मप्र में हादसों से हर साल जा रही हजारों की जान

नगरीय निकायों
  • नगरीय निकायों की लापरवाही हो रही जानलेवा

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में हादसों के कारण हर साल हजारों लोगों की जान जा रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि नगरीय निकाय कायदे-कानूनों का ठीक से पालन नहीं करा रहे हैं। इस कारण जर्जर मकानों के गिरने, अग्रिकांड में जलने और डैम आदि में डूबने के कारण हर साल हजारों लोग मर रहे हैं। लापरवाही के कारण होने वाले ऐसे हादसों के मामलों में मप्र की स्थिति देश में बेहतर नहीं है। ये खुलासा हाल ही में जारी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट से हुआ है।
    अभी तक की जांच-पड़ताल में जो स्थिति सामने आई है उसके अनुसार हालात ये हैं कि वर्ष 2020 में कमजोर नींव की मकान, इमारतों के ढहने के 179 हादसे हुए। इनमें 176 लोगों को जिंदगी से हाथ धोना पड़ा। मकान ढहने से हुए हादसों के मामलों में मप्र देश में तीसरे नंबर पर है। इस तरह के सबसे ज्यादा 286 हादसे उत्तर प्रदेश में हुए, जिनमें 297 की मौत हुई। दूसरे नंबर पर राजस्थान है। यहां एक साल में 220 हादसों में 217 लोगों ने जान गंवाई है।
    यह रही वजह
    वजह हादसे घायल मौत

    शॉट सर्किट 110 52 68
    एलपीजी 304 81 304
    आतिशबाजी 03 03 04
    अन्य कारण 1013 97 1015
    जर्जर मकानों के खिलाफ सख्ती नहीं
    प्रदेश में हर साल कई तरह के हादसे होते हैं। हर साल मानसून से पहले नगरीय निकायों द्वारा जर्जर मकानों को चिह्नित कर चेतावनी जारी करते हैं, पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होने और समय रहते खाली नहीं कराने से हादसों पर अंकुश नहीं लग रहा। इधर सिंचाई और पेयजल की जरूरत पूरी करने बनाए गए डैम पर हुए हादसे या कहें कि डैम ढहने की देश में हुईं 12 घटनाओं में से छह मप्र में हुईं। इनमें छह की मौत हुई। ब्रिज ढहने की देश में नौ घटनाएं हुई। इनमें से दो मप्र में हुईं, दो लोगों की मौत हुई और दस लोग घायल हुए। झारखंड में तीन ब्रिज ढहे।
    अग्नि हादसों में मप्र सबसे आगे
    2020 में आग से सबसे ज्यादा 1430 हादसे मप्र में हुए। इनमें 1390 लोगों की मौत हुई। आग लगने की वजह से 925 महिलाओं ने तो 465 पुरुषों ने जान गंवाई। देशभर में दूसरे नंबर पर 1292 हादसे ओडिशा में दर्ज किए गए। गैस सिलेंडर में ब्लास्ट के मामलों में मप्र दूसरे नंबर पर है। यहां 304 की जान गई। इनमें 1283 महिलाएं थीं। गैस सिलेंडर ब्लास्ट से सबसे अधिक 362 मामले तमिलनाडु में दर्ज हुए।

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