रसूखदारों के लिए केंद्र के डीम्ड फॉर्मूले को नहीं मानता वन व राजस्व अमला

राजस्व अमला
  • चंदनपुरा में निजी जमीनों पर दे दी प्लॉटिंग की अनुमति  …

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम।
    टाइगर प्रदेश मप्र में बाघों की लगातार हो रही मौत चिंता का विषय बनी हुई है। ऐसे में बाघ संरक्षण के उपायों को दरकिनार कर राजधानी भोपाल के आसपास के जंगलों में निजी जमीनों पर प्लॉटिंग की अनुमति दी जा रही है। ऐसे में बाघों का संरक्षण कैसे हो पाएगा। यही नहीं भोपाल मास्टर प्लान में भी बाघ भ्रमण क्षेत्र में निर्माण की राह खोलने के तमाम प्रावधान किए गए हैं। वन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शहर किनारे बाघ भ्रमण क्षेत्र चंदनपुरा में शासन-प्रशासन रसूखदारों की दखलअंदाजी करवा रहा है, जबकि यहां 18 से अधिक बाघों की आवाजाही लगातार बनी रहती है, 60 से अधिक गुफाएं हैं। बावजूद इसके नगर तथा ग्राम निवेश संचालनालय ने बाघ भ्रमण वन क्षेत्र के अंदर निजी जमीनों पर प्लॉटिंग की अनुमति तक जारी कर दी है। भोपाल मास्टर प्लान तक में यहां निर्माण की राह खोलने के तमाम प्रावधान किए हुए हैं। एनजीटी और तमाम न्यायिक संस्थाओं के निर्देश के बावजूद मानवीय गतिविधियां, निर्माण नहीं रुका है।
    टीएंडसीपी ने मंजूर किया ले आउट
    कोलार की अमरनाथ कॉलोनी से सीधे इस बाघ भ्रमण क्षेत्र में आवाजाही करने मजबूत रोड का निर्माण कर दिया गया है। केरवा की ओर से भी यहां आवाजाही के लिए रास्ते तैयार किए जा रहे हैं। चंदनपुर बाघ भ्रमण क्षेत्र के खसरा नंबर 75 के भागों पर राजेश पारदासानी को पीएसपी लैंडयूज के निर्माण करने टीएंडसीपी ने ले आउट  मंजूर किया है। यहां 4.21 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कुल 27 हजार 18 वर्गमीटर के प्लॉट काटने की योजना को मंजूरी मिली। कुल 26 प्लॉट का ले आउट मंजूर हुआ है। ये वही जगह है, जहां नगर निगम ने सीपीए फॉरेस्ट के साथ मिलकर पहले 203 पेड़ काटने की अनुमति जारी करने के बाद इसे गलती बताकर निरस्त भी कर दिया था। हालांकि इस निरस्त अनुमति के आधार पर ही 12 मार्च 2020 की रात को जेसीबी मशीन से यहां पेड़ उखाड़ दिए गए थे। अब यहां जल्द ही बड़े निर्माण नजर आएंगे। अनुमति सार्वजनिक उपयोग के निर्माण जैसे योग सेंटर और इसी तरह के निर्माण की है, लेकिन भविष्य में सघन आबादी के अनुसार निर्माण होते नजर आएं तो बड़ी बात न होगी।
    डीम्ड फॉरेस्ट को राजस्व भूमि बता रहा वन विभाग
    केरवा के जंगलों से सटे चंदनपुरा के जिस इलाके को मिनिस्ट्री आॅफ फॉरेस्ट एंड एनवायरमेंट ने जमीनी सर्वे के आधार पर डीम्ड फॉरेस्ट माना था, यहां पेड़ काटकर जमीन समतल करने की कोशिश चल रही है। इस क्षेत्र को राजस्व भूमि बताकर वन विभाग पल्ला झाड़ लेता है। पर्यावरणविद् सुभाष सी पाण्डेय का कहना है कि चंदनपुरा बाघ भ्रमण क्षेत्र में आता है। भले ही ये कागजों में राजस्व भूमि के नाम से दर्ज हो, लेकिन इसमें आपको पूरी वाइल्ड लाइफ दिखेगी। देश के बहुत कम शहरों को अपने करीब इस तरह के वन क्षेत्र होने का गौरव है। करीब 6000 हेक्टेयर का ये वन क्षेत्र है। इसे बाघों ने अपना प्रजनन केंद्र बना रखा है। यही वजह है कि यहां शावकों की चहलकदमी की खबरें आती हैं। अब इस तरह इस वन क्षेत्र में निर्माण अनुमतियां देने का सीधा मतलब है वाइल्ड लाइफ को नुकसान पहुंचाना है।

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