दिवाली 4 नवंबर को, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

दिवाली

बिच्छू डॉट कॉम। दीपावली या दिवाली हिन्दुओं का एक प्राचीन त्योहार है जिसे सदियों से देशभर में प्रकाश के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस साल दिवाली का पर्व कब शुरू होगा? शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व आदि के बारे में आगे पूरी जानकारी दी जा रही है।

दिवाली 2021 की शुरुआत
दीपावली संस्कृत शब्द दीप से आया है जिसका अर्थ दीपक या दिया होता है जिसे प्रकाश के लिए व पूजा आदि में जलाया जाता है। दिवाली के मौके पर अधिकांश भारतीय मिट्टी से बने छोटे दियों में रुई की बाती तेल या घी में भिगोकर जलाते हैं। दीपावली का पर्व दशहरा या विजयादशमी के 20 दिन बाद शुरू होता है जो कि लगातार पांच दिन तक चलता है। इस बार पांच दिवसीय दिवाली पर्व की शुरुआत 2 नवंबर 2021, धनतेरस के दिन से हो रही है। वहीं 6 नवंबर को भाई दूज से इस पर्व का समापन होगा। इस साल दीपावली का पर्व 4 नवंबर 2021, दिन गुरुवार को मनाया जाएगा।

दिवाली 2021: शुभ मुहूर्त
मान्यता है दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। दीपावली का पर्व विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास के पहले दिन अमावस्या को मनाया जाता है। लक्ष्मी पूजा भी दिवाली उत्सव का एक हिस्सा होता है जो 4 नवंबर को होगी।
दिवाली पूजा या लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर को शाम 6 बजकर 9 मिनट से 8 बजकर 4 मिनट तक है। यह समय दिल्ली-एनसीआर का है। अलग-अलग शहर के पूजा समय में मामूली अंतर भी हो सकता है।

दिवाली 2021: पूजा विधि
पूजा विधि का अर्थ होता है कि किस तरीके से पूजा की जाए। दिवाली के दौरान लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा की पूजा की जाती है। लक्ष्मी को धन/संपत्ति की देवी माना जाता है। वहीं भगवान गणेश बुद्धि और कार्य को सफल करने वाले देवता माने जाते हैं। लक्ष्मी पूजा में मीठे का भोग जैसे खीर, मिठाई, हलवा व मोदक का भोग लगाया जाता है। दीपावली के मौके पर बहुत से लोग व्रत भी रखते हैं और देवी-देवताओं के साथ अपने पूर्वजों के नाम का दिया भी जलाते हैँ। बच्चे दीपावली की खुशी में तरह-तरह पटाखे जलाते हैं, आतिशबाजी करते हैं।

ऐसे करें पूजा
पूजा स्थल में चावल या गेहूं की एक छोटी ढेरी बनाकर उस पर देसी घी का एक दिया जलाएं माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए तीन बार श्रीसूक्त का पाठ करें। मां लक्ष्मी सहित सभी देवी देताओं को भोग लगाएं।

दिवाली 2021: महत्व
भगवान राम जब लंका के राजा राक्षस रावण पर विजय पाकर 14 वर्ष बाद अयोध्या लौटे तो उनके सकुशल आगमन की खुशी में नगरवासियों ने दीपों की कतारें सजाकर उत्सव मनाया था। तब से ही दिवाली का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय रूप में मनाया जाता है।

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