मध्यप्रदेश के सेल्फ हेल्प ग्रुप्स ने दिखाया कमाल

सेल्फ हेल्प ग्रुप्स

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। देश, प्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़ों और महिलाओं को सशक्त बनाकर विकास की मुख्यधारा में लाने में स्व सहायता समूह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। जहां स्व सहायता समूह सरकार की योजनाओं को जरूरतमंदों तक पहुंचा रहे हैं वहीं महिलाओं को आर्थिक आजादी और युवाओं को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं। मप्र में ऐसे ही 1,24,574 आदिवासी स्व सहायता समूह मप्र में हैं। जिनमें से ज्यादातर समूह महिलाओं के हैं।  गौरतलब है कि देश में 72.78 लाख से ज्यादा स्व सहायता समूह कार्य कर रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा 1,24,574 आदिवासी स्व सहायता समूह मप्र में हैं। इन समूहों के माध्यम से पिछड़े लोग अब विकास की मुख्यधारा में आगे आ रहे हैं। यह हो रहा है दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिए। इसके तहत स्व सहायता समूह बनाकर लोग सक्षम
हो रहे हैं।
महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर
दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से मप्र में महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का ही कमाल है कि आज महिलाएं कई कार्यक्रमों का संचालन कर रही है। महिलाएं अब बस, आटो चला ही हैं। महिलाएं मैकेनिक का काम कर रही है तो कहीं बिजली मीटर रीडिंग कर रही हैं। स्कूली बच्चों की यूनिफॉर्म सिल रही हैं तो ऑक्सीजन प्लांट का भी संचालन कर रही हैं। इसके अलावा खेती-किसानी के कार्य, मिल्क प्रोडक्ट, हर्बल गुलाल, खिलौने, वन उत्पाद, सिलाई-कढ़ाई, राशन दुकान संचालन, मास्क निर्माण, अगरबत्ती, मोमबत्ती, बांस के उत्पाद, खाद्य सामग्री जैसे- चिप्स, पापड़, बड़ी का निर्माण समूह कर रहे हैं। साथ ही पोषण आहार का काम समूहों को देने की प्रक्रिया जारी है। यानी प्रदेश में महिलाएं आज तेजी से आत्मनिर्भर बन रही हैं।
कुछ की कर्मठता को पीएम ने भी सराहा
प्रदेश में कई महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने विषम स्थिति में हिम्मत दिखाई और आज दूसरों के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं। बालाघाट जिले के चिचगांव की महिलाएं जिस राइस मिल में काम करती थीं, वहां से कोरोना काल में काम छिन गया था। ऐसे में महिलाओं ने स्व सहायता समूह का गठन किया। आर्थिक मदद मिली तो उसी मिल की मशीन खरीदकर अपनी मिल स्थापित कर ली। यह मशीन अध्यक्ष मीना राहंगडाले के घर मवेशी बांधने की जगह पर लगाई गई। समूह का जिक्र पीएम मोदी ने मन की बात में भी किया था। उमरिया जिले के आदिवासी बाहुल्य पाली विकासखण्ड के चौरी ग्राम में स्व सहायता समूह की महिलाओं को गांव के हाट बाजार के प्रबंधन, राजस्व वसूली की जिम्मेदारी पिछले महीने दी गई है। यह प्रारंभिक प्रयोग सफल रहने पर पूरे जिले के ग्रामीण इलाकों में हाट बाजार की जिम्मेदारी महिला स्व सहायता समूहों को दी जाएगी।
इंटरनेशनल फैशन मैग्जीन वोग के कवर पर मप्र की साड़ी
प्रदेश की महिलाओं की कला का आज विदेशों में भी मान-सम्मान मिल रहा है। यही नहीं आज धार की आदिवासी महिलाओं द्वारा बनाई जा रही साडिय़ों को अंतरराष्ट्रीय बाजार से आॅर्डर मिल रहे हैं। मांडू रोड स्थित केंद्र पर धरा उत्पादन समूह की महिलाओं द्वारा कॉटन, चंदेरी और महेश्वरी साडिय़ों को ब्लॉक प्रिंट से सजाकर तैयार किया जा रहा है। समूह की साडिय़ों हैदराबाद, बेंगलुरू, विशाखापट्टनम, ऊटी, भोपाल, जबलपुर, चंडीगढ़, सिंगापुर, आस्ट्रेलिया में आॅन डिमांड बेची जा रही हैं। एक और खास बात ये है कि सीता वसुनिया कारीगर की बनाई साड़ी को इटली की इंटरनेशनल फैशन मैग्जीन वोग के कवर पेज पर जगह मिल चुकी है।

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