
गुणवत्ताहीन उपज खरीदने पर होगी जेल!
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में समर्थन मूल्य पर उपज की खरीदी में होने वाले खेल को रोकने के लिए प्रदेश सरकार मध्य प्रदेश कृषि उपज उपार्जन एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय का विनियमन विधेयक-2021 लाने की तैयारी कर रही है। इसमें गुणवत्ताहीन उपज खरीदने पर जुर्माना लगाया जाएगा और कारावास का भी प्राविधान रहेगा। गौरतलब है कि प्रदेश में हर साल मंडियों और खरीदी केंद्रों पर अमानक गेहूं, धान, चना, मूंग सहित अन्य उपज की खरीदी कर ली जाती है। बाद में केंद्र सरकार उसे रिजेक्ट कर देती है। जिससे सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगती है। दरअसल, प्रतिवर्ष बड़ी मात्रा में ऐसा अनाज उपार्जन केंद्रों द्वारा खरीद लिया जाता है, जिसे भारतीय खाद्य निगम या नागरिक आपूर्ति निगम अमानक बताकर लेने से इंकार कर देते हैं। जबकि, किसानों को भुगतान हो चुका होता है। ऐसे में सरकार को इसका वित्तीय भार उठाना पड़ता है। इस स्थिति से निपटने के लिए शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश कृषि उपज उपार्जन एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय का विनियमन विधेयक-2021 लाने की तैयारी की है। इसमें गुणवत्ताहीन उपज खरीदने पर जुर्माना लगाया जाएगा और कारावास का भीप्राविधानरहेगा।
खरीदी व्यवस्था सख्त बनाने की तैयारी: प्रदेश सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं, धान, चना, मूंग सहित अन्य उपज खरीदने की व्यवस्था को सख्त बनाने जा रही है। प्रदेश में किसानों को उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए प्रमुख रूप से गेहूं और धान की खरीद की जाती है। दो साल पहले समर्थन मूल्य पर सर्वाधिक गेहूं खरीदकर मध्य प्रदेश देश में रिकार्ड भी बना चुका है। इसी तरह धान का उपार्जन भी प्रतिवर्ष बढ़ता जा रहा है। इस वर्ष 40 लाख टन से अधिक धान की खरीद संभावित है। ग्रीष्मकालीन मूंग भी पहली बार लगभग आठ लाख टन खरीदी गई है। सरकार इसमें हजारों करोड़ रुपये व्यय कर रही है, जिसका इंतजाम आरबीआई से ऋण लेकर किया जाता है। नागरिक आपूर्ति निगम पर लगभग 55 हजार करोड़ रुपये का ऋण है।
अब हर स्तर पर सख्ती
केंद्र सरकार जब सेंट्रल पूल में गेहूं, धान, चना, मूंग आदि उपज ले लेती है तो फिर उसका भुगतान होता है लेकिन दो-साल से गुणवत्ताहीन उपज खरीदने के मामले सामने आ रहे हैं। लगभग चार लाख टन अनाज उपार्जन केंद्रों ने ऐसा खरीद लिया जिसे गुणवत्ताहीन बताकर एजेंसियों ने लेने से इन्कार कर दिया। इसी तरह सीमावर्ती जिलों में पड़ोसी राज्यों से गेहूं और धान बिकने के लिए आने के मामले भी सामने आए हैं। इसे देखते हुए सरकार ने समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीद व्यवस्था को सख्त बनाने का निर्णय लिया है। अब सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी किसी भी उपार्जन केंद्र में प्रवेश कर सकेगा, तलाशी ले सकेगा और गड़बड़ी पाए जाने पर सामग्री और वाहन को जब्त भी कर सकेगा। औसत गुणवत्ता से कम की उपज खरीदने पर दस हजार रुपये या उपार्जित उपज के समर्थन मूल्य के बराबर जुर्माना लगाया जा सकेगा।
दस हजार तक का जुर्माना
प्रस्तावित विधेयक में कई सख्त प्रावधान किए गए हैं। औसत गुणवत्ता से कम की उपज खरीदने पर दस हजार रुपए या उपज के समर्थन मूल्य के बराबर जुर्माना लगेगा। सुरक्षित भंडारण न करने पर नुकसान की भरपाई संबंधित व्यक्ति या संस्था से होगी। उपज में मिलावट करने या चोरी करने पर अर्थदंड या छह माह के कारावास से दंडित किया जा सकेगा। उपार्जन करने वाली संस्था की गड़बड़ी प्रमाणित होने पर उसे दो साल के लिए ब्लैकलिस्ट किया जा सकेगा। कोई भी व्यक्ति उपार्जन में गड़बड़ी करता है तो उसे भविष्य में उपार्जन के कार्य में नहीं लगाया जाएगा। अधिनियम के तहत बनाए जाने वाले नियम का उल्लंघन करने पर पचास हजार रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा। संस्था द्वारा त्रुटि करने पर संस्था के अध्यक्ष, प्रबंधक एवं अन्य कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी। कलेक्टर के किसी भी आदेश के विरुद्ध संभागायुक्त के पास अपील होगी। अभियोजन संबंधी कार्यवाही सरकार की अनुमति के बाद ही की जा सकेगी।