अर्थव्यवस्था को मिला केंद्र और वेट का ‘सुपर डोज’

अर्थव्यवस्था
  • मप्र की आर्थिक स्थिति होने लगी मजबूत

    भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। कोरोना संक्रमण काल में पूरे देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई थी। मप्र भी इससे अछूता नहीं था। लेकिन अब मप्र की आर्थिक स्थिति मजबूत होने लगी है। इसकी वजह यह है कि केंद्र से मिलने वाली क्षतिपूर्ति में 40 फीसदी बढ़ोतरी हुई है, वहीं पेट्रोल-डीजल से मिलने वाले वैट से भी सरकार को बंपर कमाई हुई है। साथ ही अन्य विभागों ने भी राजस्व संग्रहण में तेजी से रूचि दिखाई है। जिससे प्रदेश को अधिक राजस्व मिला है।
    वित्त विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, मप्र सरकार को केंद्र सरकार से मिलने वाली क्षतिपूर्ति राशि में पिछले वर्ष के मुकाबले इस वित्तीय वर्ष 2021-22 में बढ़ोतरी हो गई है। पिछले वर्ष महज 6 हजार करोड़ रुपए मिले थे, जबकि इस वित्तीय वर्ष में 10 हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा मिलेंगे। इसमें से पहली छमाही में ही 4,666 करोड़ रुपए मिल चुके हैं। यह करीब 40 फीसदी अधिक है। इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बड़ा बल मिला है।
    43,402 करोड़ का राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य
    कोरोना संक्रमण से उबरने के साथ ही प्रदेश सरकार ने राजस्व संग्रहण पर सबसे अधिक फोकस किया है। मप्र सरकार ने जीएसटी, पंजीयन व आबकारी से इस वर्ष में 43,402 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा है। इसमें इस वर्ष के अंतिम महीनों में लक्ष्य की राशि बढ़ाकर करीब 52 हजार करोड़ रुपए से अधिक किए जाने की संभावना जताई जाने लगी है। यदि राजस्व मिलने की गति इसी तरह से बनी रही तो उक्त राशि से भी अधिक का राजस्व मिलना तय है। अभी हालांकि वित्तीय वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में ही कुल 22,011 करोड़ रुपए का राजस्व मिल चुका है। वहीं पेट्रोल-डीजल से मिलने वाले वैट से भी सरकार को बंपर कमाई हुई है। इसका आंकड़ा हर महीने बढ़ता जा रहा है।
    जीएसटी बना बड़ा संबल
    प्रदेश में राजस्व संग्रहण करने वाले वाणिज्यिक कर विभाग को सबसे अधिक गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) का संबल मिला है। प्रदेश में जीएसटी से 10,108 करोड़, पंजीयन से 3510 करोड़ व आबकारी से 4386 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हो चुका है। जीएसटी की गति यही रही तो आने वाले छह महीनों में 20 हजार करोड़ रुपए का राजस्व मिल सकता है। इसकी मुख्य वजह यह है कि इस वित्तीय वर्ष में 15 मार्च के बाद से लेकर 15 जुलाई तक कोरोना संकट की वजह से प्रदेश भर में कामकाज लगभग ठप रहा। इसके बावजूद इतनी राशि मिली है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि जीएसटी में भी सरकार को रिकार्ड कमाई होगी।
    पेट्रोल डीजल से हर महीने 1500 करोड़
    राज्य सरकार को उक्त राजस्व के अलावा वैट व प्रोफेशनल टैक्स से मिलने वाली राशि अतिरिक्त है। राज्य सरकार को पेट्रोल व डीजल से ही हर महीने अनुमानित करीब 1500 करोड़ रुपए का राजस्व मिल रहा है। अप्रैल से लेकर जुलाई 2021 तक में ही सरकार को करीब 5 हजार करोड़ रुपए का राजस्व पेट्रोल डीजल से मिल चुका है। यह भी दिलचस्प है कि हर दिन जब पेट्रोल, डीजल व रसोई गैस के दाम पर जब-जब बढ़ोतरी होती है तो सरकार के खजाने में मोटी रकम पहुंच जाती है। मप्र के इतिहास में पेट्रोल व डीजल पर इससे अधिक राशि कभी नहीं मिली। मप्र के गठन के बाद से लेकर अब तक के पेट्रोल-डीजल से मिलने वाले राजस्व प्राप्ति में यह एक रिकॉर्ड है।
    अभी इस तरह से मिल रहा वैट
    राज्य सरकार को अभी पेट्रोल पर प्रति लीटर 33 प्रतिशत वैट, 3.50 रुपए प्रति लीटर अतिरिक्त टैक्स, एक प्रतिशत सेस वसूला जा रहा है। भोपाल में पेट्रोल करीब 114 रुपए प्रति लीटर है। इस अनुसार पेट्रोल पर सरकार को करीब 42 रुपए 40 पैसे का टैक्स मिल रहा है। इसी तरह डीजल पर 23 प्रतिशत वैट, 2 रुपए प्रति लीटर अतिरिक्त टैक्स व एक प्रतिशत सेस वसूला जा रहा है। इसी तरह रसोई गैस पर सरकार को 5 प्रतिशत वैट मिल रहा है। पहले जब रसोई गैस 600 रुपए में था तो सरकार को 30 रुपए टैक्स मिलता था। अब यह बढकर 45 रुपए पहुंच गया है। सरकार का खजाना इससे हर दिन बढ़ रहा है।

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