
- ली जाएगी माननीयों से कैफियत, अफसरों का भी होगा फैसला
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के ठीक दो दिन पहले संगठन पार्टी विधायकों के साथ बैठक करने जा रहा है। इस बैठक में पार्टी के माननीयों से उनके इलाकों के कामकाज की न केवल कैफियत ली जाएगी, बल्कि उनके इलाकों में पदस्थ आला अफसरों की कार्यशैली के बारे में भी जानकारी ली जाएगी।
अचानक प्रदेश कार्यसमिति के ठीक पहले विधायकों के साथ संगठन की बैठक बुलाए जाने से प्रदेश में सियासी सरगर्मीयां बढ़ गई है। यह बैठक 24 नवंबर को बुलाई जा रही है। इस दौरान विधायकों से अलग-अलग समूहों में कई मामलों में विचार मंथन करने के साथ ही सरकार के कामकाज को लेकर भी फीडबैक लिया जाएगा।
यह पूरी कवायद ऐसे समय की जा रही है जब प्रदेश में मंत्रिमंडल के पुर्नगठन की चर्चाएं तेज हैं। इस बैठक के लिए जो एजेंडा बनाया गया है उसमें जनता से किए गए वायदे, विधायकों के क्षेत्रों में स्वीकृत और पैडिंग कामकाज का पूरा ब्यौरा लिया जाएगा। इस विषय को प्रदेश में होने वाले पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
यह बात अलग है कि कुछ लोग इसे दो साल बाद होने वाले विधानसभा के चुनावों की तैयारी से जोड़कर भी देख रहे हैं। फिलहाल इस बैठक को लेकर लोगों द्वारा कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि पार्टी विधायकों से उनके क्षेत्र में चुनाव की दृष्टि से पार्टी की मैदानी स्थिति पर भी विचार विमर्श किया जाएगा।
दरअसल इन दिनों पार्टी में विंध्य अंचल में भाजपा का गढ़ मानी जाने वाली रैगांव विधानसभा सीट पर मिली हार को लेकर चिंताए बढ़ी हुई हैं। यही नहीं जिन चार सीटों पर भाजपा को उपचुनाव में जीत मिली है, उन पर भी भाजपा को बेहद अधिक मेहनत करनी पड़ी है। इनमें भी खंडवा लोकसभा सीट पर भी पिछली जीत की तुलना में जीत का मार्जिन भी बहुत कम रहा है।
राव भी रह सकते हें मौजूद
बताया जा रहा है कि इस बैठक के लिए विधायकों के छोटे-छोटे समूह बनाए जाएंगे। इसके बाद उनके साथ पार्टी प्रदेशाध्यक्ष के अलावा संगठन महामंत्री, सह महामंत्री के अलावा अन्य महत्वपूर्ण पदाधिकारियों की मौजूदगी में विचार विमर्श किया जाएगा। कहा जा रहा है कि इस मंथन में प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव भी शामिल हो सकते हैं। दरअसल बीते लंबे समय से कई विधायक अपने क्षेत्र के लंबित कामकाज को लेकर नाराजगी तक जाहिर कर चुके हैं। यही वजह है कि पार्टी ने क्षेत्रीय आधार पर छोटे-छोटे समूह में विधायकों से विचार-विमर्श करने का फैसला किया है।
सता रही है यह चिंता
आम विधानसभा चुनाव में भाजपा को तीन साल पहले जिस विंध्य अचंल में तीन साल पहले आशा से अधिक सफलता मिली थी, उसी अंचल में उपचुनाव अपने ही पंरपरागत सीट रैंगाव पर हार जाना पार्टी के लिए चिंता की वजह बनी हुई है। यही वजह है कि संगठन को नए सिरे से मंथन करना पड़ रहा है। इसी तरह से निमाड़ अंचल की खंडवा लोकसभा सीट को भाजपा के लिए बेहद मजबूत सीट माना जाता है। इस सीट पर भाजपा को जीत भले ही मिली है , लेकिन सत्ता-संगठन की पूरी ताकत लगाने के बाद भी पार्टी की जीत का अंतर कम होकर पौने तीन लाख मतों की जगह महज 80 हजार ही रह गया है। इसे भी संगठन गैरअनुकूल स्थिति मानकर नए सिरे से हर बूथ पर काम करने की जरूरत महसूस करने लगा है। यही वजह है कि संगठन को खंडवा लोकसभा की सभी आठों विधानसभा क्षेत्र के पदाधिकारियों से बूथ स्तर पर हुए मतदान का पूरा ब्यौरा तक मांगना पड़ा है।