डागा को हत्या के आरोप का करना होगा सामना

जितेन्द्र डागा
  • गाजियाबाद न्यायालय में चलेगा प्रकरण

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम।
    भाजपा के पूर्व विधायक रह चुके भोपाल के अमीर व्यवसायी जितेन्द्र डागा की अब मुश्किलें बेहद बढ़ गई हैं। उनके खिलाफ अब एक पुराने मामले में हत्या का प्रकरण चलना तय हो गया है। यह प्रकरण वीडीए के पूर्व मुख्य कार्यपालन अधिकारी मदन गोपाल रुसिया की मौत का है। यह मामला उप्र के गाजियाबाद की अदालत में चलेगा। इस मामले में गाजियाबाद स्थित सीबीआई के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवांक सिंह की अदालत ने आदेश देते हुए मुकदमे की फाइल विचार के लिए गाजियाबाद के सत्र न्यायालय के सुपुर्द कर दी है। इस आदेश से रूसिया के स्वजनों को न्याय मिलने की उम्मीद जग गई है। गौरतलब है कि भोपाल की हुजूर विधानसभा से भाजपा विधायक रह चुके जितेंद्र डागा अब कांग्रेस नेता हैं। गौरतलब है कि 10 सितंबर, 2009 को जितेंद्र डागा व भोपाल विकास प्राधिकरण के सीईओ मदन गोपाल रुसिया दिल्ली के निजामुद्दीन स्टेशन से भोपाल के लिए भोपाल एक्सप्रेस में सवार हुए थे। उसके अगले दिन रुसिया का शव आगरा रेलवे स्टेशन से 30 किलोमीटर दूर रेलवे ट्रैक के किनारे लावारिस हालत में मिला था। इस मामले में जीआरपी आगरा कैंट पुलिस ने गैर इरादतन हत्या के आरोप में प्रकरण दर्ज किया था। इस मामले में उनके परिजनों के आग्रह पर उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले को जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया था।  
    सीबीआई की जांच पर सवाल
    रूसिया की 2009 में हुई मौत पर 12 साल बाद गाजियाबाद सीबीआइ कोर्ट ने पूर्व विधायक जितेंद्र डागा पर हत्या का केस चलाने का आदेश दिया है। इस मामले में रूसिया के बड़े भाई ओमप्रकाश रूसिया का कहना है कि भोपाल के भूमाफियाओं और कुछ नेताओं ने मिलकर उनके भाई की हत्या की थी। इनमें पूर्व विधायक जितेंद्र डागा व उस समय के एक मंत्री के भी शामिल होने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सीबीआई द्वारा इस मामले में आरोपियों को क्लीन चिट देने के मामले में उनके द्वारा कोर्ट में अपना पक्ष रखकर न्याय की मांग की थी। उनका कहना है कि होशंगाबाद रोड पर विद्या नगर फेज तीन में 2009 में बीडीए की विकास योजना में पूर्व विधायक जितेंद्र डागा समेत कई किसानों की जमीन आ रही थी। इसी जमीन को अधिग्रहण से बचाने के लिए डागा मेरे भाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वकील से सलाह लेने के लिए दिल्ली गए थे। दिल्ली से लौटते समय यह घटना घटी। पुलिस ने इसे दुर्घटना बताया था। हमने भाई की हत्या की आशंका जाहिर की थी। उनके भाई ने उस समय भोपाल के कई इलाकों में विकास योजनाएं शुरू की थी। उन पर भूमाफिया व प्रदेश सरकार के एक तत्कालीन मंत्री का भी योजनाओं से जमीन बाहर करने के लिए बड़ा दबाव बना हुआ था। इस मामले में तमाम प्रयासों के बाद भी सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट को दे दी थी। इसके पहले  मामले की जांच जीआरपी आगरा के जिस इंस्पेक्टर द्वारा गंभीरता से की जा रही थी, उसे जांच के बीच भोपाल के भू-माफियाओं ने हटवा कर दूसरे इंस्पेक्टर को जांच दिलवा दी थी। जिसके द्वारा महज एक दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपकर भाई की मौत को दुर्घटना बता दिया था।
    सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट हो चुकी थी खारिज
    सीबीआई ने मामले की जांच के बाद 2013 में गाजियाबाद स्थित विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश की थी, लेकिन अदालत ने उसे खारिज करते हुए  मामले में संज्ञान लेते हुए अदालती कार्रवाई में झूठे साक्ष्य देने का मुकदमा चलाने के आदेश दिए थे। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि यह मामला झूठे साक्ष्य देने का नहीं, सीधे तौर पर हत्या का है। डागा के खिलाफ हत्या का केस चलाने के पर्याप्त साक्ष्य हैं।

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