करोड़ों के घोटाले के बाद भदौरिया के पास भेजा प्रस्ताव

करोड़ों के घोटाले

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के सहकारिता विभाग में एक के बाद हो रहे घोटालों के बाद अब विभाग को कोर बैंकिंग सिस्टम में सुधार की याद आ गई है। दरअसल हाल ही में रीवा, हरदा, छतरपुर, भिंड और मुरैना के बाद शिवपुरी में भी करीब 80 करोड़ का घोटाला सामने आया है। इसके बाद विभाग की नींद खुली और उसने कोर बैंकिंग सिस्टम का रिव्यू करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए विभाग स्तर से प्रस्ताव तैयार कर सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया के पास भेजा गया है।
प्रस्ताव स्वीकृत होने पर सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ कर की जाने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए नया प्लान बनाया जाएगा। इसकी वजह है शिवपुरी जिले के कोलारस में हुए घोटाले की जांच में सामने आया है कि इसके लिए बैंक के सॉफ्टवेयर में छेड़छाड़ की गई। इसकी वजह है विभाग द्वारा कुछ जिलों में अपने स्तर पर सॉफ्टवेयर में परिवर्तन करने की छूट दी जाना। जांच में पता चला है कि इस सुविधा का दुरुपयोग करते हुए बैंक का कैशियर दूसरों के नाम पर जमा राशि निकालता रहा। इस घोटले को 2010 से अंजाम दिया जा रहा था। इस पूरे मामले में चार सीईओ और 14 अन्य कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आयी है। अब यह मामला आर्थिक अपराध ब्यूरो को सौंपा जा चुका है। इसके साथ ही इसकी पूरी परतें खोलने के लिए फॉरेंसिक ऑडिट भी कराया जा रहा है। जिसके तहत एक- एक वाउचर की जांच की जाएगी।
बैंकिंग का तरीका गलत था
शुरुआती जांच में पाया गया कि शिवपुरी में बैंकिंग का तरीका ही गलत था। यहां रिकॉन्सिलेशन (खातों का मिलान) जरूरी था, जिसे किया ही नहीं गया। इसके अलावा यह भी पता चला है कि स्टेट बैंक से राशि निकलती रही और सहकारी बैंक अपने यहां बैलेंस होना बताता रहा। बैंक में लगा बायोमैट्रिक भी इसके लिए बंद कर दिया गया था।
चार्टर्ड एकाउंटेंट भी घेरे में
घोटाले में चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) द्वारा हर साल की जाने वाली ऑडिट की भी जांच कराई जा रही है। इसमें फिलहाल पाया गया है कि सीए ने ठीक से रिपोर्ट नहीं दी है। जिन्होंने गड़बड़ियां कीं, उन्हें ओवरलुक किया गया। इसमें बैंक का प्रशासक भी जिम्मेदार माना जाएगा।

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