अफसरों से मिलीभगत पड़ रही बड़ी शराब कंपनियों पर भारी

शराब कंपनियों
  • सरकार व उसके अफसरानों का रहता है खुला समर्थन

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। 
    मप्र में शराब कारोबारियों, ठेकेदारों, राज्य सरकारों के अफसरानों व राज्य सरकार के बीच बना गठजोड़ नामी गिरामी कंपनियों पर तो भारी पड़ ही रहा है साथ ही सरकारी खजाने से लेकर उपभोक्ताओं की जेब काटने वाला साबित हो रहा है। अब इस मामले में केन्द्रीय एजेंसियों को सक्रिय होना पड़ा है।  इसके बाद उनके एक के बाद एक चौंकाने वाले कारनामें उजागर हो
    रहे हैं।
    प्रदेश सरकार दिखावे के लिए वे सभी कदम उठाती है जिससे आमजन में अच्छा संदेश दिया जा सके, लेकिन पर्दे के पीछे वह शराब सिंडिकेट के साथ खड़ी रहती है।  यही वजह है कि शराब निमार्ताओं से लेकर ठेकेदारों द्वारा किए जाने वाले कारनामों और उसके लिए दोषी लोगों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई होती नहीं दिखी है। अब सीसीआई एजेंसी के बाद आयकर विभाग भी सक्रिय हो गई है। बीते दो दिनों में आयकर विभाग की टीम ने भोपाल- इंदौर के दो शराब कारोबारियों पर छापा मार कर 3 करोड़ 35 लाख रुपए की नकदी बरामद की है। दरअसल इनके खिलाफ शराब ठेकेदारों के साथ सांठगांठ, मोनोपॉली कर महंगी और खास ब्रांड की शराब को प्रमोट करने की शिकायत मिलने पर कॉम्पटीशन कमीशन (सीसीआई) दिल्ली टीम ने छापामारी की थी। बाद में प्रकरण में आयकर विभाग की छापामार विंग को दे दिया गया। इसके बाद की गई कार्रवई में करोड़ों रुपए लेनदेन और बेहिसाबी संपत्ति के दस्तावेज बरामद किए हैं। इंदौर स्थित केडिया ग्रुप की ग्रेट गैलियन वेंचर्स लिमिटेड कंपनी के दो ठिकानों पर  3.08 करोड़ और भोपाल में विंध्याचल डिस्टलरीज प्रालि. के यहां 27 लाख रुपए नकदी बरामद हुई है। आयकर की छानबीन में बड़ी संख्या में ऐसे दस्तावेज मिले हैं जिनमें भारी भरकम राशि के नकद लेनदेन का ब्यौरा दर्ज है। यह कंपनी स्प्रिट बनाती है जिससे शराब बनाई जाती है। इनकी गोवा के नाम से व्हिस्की का ब्रांड से मार्केट में है जबकि दूसरी कंपनी विंध्याचल के नाम से ही व्हिस्की का ब्रांड बनाती है। उधर अब प्रदेश के आबकारी विभाग ने सात करोड़ की लागत से ई-एक्साइज सिस्टम लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके अगले तीन माह में लागू करने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके अंतर्गत मदिरा का परिवहन, स्टोरेज, निर्माण, विक्रय और राजस्व वसूली सभी ऑनलाइन होगी। सबसे खास होगा फैक्ट्री में शराब की पैकिंग के दौरान क्यूआर, कोड लगाना होगा। इससे हर बोतल की ट्रेसिंग रहेगी।
    अभी यह है व्यवस्था
    फिलहाल प्रदेश में शराब के असली-नकली होने की जानकारी होलोग्राम के माध्यम से की जाती है, लेकिन, अब क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य होगा। होलोग्राम का ज्यादातर उपयोग देशी शराब की पैकिंग में ही किया जाता है। आबकारी विभाग ने क्यूआर कोड का काम सिक्यूरिटी प्रिंटिंग प्रेस हैदराबाद को दिया है। फिलहाल प्रदेश में हर माह औसतन 15
    करोड़ होलोग्राम का उपयोग किया जाता है।
    इस तरह की मिली थीं शिकायतें
    सूत्रों के मुताबिक कॉम्पटीशन कमीशन दिल्ली को इनके खिलाफ उपभोक्ताओं को ठगने के लिए मोनोपॉली और सिंडिकेट बनाकर कारोबार करने की शिकायतें मिली थीं। मप्र के शराब निर्माता ठेकेदारों से मिलकर अथवा अपने ही ठेकेदार खड़े कर अपनी दुकानों से अपने ही उत्पाद वाली शराब और मनमानी कीमत पर बिकवाते हैं। इसके अलावा बाजार से कई बड़े ब्रांड गायब भी करा देते हैं। इस कारण महंगी शराब के अलावा सभी ब्रांड नहीं मिलते हैं।
    हर बोतल का मिल जाएगा हिसाब
    नए सिस्टम के लागू होने के बाद यह पता चल जाएगा कि शराब कहां बनी, कहां से चली, किस गोदाम में पहुंची और यहां से किस जिले की किस दुकान पर पहुंची। यह भी पता किया जा सकेगा कि जहां एल्कोहल निर्माण हुआ है वह असली है कि नकली। एनआईसी बना रहा सेटअप विभाग ने ई-आबकारी का सेटअप तैयार करने का काम एनआईसी को दिया है। हर जिले में हार्डवेयर व्यवस्था करने के लिए शुक्रवार को करीब सात करोड़ रुपए ट्रांसफर कर दिए गए।

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