- हरीश फतेहचंदानी

वीडियो देख कार्यवाही
राजधानी के पड़ोसी जिले सीहोर के कलेक्टर-प्रवीण सिंह हर बार कुछ ऐसा कर जाते हैं, जिससे वे चर्चा में आ जाते हैं। सरकार के सबसे प्रिय अफसरों में शामिल साहब कानून व्यवस्था और भ्रष्टाचार को लेकर हमेशा संवेदनशील रहते हैं। इसका ताजा उदाहरण अभी हाल ही में सामने आया है। जिले के तहसील कार्यालय में पदस्थ एक कर्मचारी का रिश्वत लेने का एक वीडियो वायरल हुआ। साहब ने इस वीडियो को तत्काल गंभीरता से लिया और मामले की जांच-पड़ताल करवाई। फिर उन्होंने उक्त कर्मचारी को सस्पेंड कर दिया। साहब की इस तत्परता की जिले भर में सराहना हो रही है। गौरतलब है कि प्रदेश में भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद भी रिश्वतखोरी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। लेकिन जिस तरह उक्त कलेक्टर ने तत्परता दिखाई है, उससे अधिकारियों-कर्मचारियों में भय जरूर बैठेगा।
कलेक्टर साहब के पास समय नहीं
ग्वालियर-चंबल अंचल के एक बड़े जिले में पदस्थ कलेक्टर साहब से जिले की जनता काफी परेशान है। इसकी वजह यह है कि हर मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई से वे पूरी तरह से गायब रहते हैं। जब भी फरियादी कलेक्टर साहब के बारे में पूछते हैं तो, अधिकारी कहते हैं कि साहब दूसरे काम में व्यस्त हैं। वैसे 2014 बैच के उक्त आईएएस अधिकारी काफी तेज-तर्रार हैं, लेकिन जनसुनवाई में अक्सर खाली रहने वाली उनकी खाली कुर्सी चर्चा का केंद्र बनी हुई है। आलम यह है कि कलेक्टर साहब के नहीं होने से अन्य अधिकारी भी जनसुनवाई से गायब रहते हैं। गत दिनों जनसुनवाई में केवल एक मात्र एसडीएम ही मौजूद थे, जो आने वाले आवेदकों से आवेदन लेकर उन्हें कलेक्टर की खाली कुर्सी के सामने मेज पर गड्डी बनाकर जमा कर रहे थे। कुल मिलाकर जनसुनवाई के नाम पर जिला कलेक्ट्रेट में रस्म अदायगी का काम चल रहा है।
ताला देख भडक़े साहब
बुंदेलखंड क्षेत्र के सबसे छोटे जिले निवाड़ी के कलेक्टर अरुण कुमार विश्वकर्मा ने टीएल बैठक में सभी विभागों को निर्देश दिया था कि वे समय पर अपने दफ्तर पहुंचें तथा सरकारी कार्यों को भी समय पर अंजाम दें। खासकर आंगनवाड़ी केंद्र और स्कूलों को रोजाना समय पर खोलने के निर्देश दिए गए थे। साहब के मातहत उन्हें रिपोर्ट दे रहे थे कि सब कुछ अच्छा चल रहा है। एक दिन अनायास ही साहब जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों और स्कूलों के निरीक्षण के लिए निकल पड़े। साहब की आंखें उस समय फटी की फटी रह गई, जब अधिकांश आंगनवाड़ी केंद्रों में ताले लटकते मिले और जहां आंगनवाड़ी केंद्र खुले मिले वहां बच्चे नदारद मिले। इसके बाद साहब ने अफसरों से जवाब-तलब किया तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उसके बाद साहब ने जमकर सभी को लताड़ लगाई।
साहब की जासूसी
2011 बैच के एक प्रमोटी आईएएस इन दिनों अपनी खास जासूसी के कारण चर्चा में हैं। यह साहब ग्वालियर-चंबल अंचल के एक जिले में कलेक्टर हैं। साहब को मॉर्निंग वॉक की आदत है। एक दिन साहब जब मॉर्निंग वॉक पर निकले तो उन्हें नदी किनारे एक दूधिया टंकियों में नदी का पानी मिलामे दिखा। तभी साहब ने दूधिया के फोटो खींच लिए और वायरल कर दिए। हालांकि फोटो खींचने के बाद कलेक्टर ने दूधिया को मिलावट न करने की समझाइश दी और कहा कि वह शुद्ध दूध ही आपूर्ति करें। इस घटना से जिले में मिलावटी दूध बेचने वाले लोगों में हडक़ंप मचा हुआ है। घटना को लेकर कहा जा रहा है कि आखिर दूधिया ने घर पर दूध में पानी क्यों नहीं मिलाया। नदी का पानी ही क्यों मिला रहा था। इसके पीछे दूध का कारोबार करने वाले लोगों का कहना है कि घर में नल, हैंडपंप या कुएं का पानी मिलाने से चेकिंग के दौरान पानी की मिलावट पकड़ में आ जाती है। लेकिन जब बारिश का पानी नदी या नाले में आता है और उसे दूध में मिलाया जाता है तो वह चेकिंग में पकड़ में नहीं आता। साथ ही जांच में दूध में पूरा फेट भी आता है। ऐसे में मिलावट पकड़ी नहीं जाती।
आखिर मेरा पत्ता कब कटेगा?
मप्र में विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू होते ही एक ही स्थान पर 3 साल या उससे अधिक समय से पदस्थ अफसरों का तबादला होने लगा है। लेकिन सरकार की नाक के नीचे काम करने वाले एक अफसर सालों से तबादले की राह ताक रहे हैं। अब तो वे कहने लगे हैं कि मेरा पत्ता कब कटेगा? गौरतलब है कि साहब ने जब-जब तबादले की मंशा जाहिर की है, तब-तब उन्हें नया-नया टारगेट देकर कहा गया है कि इसे पूरा करते ही आपका तबादला आपकी पसंदीदा जगह पर कर दिया जाएगा। लेकिन विडंबना यह है कि साहब हर बार टारगेट तो पूरा कर देते हैं, लेकिन तबादला नहीं हो पाता है। कुछ माह पहले साहब का सूची में नाम भी आ गया था, लेकिन एक मंत्री जी के कहने पर उनका नाम सूची से हटा दिया गया था। तब कहा गया था कि जल्द ही अगली सूची में उनका नाम शामिल कर लिया जाएगा। लेकिन साहब को अभी तक सूची का इंतजार है।