ऋषि पंचमी कल, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा- विधि

ऋषि पंचमी

बिच्छू डॉट कॉम। हर साल भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर ऋषि पंचमी व्रत पड़ता है। हिंदू धर्म में इस व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं और लड़कियां करती हैं। इस पावन दिन सप्त ऋषियों का पूजन किया जाता है। महिलाएं इस दिन सप्त ऋषि का आशीर्वाद प्राप्त करने और सुख शांति एवं समृद्धि की कामना से यह व्रत रखती हैं। महिलाओं की माहवारी के दौरान अनजाने में हुई धार्मिक गलतियों और उससे मिलने वाले दोषों से रक्षा करने के लिए यह व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। आइए जानते हैं ऋषि पंचमी व्रत शुभ मुहूर्त, पूजा- विधि और महत्व…

पूजा- विधि
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
सप्त ऋषियों की तस्वीर लगाकर उनके सामने जल से भरा हुआ एक कलश भी रखें।
इसके बाद विधि-विधान के साथ 7 ऋषियों के साथ देवी अरुंधति की पूजा- अर्चना करें।
सप्‍त ऋषियों को धूप-दीपक दिखाकर पीले फल-फूल और मिठाई अर्पित करें।
सप्‍त ऋषियों को भोग लगाएं।
सप्त ऋषियों से अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगे और दूसरों की मदद करने का संकल्प लें।
व्रत कथा सुनाने के बाद आरती करें।
इसके बाद पूजा में उपस्थित सभी लोगों को प्रसाद बांट दें।

शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:32 ए एम से 05:18 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:53 ए एम से 12:42 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:22 पी एम से 03:12 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06:18 पी एम से 06:42 पी एम
अमृत काल- 01:36 ए एम, सितम्बर 12 से 03:06 ए एम, सितम्बर 12
निशिता मुहूर्त- 11:55 पी एम से 12:41 ए एम, सितम्बर 12
सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:04 ए एम से 11:23 ए एम

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