
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। अपने लिए तमाम तरह की लग्जरी सुविधाएं जुटाने वाले प्रदेश के नेताओं व अफसरों पर अब पुलिसकर्मियों का कोई भरोसा नहीं रह गया है। यही वजह है कि अब वे भगवान की शरण में जा रहे हैं। यह पुलिस का वो अमला है जो मैदानी स्तर पर कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाता है, लेकिन जब उनकी सुख सुविधाओं की बात आती है तो प्रदेश की अफसरशाही से लेकर सरकार में बैठे नुमाइंदे तक उनकी उपेक्षा करने में पीछे नहीं रहते हैं। इसकी वजह से पुलिस के मैदानी अमले में असंतोष बढ़ता ही जा रहा है। असंतोष व उनका भरोसा किस हद तक उठ चुका है इससे ही समझा जा सकता है कि उनके द्वारा अब अपनी मांगों का आवेदन महाकाल भगवान को सौंपकर उन्हें पूरा कराने की विनय की जाने लगी है।
महाकाल को अर्पित किए गए आवेदन में उनके द्वारा कहा गया है कि वे जिम्मेदारों को एहसास कराएं कि पुलिसकर्मी भी इंसान हैं। लिहाजा उन्हें भी उन सुविधाओं का हक है जो आम आदमी के लिए घर परिवार चलाने के लिए जरुरी हैं। अफसर व नेता मिलकर कभी भी अपनी सुविधाओं में मनमाने तरीके से बढोतरी कर लेते हैं। फिर चाहे सरकारी खजाना खाली हो या फिर सूबे की जनता किसी बढ़े संकट का सामना ही क्यों न कर रही हो। इसके बाद भी उन्हें मैदानी पुलिस अमले की परेशानियां याद नहीं आती है। यही वजह है कि मप्र में अब भी पुलिसकर्मियों को 160 साल पुराने साइकिल भत्ते से ही काम चलाना पड़ रहा है। यह हाल तब हैं जबकि सरकारी अमला तो ठीक आम आदमी भी अपने कामकाज में साइकिल का उपयोग करना पूरी तरह से बंद कर चुका है। बढ़ते शहरी इलाकों की वजह से पुलिसकर्मचारियों को भी ड्यूटी के लिए हर दिन कई बार लंबी दूरी तय करनी पड़ती है ऐसे में अगर वे साइकिल का उपयोग करें तो घंटों में मौके नहीं पर पहुंच पाएंगे। इसकी वजह से अब वे साइकिल भत्ते की जगह पेट्रोल भत्ता चाहते हैं। मध्य प्रदेश के मैदानी पुलिसकर्मी अपनी मांगें न माने जाने से खासे परेशान हैं। आधुनिकता और लग्जरी गाड़ियों के इस दौर में पुलिसकर्मियों को आज भी 18 रुपए का साइकिल मिल रहा है। पुलिसकर्मियों के लिए साइकिल भत्ता 1861 में स्वीकृत किया गया था तब से दुनिया कितनी बदल गई है इसका अंदाजा अफसरों और जिम्मेदार पदों पर बैठने वाले नेताओं को नहीं है । पुलिसकर्मियों दो पहिया वाहन के लिए पेट्रोल भत्ता चाहते हैं। यही नहीं हद तो यह है कि महंगाई के इस दौर में पुलिसकर्मियों को प्रतिमाह 500 आवास भत्ता दिया जा रहा है। शहरी इलाके में तो ठीक ग्रामीण इलाके में भी इतने रुपए में एक कमरा भी किराए पर नहीं मिलता है। पुलिसकर्मियों की ऐसी तमाम मांगें हैं जिन पर शासन और पुलिस मुख्यालय को चिंतन मनन करने की जरूरत है। नेताओं और अफसरों से गुहार लगाने के साथ पुलिसकर्मी सोशल मीडिया में भी इसके लिए लगातार अभियान चला रहे हैं। सफलता नहीं मिलने पर अब उन्होंने बाबा महाकाल के दरबार में हाजरी लगाई है पुलिसकर्मियों का यह आवेदन सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है । इस आवेदन में पुलिसकर्मियों ने लिखा देवों के देव महादेव तीनों लोकों के स्वामी राजा महाकाल आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि जवानों की लंबित पड़ी मांगे पूरी कराएं। चूंकि पुलिसकर्मी दूसरे शासकीय कर्मचारियों की तरह धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल नहीं कर सकते क्योंकि वह अनुशासन से बंधे हैं। पुलिसकर्मियों द्वारा किसी तरह की अनुशासनहीनता आज तक नहीं की गई है उसके बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। इससे परेशान होकर कई जवान आत्महत्या तक कर चुके हैं लेकिन उनकी कोई सुध लेने को तैयार ही नहीं दिख रहा है। पत्र में लिखा है कि बाबा आपसे प्रार्थना है कि लंबित मांगों को लेकर आप जिम्मेदारों को एहसास कराएं कि पुलिसकर्मी भी इंसान हैं और वह कष्टदायक जीवन जीने को मजबूर है।
साप्ताहिक अवकाश भी किया बंद
प्रदेश में डेढ़ दशक बाद सत्ता में आने के पहले कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा के चुनावी घोषणा पत्र में पुलिसकर्मियों को साप्ताहिक अवकाश दिए जाने का वादा किया था। सरकार बनने के बाद इसको लेकर आदेश भी जारी किए गए थे, इसके बाद भी अफसरों ने इस पर अमल करना मुनासिब नहीं समझा। इसके बाद पुलिस मुख्यालय द्वारा एसपी और कमांडेंट को स्मरण पत्र लिखकर अवकाश देने को कहा गया था, लेकिन इसके बाद प्रदेश की सत्ता से कांग्रेस के बाहर होते ही इस आदेश को भी समाप्त कर दिया गया।
घोषणाओं व प्रस्ताव मांगने की पिलाई जाती है घुट्टी
खास बात यह है कि पुलिसकर्मियों को उनकी मांगें पूरी करने के लिए अब तक सिर्फ बार-बार घोषणाओं की और प्रस्ताव मंगाने की ही घुट्टी पिलाई जाती रहती है, जिसकी वजह से नतीजा सिफर ही रहा है। यही वजह है कि पुलिसकर्मियों को कोई सुविधा नहीं मिल सकी है। ऐसे में घर परिवार चलाने के लिए उन्हें दूसरे तरीके तक अपनाने पड़ रहे हैं।
यह हैं पुलिसकर्मियों की प्रमुख मांगें
जिला बल के जवानों की गृह जिले में तैनाती की जाए। वर्तमान 19 सौ ग्रेड पे को बढ़ाकर 2400 किया जाए । पुलिसकर्मियों की बर्खास्त यूनियन को बहाल किया जाए। आम कर्मचारियों की ही तरह उन्हें भी एक दिवस का साप्ताहिक अवकाश प्रदान किया जाए। एसएएफ जवानों को परिवार के साथ रहने दिया जाए। साइकिल भत्ता की जगह पेट्रोल भत्ता दिया जाए। आवास भत्ता बढ़ाकर 5000 महीना किया जाए। दो हाफ वेतन की जगह दो फुल वेतन का भुगतान किया जाए और रात्रि गश्त ड्यूटी का भत्ता 300 प्रदान किया जाए।