अब मध्य प्रदेश में बनी गन छुड़ाएगी दुश्मनों के छक्के

बेहतरीन तोप
  • 105 एमएम लाइट फील्ड गन (एलएफजी) का निर्माण  किया जा रहा जबलपुर में

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। दुनिया की सबसे हल्की व बेहतरीन तोपों में शामिल 105 एमएम लाइट फील्ड गन (एलएफजी) का निर्माण अब मप्र में होने जा रहा है। प्रदेश में बनने वाली इस तोप का उपयोग किसी भी पहाड़ और दुर्गम स्थलों पर आसानी से किया जा सकता है। माना जा रहा है कि इसकी तैनती सेना द्वारा पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए किया जाएगा।
    इस तरह की 105 एमएम लाइट फील्ड गन का निर्माण अब आयुध फैक्टरी जगलपुर में किया जाएगा। फिल्हाल इस तरह की 45 गनों का निर्माण किया जाएगा। यह बात अलग है कि पहले जीसीएफ को आयुध निमार्णी बोर्ड से 72 गन का इंडेंट हासिल हुआ था। यह ऐसी गन है जिसे आसानी से कम वजन की वजह से  पहाड़ और दुर्गम स्थलों पर आसानी से ले जाकर तैनात किया जा सकता है। फिलहाल अभी गन कैरिज फैक्ट्री (जीसीएफ) में पुराने ऑर्डर की गन तैयार करने का काम जारी है। आयुध निर्माणियों को सात निगमों के तहत किए जाने के बाद नया ऑर्डर इंडेंट की जगह कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर मिलेगा।
    सेना की इस पसंदीदा गन का नया ऑर्डर 25 से 30 गन का होगा। छोटी गन होने के कारण एलएफजी की कहीं पर भी तैनाती आसान होती है। यह इतनी हल्की होती है कि सैनिक हेलीकॉप्टर से भी लिफ्ट कर सकते हैं। ऐसी कई अन्य खूबियां इसमें हैं, इसलिए सेना  का ऑर्डर अक्सर गन कैरिज फैक्ट्री  (जीसीएफ) के पास रहता है।  
    करवाई गई कटौती
    फैक्ट्री के इतिहास में आयुध निर्माणी बोर्ड की ओर से एलएफजी का अब तक का सबसे बड़ा उत्पादन लक्ष्य दिया गया था। फैक्ट्री ने अधिक तम 44 गन का निर्माण एक वित्तीय वर्ष में किया है। ऐसे में 72 गन का निर्माण उसके लिए मुश्किल होता। इसलिए बोर्ड से इसमें कटौती करवाई गई। माना जा रहा है कि बाकी गन अगले वित्तीय वर्ष के उत्पादन लक्ष्य में समायोजित की जा सकती हैं।
    20 किमी मारक क्षमता
    इस गन की खासियत है कि यह काफी कम वजन की होती है। इस वजह से उसे दुर्गम क्षेत्रों में सेना के हेलीकॉप्टर से भी इसे उठाकर ले जाया जा सकता है। इसलिए सेना में इस गन की अच्छी मांग बनी रहती है। इस गन से 17 से 20  किमी की दूरी तक दुश्मन पर निशाना साधा जा सकता है। यह गन एक मिनट में चार राउंड तक फायर कर सकती है।
    कोरोना ने पिछड़ा काम
    सूत्रों की माने तो जीसीएफ को इस गन का आखिरी आॅर्डर तीन साल पहले वर्ष 2018 में मिला था। उस समय उसे करीब 62 गन तैयार करने का काम दिया गया था। कोरोना कॉल में लगे लॉकडाउन के कारण इसका उत्पादन भी प्रभावित हुआ था। इसकी वजह से अभी भी करीब 13 गन का निर्माण समय पर नही हो सका था, हालांकि अब इनमें से आठ तैयार करने के बाद चार को डिस्पैच किया जा चुका है, जिसकी वजह से अब इसलिए अब नया ऑर्डर जरूरी था।
    विदेशों में भी आ रही पसंद
    इस गन को भारतीय सेना तो बेहद पसंद करती है, विदेशों में भी इसकी खूबियों को पसंद किया जाता है। सूत्रों ने बताया कि कुछ दिन पहले पूर्वी अफ्रीकी देश युगांडा की ओर से भी इस तोप को लेकर जानकारी चाही गई थी। रक्षा मंत्रालय की एक्सपोर्ट विंग ने जीसीएफ से जानकारी लेकर युगांडा को उपलब्ध कराई। हालांकि, अभी वहां से कोई आर्डर नहीं मिला है।

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