घोटालेबाज अफसर पड़ा विभाग पर भारी, तीन दिन में ही करना पड़ा तबादला निरस्त

घोटालेबाज अफसर

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। सहकारिता विभाग के आला अफसरों की कार्यशैली अब तक सरकार पर ही भारी पड़ती रही है। यह विभाग ऐसा है कि जिसका जितना रसूख उसकी उतनी अधिक और बड़ी गलतियां माफ कर दी जाती हैं। इसका उदाहरण हैं होशंगाबाद जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक आरके दुबे। सालों बाद उनका तबादला हुआ, लेकिन उनके रसूख को देखते हुए माना जा रहा था कि वे जल्द ही वापसी कर सकते हैं।  हुआ भी यही, वे महज तीन दिनों के अंदर अपना तबादला निरस्त कराकर फिर से होशंगाबाद जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक बन गए हैं। इसकी वजह से अपैक्स बैंक और प्रदेश सरकार की तबादला नीति बड़ा मजाक बन गई है।
खास बात यह है कि अपेक्स बैंक प्रबंधन उन पर किस तरह से मेहरबान है या फिर यह कहा जाए की उनके रसूख के सामने नतमस्तक है कि उनकी सेवाएं समाप्त होने के बाद भी उन्हें अब भी सहकारी बैंक का कर्मचारी मानकर चल रहा है। दरअसल दुबे को भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें 31 मार्च 2012 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद भी बैंक प्रबंधन ने उन्हें अपना कर्मचारी मानते हुए 9 नवम्बर 2021 को अपेक्स बैंक स्थानांतरित करते हुए ज्वाइनिंग करा ली।
दर्ज हैं कई आपराधिक मामले
दुबे को जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक खरगोन में करोड़ों रुपए के प्रकरण में दोषी पाया जा चुका है। इस मामले में उनके साथ ही दो अन्य अधीनस्थ कर्मचारी अनूप कुमार जैन एवं ए के हरसोला को भी दोषी पाया गया था। उन दोनों को इसके बाद लूप लाइन में भेजा जा चुका है। इसके उलट दुबे को बेहद महत्वपूर्ण पद पर पदस्थ कर दिया गया और अब हाल ही में जब उनका तबादला होशंगाबाद जिला सहकारी बैंक से अपेक्स बैंक किया गया तो तीन दिन के अंदर ही फिर से उनकी मनपसंद को ध्यान में रखकर जिला सहकारी बैंक होशंगाबाद की कमान सौंप
दी गई।
गबन के मामले में जा चुके हैं जेल
 होशंगाबाद जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक आर के दुबे हरदा शाखा की तिजौरी में से पौने तीन करोड़ का गबन करने के मामले में जेल भेजे जा चुके हैं। फिलहाल वे इस मामले में जमानत पर चल रहे हैं। यह प्रकरण हरदा न्यायालय में चल रहा है। इसके अलावा रीवा में पदस्थापना के समय उनके द्वारा किए गए एक भ्रष्टाचार में भी उन्हें दोषी पाया जा चुका है। इसके बाद 9 दिसंबर 2020 को उन पर लगभग 27 करोड़ की राशि 18 प्रतिशत ब्याज सहित वसूली के आदेश हो चुके हैं। इसी तरह से उन पर एक मामला जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक होशंगाबाद में हुए लगभग 26 करोड़ के घोटाले मामले की जांच आर्थिक अपराध ब्यूरो में लंबित है। इस मामले में उनके एक दशक पहले प्रकरण दर्ज किया गया था। यही नहीं उनके खिलाफ पंजीयक मलय श्रीवास्तव, प्रभात पाराशर आदि ने कई मामलों की जांच की हैं। इन सभी मामलों में दुबे को दोषी पाए जाने पर उन्हें प्रदेश के किसी भी बैंक में न रखे जाने की अनुशंसा तक कर चुके हैं।

Related Articles