शत्रु से निपटने के लिए आचार्य चाणक्य का नीति शास्त्र

 चाणक्य

बिच्छू डॉट कॉम।  चाणक्य नीति के अनुसार, सफलता की ओर बढ़ते व्यक्ति के जीवन में अक्सर शत्रु बाधा पहुंचाते हैं। हर सफल व्यक्ति के ज्ञात व अज्ञात शत्रु होते हैं। दुश्मन समय-समय पर व्यक्ति को परेशान करने की तरकीब लगाता रहता है। चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति सक्षम व सफल होते हैं, उन्हें शत्रुओं का भय नहीं रहता है। शत्रु उन्हें चाहकर भी हानि नहीं पहुंचा पाते हैं और अंत में असफल साबित होते हैं। शत्रु से निपटने के लिए आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में कुछ बातों का जिक्र किया है-

1.शत्रु को न समझें कमजोर- चाणक्य कहते हैं कि दुश्मन को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए। व्यक्ति की सफलता के बाद कई लोग असफल साबित करने के लिए सक्रिय हो जाते हैं। दुश्मन को कमजोर समझना, व्यक्ति के जीवन की बड़ी भूल साबित हो सकती है। दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर रखनी चाहिए।

2.अहंकार से दूर रहें- चाणक्य नीति के अनुसार, लोग सफलता पाने के बाद अक्सर अहंकार में दुश्मन को कमजोर मान बैठते हैं। आपकी ऐसी ही गलती नुकसान का  कारण बनती हैं। इसलिए शत्रु से निपटने के लिए आगे की तैयारी करते रहें और अहंकार को खुद पर हावी न होने दें।

3. गुस्से से शत्रु को होता है लाभ- चाणक्य नीति कहती है कि अगर शत्रु को पराजित करना है तो, गुस्से पर काबू रखना चाहिए। क्रोध एक ऐसी गलत आदत है, जिसका शत्रु लाभ उठाने की कोशिश करता है। चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को मुश्किल समय से बाहर आने के लिए खुद पर काबू रखना चाहिए। व्यक्ति को बुद्धि व विवेक से काम लेना चाहिए।

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