
बिच्छू डॉट कॉम। शिल्प के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती कल मनाई जाएगी। इस दिन विशेष तौर पर औजार, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों, दुकानों, कारखानों, मोटर गैरेज, वर्कशॉप, लेथ यूनिट, कुटीर एवं लघु इकाईयों आदि में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। पूजा के बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा पहले वास्तुकार और इंजीनियर हैं। इन्होंने ही स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, द्वारका नगरी, यमपुरी, कुबेरपुरी आदि का निर्माण किया था।
विश्वकर्मा पूजा का मुहूर्त
विश्वकर्मा दिवस, 17 सितंबर को एक घंटे 32 मिनट तक राहुकाल रहेगा। इस दौरान विश्वकर्मा पूजन की मनाही है। आदि शिल्पी की जयंती पर राहुकाल की शुरुआत पूर्वाह्न 10:43 बजे से होगी। दोपहर 12:15 बजे राहुकाल समाप्त होगा।
विश्वकर्मा पूजन में सूर्य की कन्या राशि में संक्रांति का विशेष महत्व है। इस वर्ष सूर्य की कन्या राशि में संक्रांति 17 सितंबर को दोपहर 1: 29 बजे होगी। ज्योतिषाचार्य के अनुसार औजारों, निर्माण से जुड़ी मशीनों, दुकानों, कल-कारखानों आदि में पूजन के लिए मध्याह्न 12:16 बजे से सूर्यास्त तक का समय उपयुक्त है। अच्छी बात यह है कि इस दिवस पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग की शुरुआत प्रात: 06:07 बजे से होगी जो अगले दिन 18 सितंबर को भोर में 03:36 मिनट तक रहेगा। इस योग में विश्वकर्मा का पूजन विशेष रूप से फलदायी होगा।
कैसे करें पूजा
इस दिन अपने कामकाज में उपयोग में आने वाली मशीनों को साफ करें। फिर स्नान करके भगवान विष्णु के साथ विश्वकर्माजी की प्रतिमा की विधिवत पूजा करनी चाहिए। ऋतुफल, मिष्ठान्न, पंचमेवा, पंचामृत का भोग लगाएं। दीप-धूप आदि जलाकर दोनों देवताओं की आरती उतारें।