बा खबर असरदार/साहब के जासूस हर जगह

साहब

– हरीश फतेहचंदानी

साहब के जासूस हर जगह
2010 के आईएएस अधिकारी आशीष सिंह जब से राजनीतिक और प्रशासनिक मुख्यालय वाले भोपाल जिले के कलेक्टर बने हैं, वहां की जनता तो उनकी मुरीद हो ही गई है, नेता भी उनकी प्रशासनिक क्षमता का लोहा मानने लगे हैं। इन सबके इतर बड़ी बात है की कलेक्टोरेट ही नहीं बल्कि अब जिला मुख्यालय के सभी सरकारी संस्थानों में अधिकारी-कर्मचारी समय से दफ्तर पहुंचने लगे हैं।  इसके पीछे वजह यह बताई जा रही है कि साहब के जासूस हर जगह मौजूद हैं। किस जगह क्या हो रहा है, इसकी पूरी खबर साहब तक पहुंच रही है। साहब के जासूस वाली बात में कितनी सच्चाई है, यह तो खोज का विषय है, लेकिन जिस तरह साहब की हर छापामार कार्रवाई सौ फीसदी सफल हुई है, उससे तो यही कहा जा रहा है कि साहब के जासूस हर जगह हैं।

कलेक्टर को पहली बार वाह-वाही
बुंदेलखंड के पन्ना जिले के कलेक्टर संजय कुमार मिश्र की शायद पहली बार प्रदेशभर में वाहवाही हो रही है। 2011 बैच के ये आईएएस अधिकारी जब से हीरा उगलने वाले जिले के कलेक्टर बने हैं, वे कभी राजनीतिक पार्टियों, तो कभी हाई कोर्ट तो, कभी जनता के निशाने पर रहे हैं। लेकिन इस बार उन्होंने ऐसा काम किया है , जिसकी खूब सराहना हो रही है। दरअसल, कलेक्टर ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के तहत एक दिव्यांग लडक़ी को उच्च शिक्षा व पढ़ाई में सहायता के लिए लैपटॉप प्रदान किया है। वह वर्तमान में बीए द्वितीय वर्ष में डॉ. हरी सिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में अध्ययनरत है। इस मौके पर जिला कलेक्टर द्वारा लडक़ी की पढ़ाई मेंं हरसंभव मदद का भरोसा भी दिया गया। इसके अलावा सागर में रहने व भोजन व्यवस्था के लिए तात्कालिक रूप से बतौर मदद 50 हजार रुपए की सहायता राशि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।

अपने ही जाल में फंसी मैडम
प्रदेश की एक पूर्व आईएएस अधिकारी अपने ही जाल में इस कदर फंस गई हैं कि उससे निकलना उनके लिए संभव नहीं हैं। दरअसल, मैडम जब महाकौशल क्षेत्र के एक खनिज संपदा वाले जिले में कलेक्टर थीं, तो उन्होंने आदिवासियों की जमीनों के साथ कई हेराफेरी की थी। जिनके दो प्रकरणों पर अब राज्य सरकार और केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय द्वारा ईओडब्ल्यू में दर्ज एफआईआर पर चार्जशीट पेशकर कोर्ट में केस चलाने की अनुमति दे दी है। दरअसल मैडम ने उक्त जिले में कलेक्टर रहते हुए एक आदिवासी की जमीन अपने बेटे  के नाम स्थानांतरित कर दी थी। इस मामले में राशि का भुगतान भी नहीं किया गया था। यही नहीं मैडम एक अन्य मामले में एक ठेकेदार को निजी तौर पर फायदा पहुंचाने के लिए उन्हें हाइवे किनारे की बेशकीमती जमीन के बदले किसी सस्ती जमीन से अदला-बदली करने की अनुमति दे दी थी। इन मामलों में मैडम पूरी तरह फंस गई हैं।

कलेक्टर के फर्जी हस्ताक्षर
देश में नल जल योजना में कीर्तिमान स्थापित करने वाले निमाड़ क्षेत्र का एक जिला इनदिनों कलेक्टर सहित अन्य अफसरों के फर्जी हस्ताक्षर के कारण चर्चा में है। यह मामला सामने आते ही जिले के पुलिस अधीक्षक ने जांच तेज कर दी है और दो आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया है। दरअसल, गत दिनों कलेक्टर के नाम एक शिकायत मिली। जिसमें नकली अनुमति आदेश पत्र लगाकर जमीन की रजिस्ट्री कराने की बात कही गई। उप पंजीयक कार्यालय से रजिस्ट्री के संबंध में दस्तावेज बुलाकर प्रधान प्रतिलिपिकार ने जांच की तो दस्तावेज फर्जी निकले। न्यायालय कलेक्टर की अनुमति पत्र का मिलान किया तो कलेक्टर हस्ताक्षर सहित सीलें भी नकली पाई गई। फर्जी आदेश से बैंक से लोन जारी हो गया। पत्र में लगी तहसीलदार, एसडीएम सहित कलेक्टर की समस्त सीले प्रमाणित प्रतिलिपि की सील, गोल सील एवं कैंसिल की सील समस्त सीलें, अफसरों के हस्ताक्षर भी फर्जी मिले।

साहब से लगाव
राजधानी के करीबी जिले विदिशा के कलेक्टर उमाशंकर भार्गव की लोकप्रियता का आलम यह है कि जब भी प्रदेश में प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले होते हैं , तो लोग एक-दूसरे से पूछने लगते हैं कि साहब चले तो नहीं जाएंगे। दरअसल, 2010 बैच के प्रमोटी आईएएस अधिकारी जब से जिले के कलेक्टर बने हैं, वे यहां के लोगों के हर सुख-दुख में शामिल रहते हैं। जिले में बाढ़, बारिश हो या फिर सूखा या कोई अन्य समस्या साहब इस कदर चिंतित हो जाते हैं, जैसे उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट गया हो। यही नहीं साहब लोगों से मिलने से भी कोई परहेज नहीं करते हैं। ऐसे में लोगों का लगाव उनसे ऐसा हो गया है कि वे नहीं चाहते हैं कि साहब का जिले से तबादला हो। इसलिए जब भी आईएएस अफसरों के तबादले होते हैं, जिले के लोग यह पता लगाने में जुट जाते हैं कि सूची में साहब का नाम तो नहीं है।

Related Articles