मध्य प्रदेश के गांवों में बनेगा पर्यटन क्लस्टर

पर्यटन क्लस्टर

-ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने ग्रामीण पर्यटन पर सरकार का फोकस

-देशी-विदेशी पर्यटकों को पसंद आ रहा ग्रामीण सौंदर्य

भोपाल
/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। कांक्रीट के जंगल बनते शहरों से लोगों का मन ऊब चुका है और वे गांवों की आबोहवा में कुछ दिन सुकून का बिताना चाहते हैं। लोगों की इस मंसा को भांपते हुए सरकार ने ग्रामीण पर्यटन पर फोकस करना शुरू कर दिया है। इसके लिए गांवों में पर्यटन क्लस्टर बनाया जाएगा। प्रथम चरण में इंदौर, छिंदवाड़ा और छतरपुर सहित पांच जिलों में आधा दर्जन से अधिक ग्रामीण पर्यटन क्लस्टर बनाए जाएंगे। इन गांवों के विकास, पर्यटकों के मनोरंजन और उनकी सुविधाओं को बढ़ाने क्लस्टरों में करीब 25 करोड़ रुपए से अधिक राशि खर्च की जाएगी। इसके लिए गांवों में पर्यटन समितियां बनाई जाएंगी, जिनके माध्यम से स्थानीय, देश-प्रदेश और विदेशी पर्यटकों को उनकी जरूरतों के अनुसार सुविधाएं दी जाएगी।
दरअसल, सरकार ग्रामीण पर्यटन क्लस्टर के माध्यम से कई हित साधना चाहती है। ग्रमीणों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए ग्रामीणों को आर्थिक सहायता के अलावा उन क्षेत्रों में पर्यटन के हिसाब से सुविधाएं भी उपलब्ध कर रही है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र को अपने यहां एतिहासिक, सामाजिक, धर्म-आध्यामिक, एडवेंचरस गतिविधियों के प्रस्ताव तैयार कर पर्यटन विभाग को देना होगा। उन्हें यह बताना होगा कि उनके गांवों में तमाम तरह के महत्व की चीजें हैं, जिनके विकास और रखरखाव की आवश्यकता है।
100 गांवों में पर्यटन का विकास
मप्र टूरिज्म बोर्ड प्रदेश में 20 ग्रामीण पर्यटन क्लस्ट तैयार कर 100 गांवों को ग्रामीण क्षेत्रों को पर्यटन के रूप में विकसित करेगा। पहले चरण में ग्वालियर-ओरछा, खजुराहो-पन्ना और सीधी जिले में क्लस्टर बनाए जाएंगो। पर्यटन बोर्ड दिल्ली के पर्यटकों के लिए नार्थ एमपी पर्यटन क्षेत्र जैसे खजुराहो,ओरछा, बैतूल और मुम्बई और गुजरात के पर्यटकों के लिए इंदौर संभाग के पर्यटन क्षेत्रों के ग्रामीणों को क्लस्टर के रूप में तैयार किया जाएगा। वहीं जनजातीय क्लस्टर के लिए झाबुआ, बुरहानपुर, बैतूल, मंडला, डिंडोरी और उमरिया के ग्रामीण क्षेत्रों का क्लस्टर तैयार किया जाएगा।
पर्यटकों को रात्रि विश्राम, भ्रमण, आटो-टैक्सी, गाइड और पार्किंग सहित अन्य दरें ग्रामीण पर्यटन समितियां तय करेंगी। इसके लिए नगरीय और पंचायत स्तर पर उन्हें तमाम तरह की अनुमतियां लेनी होंगी। ग्रामीण अपने घरों में भोजन, चाय-नाश्ता के लिए होटल खोलने और ठहरने के लिए कमरे की व्यवस्था कर सकेंगे, लेकिन उन्हें समितियों में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। पर्यटकों को वहां रात्रि विश्राम करने के लिए आधार नंबर दर्ज कराना अनिवार्य होगा।
पांच जिलों में बनी योजना
ग्रामीण पर्यटन क्लस्टर के लिए पहले चरण में पांच जिलों के लिए योजना बनी है। इसके तहत छतरपुर में स्थित क्लस्टर का सौंदर्यीकरण 10.97 करोड़ रूपए में होगा। इसी तरह छिंदवाड़ा में डेलाखारी के सौदर्यीकरण पर 3 करोड़, इंदौर में नवपद पंथ में साइकिल ट्रैक के लिए 8 करोड़, इंदौर में ही सिमरोल में सौदर्यीकरण पर 2 करोड़, मंडला के रामनगर में पगडंडी के लिए 83 लाख और सिवनी कान्हीवाड़ा में पगडंडी पर 1.75 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे।
ग्रामीण संस्कृति और परिवेश का दिया जाएगा बढ़ावा
ग्रामीण पर्यटन क्लस्टर के तहत ग्रामीण संस्कृति और परिवेश का बढ़ावा और विकास के लिए समितियां भी बनाई जाएगी। इन समितियों को उस गांव की संस्कृति के अनुसार पर्यटकों के ठहरने, भोजन, रहन सहन की व्यवस्था करनी होगी। इसके अलावा पर्यटकों को वहां के खिलौने, कपड़े, प्रसिद्ध चीजों की प्रदर्शनी तैयार करनी होगी। जिससे पर्यटक आकर्षित होकर उसकी खरीदी करें, प्रचार प्रसार करें। इससे जहां ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था में सुधार होगा, वहीं स्थानीय सामानों, खाद्य पदार्थ, खिलौना, खेल, फल की बिक्री से ग्रामीण आत्मनिर्भर बन सकेंगे।

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