
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश ऐसा राज्य हैं, जिसके चिप्स वाले आलू की पूरे देश में सर्वाधिक मांग रहती है , इसके बाद भी इस बार प्रदेश के आलू उत्पादक किसानों को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह है इस बार हुई अत्याधिक पैदावार। कोरोना काल की वजह से चिप्स का कारोबार भी प्रभावित हुआ है।
इसकी वजह से चिप्स का उत्पादन प्रभावित होने से आलू की मांग में की कमी आई और उत्पादन अधिक होने से दामों में ऐसी गिरावट आयी की किसानों को उसकी लागत मिलनी तो दूर कोल्ड स्टोरेज का किराया तक उन्हें अपन जेब से चुकाना पड़ रहा है। ऐसे में अभी कोरोना की तीसरी लहर और वापस लॉकडाउन के डर की वजह से चिप्स उत्पादन वाली कंपनियों ने आलू की खरीदी तक बंद कर दी है। इस वजह से प्रदेश में मौजूद 70 फीसदी कोल्ड स्टोरेज में आलू भरा हुआ है। इसकी वजह से आलू के खरीददार नहीं मिल पा रहे हैं। जिसकी वजह से आलू के दामों में भारी गिरावट आ गई है। इसकी वजह से अब थोक में आलू के दामों की हालत यह हो गई है कि उसके डेढ़ से दो रुपए किलो के भाव मिल रहे हैं। हद तो यह है कि कोल्ड स्टोरेज में आलू रखने का किराया ही ढाई रुपए किलो तक देना होता है। चिप्स के उपयोग में सर्वाधिक एलआर किस्म के आलू का किया जाता है। यह आलू मालवा-निमाड़ में सर्वाधिक होता है। इस आलू की खासियत यह है कि इसमें शुगर की मात्रा कम होती है। इसकी वजह से ही चिप्स के लिए देशभर में इस आलू की सर्वाधिक मांग रहती है। इस बार इस आलू की अच्छी फसल आयी है। अनुमान के मुताबिक अब तक इसका 10 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हो चुका है , जबकि इसके उलट चिप्स कंपनियों ने अपना उत्पादन कम कर दिया है जिसकी वजह से उसकी मांग बेहद कम रह गई है।
इन जिलों में होता है उत्पादन
मध्यप्रदेश में इस किस्म के आलू का उत्पादन इंदौर, उज्जैन, देवास, धार, राजगढ़, शाजापुर, रतलाम, खरगोन, भिंड, मुरैना और छिंदवाड़ा जिलों में बहुतायत मात्रा में होता है। मांग कम और अधिक उत्पादन होने की वजह से प्रदेश में मौजूद लगभग डेढ़ सौ कोल्ड स्टोरेज में से अधिकांश फुल बने हुए हैं। यही नहीं जो आलू किसानों के पास घरों पर रखा हुआ है उसके भी खरीददार नहीं मिल रहे हैं। इस वजह से अब किसान 2 से 3 रुपए किलो में आलू बेचने को मजबूर हैं, इसके बाद भी मांग नहीं आ रही है। इस स्थिति की वजह से अब किसान प्रदेश सरकार से आर्थिक मदद की मांग कर रहे हैं।