामले की जांच फिर से शुरू करवा दी है। सूत्रों का कहना है कि अभी तक साहब इस मामले में अफसरों की व्यस्तता या भूल को वजह मान रहे थे, लेकिन मामला कुछ और ही है। इस कार्य से जुड़े जानकारों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि एक-एक रजिस्ट्री पर बड़ा खेल होता है। डिजिटल हस्ताक्षर जब तक नहीं होते तब तक कोई और अधिकारी उस रजिस्ट्री को नहीं देख सकता। एक कापी आवेदक को जरूर दी जाती है, डिजिटल साइन करते ही रजिस्ट्री सिस्टम में दिखने लग जाती है। एक रजिस्ट्री में कई लोगों का हिस्सा तय रहता है, सब रजिस्ट्रारों के कमरों के बाहर जो प्राइवेट लड़के खड़े रहते हैं, वह इस पूरे खेल में शामिल होते हैं। अब देखना यह है रजिस्ट्री के इस फर्जीवाड़े में कितने चेहरे बेनकाब होते हैं औश्र उन पर क्या कार्रवाई होती है।
3 किमी पैदल चलीं मैडम
प्रदेश की प्रशासनिक वीथिका में इन दिनों एक प्रमोटी आईएएस अधिकारी चर्चा का विषय बनी हुई हैं। मैडम वर्तमान में विंध्य क्षेत्र के एक जिले की कलेक्टर हैं। मैडम की सक्रियता और कड़कमिजाजी के कारण सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों में मैडम के प्रति भय का माहौल रहता है। वहीं दूसरी तरफ आम जनता मैडम को अपना सा समझती है। इसका नजारा इन दिनों सोशल मीडिया पर नजर आ रहा है। जिसमें यह दिख रहा है कि जिले की आदिवासी महिलाओं के बीच मैडम कितनी सहजता से हैं। वायरल वीडियो में कुछ आदिवासी महिलाएं अपनी समस्याओं को सुनने के लिए कलेक्टर को अपने गांव ले जाने के लिए देशी अंदाज में बच्चों की तरह जिद कर रही हैं। उनके इस अनोखे अंदाज से गांव जाने की बात पर कलेक्टर खुद को मना न कर सकीं और महिलाएं पैदल ही पहाड़ चढ़कर 3 किलोमीटर पैदल ही कलेक्टर को अपने साथ गांव ले गई। जहां उनके द्वारा लोगों से उनकी समस्याएं जानकर उन्हें हल करने के निर्देश दिए। दरअसल, उस गांव तक गाड़ी जाने का कोई रास्ता नहीं है। इसलिए मैडम को पैदल जाना पड़ा। मैडम ने उसी समय अधिकारियों को गांव तक सड़क बनाने का निर्देश भी दिया।
चोर की जान अकारथ जाए…
यह कहावत आपने सुनी ही होगी कि चोरी का माल सब कोई खाए, चोर की जान अकारथ जाए। यह कहावत प्रदेश के कई नौकरशाहों पर सटीक बैठती है। दरअसल, राजधानी में कुछ प्रभावशाली लोग ऐसे हैं, जो नौकरशाहों की काली कमाई को संभालकर रखते हैं। ऐसे में कई नौकरशाह दिवंगत हो गए और इन लोगों ने उनकी संपत्ति हड़प ली। ऐसे ही 1985 बैच के एक आईएएस का देहांत लंबी बीमारी के बाद मार्च में हो गया। इनकी भी काली कमाई शहर के दो प्रभावशाली लोगों के पास रखी थी। इन्होंने उसे अपने शागिर्दों में बांट रखी थी। लेकिन विगत दिनों एक ऐसी घटना सामने आई, जिसमें जिस प्रॉपर्टी की पावर आॅफ एटॉर्नी किसी और के पास थी उसे एक महिला ने बेच दिया। उक्त महिला दिवंगत साहब से लंबे समय से जुड़ी थी। यह बात प्रभावशाली लोगों को नागवार गुजरी और उन्होंने उक्त महिला पर एफआईआर दर्ज करवा दी। मजे की बात यह है कि दिवंगत साहब की धर्मपत्नी जिंदा है और दूसरी महिला उनकी संपत्ति बेचकर चली गई। अब लोग इस रहस्य को समझने में लगे हुए हैं। प्रशासनिक वीथिका में कहा जा रहा है कि राजधानी में कई लोग ऐसे हैं जिनके पास नौकरशाहों की बेनामी कमाई रखी हुई है।
प्रभारी सब पर भारी
प्रदेश के दो बड़े शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली इसलिए लागू की गई थी कि लोगों को त्वरित और आसानी से न्याय मिल सके, साथ ही योग्य अफसरों के हाथ में कानून व्यवस्था की कमान रहे। लेकिन देखा यह जा रहा है कि राजधानी में पुलिस कमिश्नर प्रणाली को नेताओं की सांठगांठ ने ठेंगा दिखा दिया है। इसका असर यह है कि राजधानी में थाना प्रभारी ही सब पर भारी पड़ रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजधानी की सीमाओं पर स्थित दो थानों के थाना प्रभारी सब पर भारी पड़ रहे हैं। इसकी वजह यह है कि दोनों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। एक थाना प्रभारी तो ऐसे हैं जो पुलिस कमिश्नर प्रणाली के नियमों को दरकिनार कर पदस्थ किए गए हैं। यानी ये साहब 2016 बैच के सब इंस्पेक्टर हैं, लेकिन इन्हें राजधानी के सबसे बड़े प्रवेश द्वार की रखवाली करने वाले थाने की जिम्मेदारी दे दी गई है। बताया जाता है कि इन पर संगठन के बड़े पदाधिकारी का भी वरदहस्त है। वहीं एक थाने के थानेदार ऐसे हैं जो अपने आपको रॉबिनहुड समझते हैं। ये अपने थाना क्षेत्र में फिल्मी स्टाइल से काम करते हैं। साहब पर एक मंत्री का हाथ है। इसका असर यह हो रहा है कि साहब को कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। इसका असर यह हो रहा है कि साहब अपने थानाक्षेत्र में एक विवादित जमीन पर अपना मकान बनवा रहे हैं और इसके लिए ईंट, गिट्टी, पत्थर सब जबर्दस्ती वसूल रहे हैं। शिकायतें ऊपर तक गई हैं, लेकिन कार्रवाई कुछ भी नहीं हुई है।