
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का ग्वालियर -चंबल ऐसा अंचल है जिसकी वजह से बीते आम चुनाव में भाजपा को डेढ़ दशक बाद सत्ता से बाहर होना पड़ा था, लेकिन यह प्रदेश का वह सूबा है जिसकी बदौलत ही 15 माह बाद भाजपा की सत्ता में वापसी हो सकी। इस सूबे की राजनीति भी महल के इर्दगिर्द ही रहती है। अब महल पूरी तरह से भाजपाई हो चुका है सो भाजपा का प्रभाव भी तेजी से बढ़ा है, लेकिन महल भी जानता है कि बीते चुनाव की तरह कोई भी ऐसी स्थिति न बने जिससे की उसका प्रभाव कम हो। यही वजह है कि महल ने अपने इस प्रभाव वाले इलाके में पकड़ और मजबूत करने के लिए अभी से ब्राह्मण कार्ड खेलने की तैयारी कर ली है। इसके लिए भाजपा में संगठन और सरकार में किनारे किए जा चुके इलाके के कद्दावर ब्राह्मण चेहरा अनूप मिश्रा का सहारा श्रीमंत द्वारा लिया जा रहा है। इनके अलावा शहर के ही एक अन्य प्रभावशाली ब्राह्मण चेहरे को भी श्रीमंत ने आगे कर अपनी रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया है। यह हैं सामाजिक संस्था उद्भव के कर्ताधर्ता डॉ केशवराज पांडे। इन दोनों ही चेहरों का उपयोग श्रीमंत अपने सूबे में ब्राह्मणों का साथ पाने के प्रयास में कर रहे हैं। दरअसल बीते आम विधानसभा चुनावों में इस इलाके में स्वर्ण मतदाताओं की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ चुकी है। श्रीमंत अब भाजपाई हो चुके हैं और इलाके के सबसे बड़े नेता भी बन चुके हैं, लिहाजा उन्हें चुनावों में अपनी साख की चिंता होना स्वभाविक है। यही वजह है कि अब वे ब्राह्मण कार्ड खेलकर अपने प्रभाव को और बढ़ाना चाहते हैं। इस अंचल में यह वह समाज है जिसकी पूछ परख बीते कई सालों से न के बराबर ही हो रही है, जिसकी वजह से यह समाज अब किसी एक दल या नेता के साथ नहीं रह गया है। अगर श्रीमंत इस समाज का साथ पूरी तरह से पा लेने में सफल रहते हैं, तो उन्हें चुनौती देने वाले दूसरे नेताओं को प्रभावहीन करना उनके लिए आसान हो जाएगा। यही वजह है कि ग्वालियर में दो दिन बाद श्रीमंत इलाके के दोनों बड़े ब्राह्मण चेहरों में शामिल अनूप मिश्रा और डॉ केशव पांडेय के साथ मंच सार्वजनिक रूप से साझा करने जा रहे हैं। श्रीमंत ग्वालियर दौरे पर अब ऐसे समय आ रहे हैं, जब पार्टी को उपचुनाव में जीत की सफलता मिली है। इन उपचुनावों में श्रीमंत ने भी प्रचार किया था और भाजपा जोबट की वह सीट जीतने में सफल रही है जो कभी भी भाजपा की नहीं रही है। यही वजह है कि इस जीत का श्रेय देने के लिए उनके समर्थकों द्वारा बड़े स्तर पर स्वागत की तैयारियों के साथ ही उनके विभिन्न कार्यक्रमों को सफल बनाने की तैयारियां तेजी से की जा रही हैं। खास बात यह है कि इस दौरे में श्रीमंत रंगमहल गार्डन में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की दो घंटे तक बैठक लेकर उन्हें उपचुनाव जैसी ही विजय आम विधानसभा चुनाव में दोहराने के लिए टिप्स देंगे और उनके साथ ही भोजन भी करेंगे। बताया जाता है कि श्रीमंत इस दौरान अनूप के महाविद्यालय में होने वाले ब्राह्मणों के सम्मान समारोह में शामिल होंगे, तो वहीं वे डॉ केशव पांडेय की संस्था उद्भव की वार्षिक पत्रकार एवार्ड सेरेमनी में भाग लेंगे। यह कार्यक्रम ग्वालियर के आईआईटीटीएम में आयोजित किया जा रहा है। गौरतलब है कि इसके पहले तक यह कार्यक्रम भोपाल में किया जाता रहा है, लेकिन श्रीमंत की इच्छा के चलते ही इस बार इसका आयोजन भोपाल की जगह ग्वालियर में किया जा रहा है। खबर तो यह भी है कि 9 नवम्बर को शिवराज सिंह चौहान भी ग्वालियर का दौरा कर वहां कई जनकल्याणकारी योजनाओं का लोकार्पण कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि बीते आम विस चुनाव में सूबे के जिन क्षेत्रों में भाजपा को सर्वाधिक नुकसान हुआ था, उसमें यह अंचल भी शामिल था। इस अंचल में उस समय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के माई के लाल वाले बयान की वजह से वर्ग संघर्ष की स्थिति बन गई थी और उसका खामियाजा पार्टी को विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ा था। इस स्थिति की वजह से ही भाजपा को अपने पंरपरागत स्वर्ण मतों का भारी नुकसान हुआ था। यही नहीं इस अंचल में भाजपा की राजनीति में केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का ही पूरी तरह से दबदबा रहा है। उनकी भी इलाके के ब्राह्मण नेताओं से अंदरूनी अदावद रही है। यही वजह है कि श्रीमंत की नजर अब पूरी तरह से ब्राह्मण नेताओं पर लगी हुई है, जिससे की इस वर्ग का समर्थन पूरी तरह से हासिल किया जा सके।, उधर कांग्रेस में इसके ठीक उलट स्थिति बनी हुई है। उपचुनाव परिणामों के बाद से जहां भाजपा में दीपवली का उत्साह बड़ गया, तो कांग्रेस में अवसाद नजर आ रहा है। कहा जा रहा है कि यदि ग्वालियर चंबल में कांग्रेस संगठन को मजबूत बनाने के लिए अभी जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो दो साल बाद होने वाले चुनाव में यहां भी जोबट और पृथ्वीपुर जैसे हालात बन सकते हैं।
चार साल बाद भी नहीं बन सकी कांग्रेस की समिति
एक तरफ जहां भाजपा ग्वालियर महानगर में भाजपा मजबूत होने के बाद तेजी से और मजबूती के लिए प्रयासों में लगी हुई है तो वहीं कांग्रेस अब तक चार सालों में ग्वालियर में ही जिला कार्यकारिणी तक गठित नहीं कर सकी है। इसकी वजह से तो अब मौजूदा शहर कांग्रेस अध्यक्ष बदलने तक की मांग की जाने लगी है। यह बात अलग है कि उनके कार्यकाल में पार्टी को 2018 के चुनाव में ग्वालियर दक्षिण और पिछले साल हुए उपचुनाव में ग्वालियर पूर्व सीट पर विजय मिली है। सिर्फ ग्वालियर ही नहीं बल्कि अंचल के तमाम जिलों में कांग्रेस संगठन सक्रियता नहीं दिखा पा रही है। हालात यह हैं कि अधिकांश नेता मंडल व सेक्टर अध्यक्ष पद मिलने के बाद से निष्क्रिय हो गए हैं, इनमें से कुछ तो श्रीमंत शिविर में शामिल होने की जुगत तक में लगे हुए हैं।
स्थानीय निकाय चुनाव के लिए जोड़तोड़ शुरू
उपचुनाव के बाद अब इलाके में पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव की सरगर्मी दिखनी शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि अगले माह पंचायत और मार्च से पहले ही निकाय चुनाव हो सकते हैं। इसकी वजह से अब माना जा रहा है कि इन चुनाव में किस्मत आजमाने की चाहत रखने वाले नेताओं के पास कुछ माह का ही समय है टिकट के लिए जोड़तोड़ और जनता से संपर्क साधने का। इसकी वजह से नेता अभी से कवायद करने में शुरू हो गए हैं। इलाके में श्रीमंत के साथ भाजपाई ने पूर्व पार्षद अपने टिकट के लिए अभी से चिंतित दिखने लगे हैं, हालांकि श्रीमंत उन्हें चिन्ता न करने का भरोसा दिला रहे हैं। उधर कांग्रेस में निकाय चुनावों को लेकर एक साल पहले तैयार किए गए पैनल अब बेकार हो चुके हैं, जिसकी वजह से अब पार्टी में प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया नए सिरे से शुरू होगी , इसकी दूसरी वजह है बीते कुछ माहों में सियासत की वैतरणी में पानी का बहुत अधिक बह जाना।