
भोपाल/अपूर्व चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश में भाजपा की शिव सरकार लगातार कई सालों से खेती को लाभ का धंधा बनाने के प्रयासों में लगी हुई है। इसके लिए कई तरह की योजनाओं को भी बीते कई सालों में शुरू किया गया है। अब इसी सप्ताह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान गुरुवार को बीज ग्रामों की वर्चुअल शुरुआत करने जा रहे हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री द्वारा किसानों को बीज के मिनी कीटों का वितरण भी किया जाएगा और कृषि उत्पादक संगठनों को सहायता राशि भी प्रदान की जाएगी। कहा जा रहा है कि इस दौरान मुख्यमंत्री द्वारा किसानों को कोई बड़ी सौगात दी जा सकती है। इस आयोजन के दौरान अनुसूचित जाति-जनजाति बहुल ग्रामों में विशेष कार्यक्रम किए जाएंगे। इसमें प्रत्येक बीज ग्राम में 50 किसानों को खाद्यान्न, दलहन एवं तिलहन फसलों की नवीन किस्मों के बीज प्रदान किए जाएंगे। इसके लिए 10 जिलों में बीज ग्रामों का चयन किया गया है। इनमें शाजापुर जिले में 9, उज्जैन में 8, होशंगाबाद, सीहोर, विदिशा और सिवनी में 7-7 ग्राम, राजगढ़ और बड़वानी 8-8 तथा हरदा के 10 ग्राम शामिल हैं।
प्रदेश को मिलेगी 12 हजार करोड़ की मदद
केन्द्र सरकार द्वारा एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड स्कीम (एआईएफ) तहत 7440 करोड़ से 12 हजार करोड़ रुपए तक की वित्तीय राशि का आवंटन मध्य प्रदेश को किया जा रहा है। इसकी मदद से किसानों की आय वृद्धि के लिए किसान उत्पादक संगठनों का गठन किया जाना है। इसमें नाबार्ड से 31, एसएफएसी में 20 और एनसीडीसी और एफडीआरव्हीसी में 10-10 कृषि उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन किया जाएगा। गत वर्ष केंद्र सरकार ने एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की स्थापना की घोषणा की थी। इसके तहत फसल कटाई के बाद बुनियादी ढांचा प्रबंधन और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों में निवेश के लिए मध्यम एवं दीर्घकालिक कर्ज देने की सुविधा दी गई है। इस योजना का लाभ एफपीओ, पैक्स, मार्केटिंग को ऑपरेटिव कमेटी, स्वयं सहायता समूह, किसान, कृषि उद्यमी, राज्य और केंद्र सरकार की एजेंसी और स्टार्टअप को मिलेगा।
दिए जाएंगे सरसों बीज के मिनीकिट
बीजों के मिनी किट में सरसों के बीच सभी जिलों में वितरित किए जाएंगे। इसी तरह से मसूर 32 जिलों में और अलसी के बीज 18 जिलों में प्रदान किए जाएंगे। इसमें कई तरह की बीज मिनीकिट के रुप में दिए जाएंगे। यह नई किस्म के उन्नत बीज होंगे। इसकी वजह से किसान नई किस्मों की ओर आकर्षित होंगे और उन्हें एक्सपेरिमेंट करने का भी मौका मिलेगा। इसके अलावा इस दौरान किसानों को कस्टम हायरिंग/प्राइमरी प्रोसेसिंग सेंटर के संचालन के लिए स्वीकृति-पत्र भी प्रदान किए जाएंगे।