
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार ने 2030 तक मप्र को कुपोषण मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को साधने में महिलाओं की मुख्य भूमिका होगी। यानी कुपोषण के खिलाफ जंग में महिलाएं सस्ता पोषण आहार उपलब्ध कराने के लिए मोर्चा संभालेंगी। इसके लिए महिलाएं खेती-बारी भी संभालेंगी। वहीं मप्र राज्य आजीविका मिशन पोषण आहार तैयार करने के लिए जरूरी कच्चा माल (मूंगफली, गुड़, गेहूं सहित अन्य अनाज) स्थानीय स्तर पर समूह की महिलाओं से खरीदने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कुपोषण के खिलाफ जंग में सरकार महिलाओं को फ्रंटफुट पर रखना चाहती है। वहीं सस्ता पोषण आहार उपलब्ध कराने के लिए महिलाएं खेती-बारी भी करेंगी। इसके लिए प्रदेशभर में सर्वे कराया जाएगा। सर्वे से यह पता चलेगा कि किस जिले या क्षेत्र में किस फसल की ज्यादा पैदावार है। वहां समूह की महिलाएं फसल उगाएंगी और पोषण आहार संयंत्र चलाने वाले परिसंघ फसल खरीदकर संयंत्रों को देंगे। इसके लिए कांट्रेक्ट खेती भी देने पर विचार चल रहा है। इस प्रयास से समूह की महिलाओं की आमदनी तो बढ़ेगी ही, उन्हें सस्ते में फसल बेचने के लिए मजबूर नहीं होना पड़ेगा। मिशन फसल के भंडारण की भी तैयारी कर रहा है।
शुद्ध और सस्ता कच्चा माल मिलेगा
अभी प्रदेश में पोषण आहार के लिए बाजार से सामान खरीदना पड़ता है, जो महंगा भी मिलता है और मिलावट की भी पूरी आशंका रहती है। इस स्थिति को देखते हुए आजीविका मिशन स्थानीय स्तर से कच्चा माल खरीदने पर विचार कर रहा है। अधिकारियों का मानना है कि ऐसा करने से जहां पोषण आहार के लिए शुद्ध और सस्ता कच्चा माल मिल जाएगा, वहीं समूह की महिलाओं की आमदनी भी बढ़ेगी। क्योंकि उन्हें अपनी फसल कम कीमत में नहीं बेचनी पड़ेगी। प्रदेश में तीन लाख 33 हजार स्व-सहायता समूह हैं। इनसे 35 लाख से ज्यादा परिवार जुड़े हैं। इनमें से सैकड़ों महिलाओं के पास आधा से पांच एकड़ के खेत भी हैं। जिनमें वे क्षेत्रवार फसल पैदा करती हैं, पर भंडारण की सुविधा न होने के कारण वे फसल को ज्यादा दिन रख नहीं पातीं और तुरंत में औने-पौने दामों में बेचना पड़ता है। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है।
महिलाओं को आर्थिक मदद दी जाएगी: मप्र राज्य आजीविका मिशन के प्रबंध संचालक एमएल बेलवाल का कहना है कि पोषण आहार के लिए कच्चा माल स्थानीय स्तर से ही खरीदने पर विचार चल रहा है। इससे संयंत्रों को शुद्ध सामग्री मिलेगी, तो समूह की महिलाओं को उनकी उपज का सही दाम मिल जाएगा। कुछ मामलों में आजीविका मिशन समूह की महिलाओं से कांट्रेक्ट खेती भी कराएगा। उन्हें अलग-अलग फसल उगाने के लिए पहले आर्थिक मदद दी जाएगी और फसल तैयार होने पर खरीद ली जाएगी। कोशिश यह है कि महिलाओं को फसल बेचने के लिए कहीं और जाना ही न पड़े। वहीं गेहूं, दाल, गुड़, मूंगफली सहित अन्य खाद्य पदार्थ स्थानीय स्तर से मिलने के बाद आजीविका मिशन चीनी-तेल का इंतजाम भी स्थानीय स्तर पर करने की कोशिश करेगा। वर्तमान में कुछ समूह तेल का उत्पादन कर रहे हैं, पर वह काफी महंगा है। इसलिए अभी नहीं लिया जा सकता है। वहीं चीनी कोई भी समूह तैयार नहीं करता है। इसका इंतजाम बाद में करने की कोशिश होगी। सरकार ने प्रदेश के सातों पोषण आहार संयंत्र समूहों से चलवाने का निर्णय लिया है। समूह देवास संयंत्र इसी माह संभाल लेंगे। इसके बार धार संयंत्र में उत्पादन शुरू करेंगे।