
- पड़ोसी राज्य यूपी, महाराष्ट्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से कम है पुलिस अमला
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में अपराधों और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए सरकार ने कई सख्त कदम उठाए हैं। वहीं भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की गई है। लेकिन मप्र पुलिस के पास पर्याप्त बल नहीं है। यहां एक लाख आबादी पर मात्र 126 पुलिस जवान है। ऐसे में सवाल उठता है कि अपराधों पर अंकुश कैसे लगेगा।
चिंता की बात यह है कि मप्र में पुलिस बल कम और अपराध ज्यादा हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान की तुलना में मध्य प्रदेश में पुलिस कर्मी कम हैं और अपराध ज्यादा हैं। मध्य प्रदेश में एक लाख की आबादी पर 126 पुलिसकर्मी हैं, तो प्रति लाख 298 अपराध घटित हो रहे हैं। यह आंकड़े वर्ष 2019 के हैं, जो राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में सामने आए हैं। प्रदेश में पुलिस की इस स्थिति पर भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक ने भी टिप्पणी की है।
मप्र में अपराध दर पड़ोसी राज्यों से अधिक: मध्य प्रदेश में अपराध दर पड़ोसी राज्यों की तुलना में तो अधिक है ही, राष्ट्रीय औसत 241.2 से भी अधिक है। जबकि पड़ोसी राज्यों की तुलना में प्रदेश में प्रति लाख आबादी पर पुलिसकर्मियों की उपलब्धता भी संतोषजनक नहीं है। यह भी राष्ट्रीय औसत 158.22 से कम है। जनवरी 2019 में एक लाख 28 हजार 287 पद स्वीकृत थे। इनके विरुद्ध एक लाख एक हजार 751 कर्मचारी कार्यरत थे। यानी विभाग में 20.68 प्रतिशत पद रिक्त थे। उनकी रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि पुलिस विभाग को वर्ष 2018 और 2019 में पांच हजार 750 सूबेदार, उप निरीक्षक, सहायक उप निरीक्षक, प्रधान आरक्षक और आरक्षक की भर्ती करना थी, जो विधानसभा और लोकसभा चुनाव की आचार संहिता की आड़ लेकर नहीं की गई। कैग ने इसके लिए सीधे तौर पर पुलिस मुख्यालय की कार्मिक शाखा को जिम्मेदार ठहराया है। परीक्षण में यह भी सामने आया कि चयन या भर्ती शाखा ने रिक्तियों को आंकलन करने के बाद भी मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (पीईबी) को प्रस्ताव भेजने में छह से 11 महीने की देरी की। इतना ही नहीं, प्रस्ताव भेजने के बाद भर्ती के लिए पदों की कुल संख्या को वर्ष 2018 में तीन और वर्ष 2019 में चार बार बदला। शाखा ने रिक्त पदों के आंकलन और भर्ती का प्रस्ताव पीईबी को भेजने के लिए कोई समय सीमा भी तय नहीं की। आखिर भेजे गए प्रस्तावों पर वर्ष 2018-19 में भर्ती नहीं हुई।
नए थानों-चौकियों के लिए बल की जरूरत
सितंबर 2018 में मुख्यमंत्री ने थानों और पुलिस लाइन में बल बढ़ाने के लिए सूबेदार, उपनिरीक्षक, सहायक उप निरीक्षक, प्रधान आरक्षक और आरक्षक के पांच हजार 750 पद स्वीकृत किए थे। नए थानों-चौकियों की स्थापना के लिए भी बल की जरूरत थी। इन पदों पर दो चरणों में (3500 और 2250) भर्ती करनी थी।